विश्व शांति महायज्ञ, पूर्ण आहुति से विधान संपंन..
दमोह। वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में 8 दिन से सिद्ध चक्र मंडल विधान चल रहा था। शनिवार को विश्व शांति महायज्ञ, महा मस्तकाभिषेक, रथ यात्रा एवं पूर्ण आहुति के साथ समापन हुआ। आचार्य श्री अपने 9 शिष्य के साथ संघ सहित आदिश्वर गिरी में विराजमान रहे। आचार्य संघ की आहार चर्या प्रतिदिन शहर में संपन्न हुई। आयोजक समिति द्वारा 8 दिन तक समस्त जैन समाज, अतिथियों एवं विधान कर्ताओं का सामूहिक भोज आदिश्वर गिरी धर्मशाला में हुआ।
प्रतिदिन आचार्य श्री एवं संघस्त साधु महाराज के मंगल प्रवचन दिन में तीन बार हो हुए। रात्रि में ब्रह्मचारी भैया एवं ब्रह्मचारिणी दीदी के प्रवचन भी हुए। विधान में 8 दिन तक लगातार पंचकल्याणक जैसा माहौल बना रहा। दमोह एवं आसपास के नगरों से प्रतिदिन सैकड़ों भक्त इस आयोजन में पधारे। पाषाण से नवनिर्मित शहर के मंदिर का कार्य तीव्र गति से चल रहा है। चतुर्मुखी सर्वतो भद्र बनाए जा रहे मंदिर में स्थापित करने के लिए एक प्रतिमा दमोह निवासी जितेंद्र बजाज गुड्डू भैया हुकुम कटपीस, दूसरी चैधरी जयकुमार गोकुल चंद जैन नोहटा, तीसरी प्रथमा खेमचंद जी महावीर हार्डवेयर नोहटा, चैथी प्रथमा श्री सोम सोम चंद छेदीलाल भाटिया ने अपने सौजन्य से 51 इंच पद्मासन स्थापित करने की घोषणा की।
आचार्य श्री ने इस अवसर पर कहा जिन मुद्रा धारण करके ज्ञान ध्यान तप में लीन रहना दीक्षा लेने का उद्देश्य होता है। दीक्षा लेकर तपस्या करने पर आत्मा परमात्मा बन जाती है। दीक्षा के बिना मानव जीवन व्यर्थ है। गुरु की कृपा और शिष्य के समर्पण के संगम का नाम दीक्षा है। गुरु के द्वारा किए गए उपकार को स्मरण करने का दिवस ही दीक्षा दिवस है।दिगंबर मुनि दीक्षा लेना वरिष्ठ और गरिष्ठ है। इसीलिए हर व्यक्ति मुनि नहीं बन पाता है। आचार्य श्री के प्रथम शिष्य मुनि श्री शिवदत्त सागर जी महाराज का आज आठवां मुनि दीक्षा दिवस भी आज मनाया गया। चंद्र दत्त सागर जी महाराज ने बतलाया कि मुनि श्री शिवदत्तसागर जी महाराज उत्तर प्रदेश एटा जिले मैं स्थित आवागढ़ ग्राम के निवासी थे। उन्होंने10 वर्ष पूर्व आगरा में मुनि श्री की छुल्लक दीक्षा ग्रहण थी 9 वर्ष पूर्व हस्तिनापुर में एलक दीक्षा एवं 12 दिसंबर 2012 को ग्वालियर में मुनि दीक्षा आचार्य गुरुवर श्री निर्भय सागर जी महाराज के कर कमलों से ग्रहण की थी। दीक्षा दिवस पर आज आचार्य श्री के पाद प्रक्षालन किए गए एवं शास्त्र भेंट कर आरती की गई। संघ के सभी साधु महाराजा ने मुनि श्री के जीवन, साधना एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। दमोह से पधारे जैन जागृति मंडल की बालिकाओं ने मंगलाचरण किया।
कार्यक्रम के उपरांत सभी अतिथियों का विशिष्ट कार्यकर्ताओं का एवं विधान में बनाए गए मुख्य पात्रों का सम्मान विधान आयोजक समिति द्वारा किया गया।
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