बड़े जैन मन्दिर में हुए आचार्य श्री निर्भय सागर महाराज के मंगल प्रवचन..
दमोह। धर्म अनादि कालीन है। वस्तु के स्वरूप का नाम धर्म है, हर पदार्थ का अपना धर्म होता है । धर्म बाहर से नहीं थोपा जाता है बल्कि अंदर से उद्घाटित किया जाता है । इस सृष्टि की रचना अनादि काल से स्वाभाविक है । चांद, सूरज, नदी नाले, आकाश और पाताल किसी ने बनाए नहीं ये स्वाभाविक है और रहेंगे। यह बात विज्ञान भी स्वीकार करता है। हम स्वयं के करता भोक्ता है, भगवान हमारे पुण्य कार्य में निमित्त बनते हैं। भगवान की भक्ति करने से हमारे विचारों में निर्मलता आती है। विचारों की निर्मलता और पवित्रता हमें पुण्य संचय कराती है। श्रद्धा, ज्ञान और चारित्र से युक्त शुद्ध आतम भावना इंसान को भगवान बना देते है। यह मंगल उदगार वैज्ञानिक संत आचार्य निर्भय सागर जी महाराज ने श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर में व्यक्त किए।
आचार्य श्री ने कहा संसार में मूर्ख समझदार और विद्वान ये तीन प्रकार के व्यक्ति हैं। एक उदाहरण देते हुए बताया कि 3 व्यक्तियों ने केला खाया। एक व्यक्ति ने केली का छिलका निकाला और घर के सामने रोड पर फेंक दिया ।उसी का बेटा स्कूल से आया और केले के छिलके पर पैर पड़ने से फिसल कर गिर गया और हड्डी टूट गई । ऐसा व्यक्ति मूर्ख कहलाता है। दूसरे व्यक्ति ने भी केला खाया और छिलका डस्टबिन में डाल दिया। ऐसा व्यक्ति समझदार कहलाता है । तीसरे व्यक्ति ने भी केला खाया और छिलका वही पास खड़ी हुई गाय को खिला दिया । ऐसा व्यक्ति विद्वान कहलाता है । यही विवेक पूर्ण क्रिया इंसान को विद्वान और विद्वान को भगवान बना देती है। विवेक हीन क्रिया इंसान को शैतान बना देती है।

आचार्य श्री ने कहा जैसे एक नेता की दृष्टि कुर्सी पर टिकी होती है,अभिनेता की दृष्टि अभिनय से धन की ओर टिकी होती है, वैसे ही एक विद्वान की दृष्टि अपने आत्मा रूपी भगवान पर टिकी होती है। नारी के घर में रहने से मंगल होता है। नारी स्वयं मंगल होती है। यही वजह है कि नारी मरघट के लिए शव यात्रा में नहीं जाती है। निज आत्मा पर विश्वास किए बिना जिन नहीं बन सकते हैं। संतो के चरणों में जाए बिना निजी की पहचान नहीं कर सकते हैं। परोपकार के बिना जीवन नहीं चल सकते हैं। इसीलिए खुद पर विश्वास करो । संतो के चरणों में जाकर खुद की पहचान करो और परोपकार की कार्य करो। इसी में मानव जीवन की सार्थकता है।
प्रवचन के पूर्व आचार्य श्री के पाद प्रक्षालन का सौभाग्य पदम चंद जैन जुझार परिवार को प्राप्त हुआ। वही आचार्य श्री का पड़गाहन कर आहार दान का सौभाग्य नेमचंद बजाज परिवार को प्राप्त हुआ। आचार्य श्री के रात्रि विश्राम दिगंबर जैन नन्हे मंदिर जी धर्मशाला में हुआ। शनिवार को आचार्य श्री के मंगल प्रवचन नसिया जी मंदिर में होंगे वही आचार्य श्री संघ सहित मलैया मील जैन मंदिर तथा आदिनाथ कांच मंदिर पहुंचने की संभावना है।
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