मुनि श्री के सानिध्य में 64 रिद्धि अर्घ समर्पित किए
दमोह।
नगर के श्री पारसनाथ दिगंबर जैन नन्हे मंदिर जी में आचार्य श्री
विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद एवं उनके परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री
सुब्रत सागर महाराज की प्रेरणा एवं सानिध्य में श्री 1008 शांतिनाथ महामंडल
विधान का 16 दिवसीय आयोजन चल रहा है। श्री शांतिनाथ
महामंडल विधान के छठवें दिन मुनि श्री सुब्रत सागर महाराज के सानिध्य एवं
मुखारविंद से श्रावक जनो के द्वारा 64 रिद्धि अर्ध समर्पित किए गए। इसके
पूर्व प्रातः बेला में श्री जी के अभिषेक का सौभाग्य विधानकर्ताओं को
प्राप्त हुआ।
आज के पुण्य अर्जक परिवारों में मनीष बजाज सिद्धार्थ बजाज
शक्ति भंडार परिवार, नेमचंद बजाज पदम बजाज विनय बजाज परिवार एवं विमल खजरी
परिवार को श्रीजी की शांति धारा करने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ। इसके
पूर्व ध्वजारोहण करता राजेश हिनोती देवांश ऋषि परिवार को प्रथम दिवस पुण्य
अर्जक बनके मंदिर कमेटी अध्यक्ष गिरीश नायक के साथ शांति धारा का सौभाग्य
मिला। द्वितीय दिवस संतोष जैन बनवार परिवार, तृतीय दिवस चक्रेश जैन शाहपुर
परिवार, चतुर्थ दिवस राजेंद्र अटल परिवार, पंचम दिवस सुनील बड़े राय परिवार
को विधान का पुण्य अर्जक बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। संपूर्ण विधान
कार्यक्रम विधान आचार्य अनु पारस भैया के सानिध्य में हो रहा है। आज
सिंघई मंदिर सीआई भक्तजनों के द्वारा जैन धर्मशाला पहुंचकर पूजन द्रव्य
सामग्री समर्पित की गई।
मुनि श्री सुब्रत सागर जी महाराज के पाद प्रक्षालन
का सौभाग्य दिगंबर जैन पंचायत के अध्यक्ष सुधीर सिंघई एवं वरिष्ठ समाजसेवी
श्रेणिक बजाज को प्राप्त हुआ। शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य विजय नायक
कल्लू नायक परिवार ने प्राप्त किया। आज पाठशाला के बच्चों को उपहार सामग्री
कापड़िया परिवार द्वारा प्रदान की गई। मुनि श्री के मंगल प्रवचन का लाभ
भी सभी उपस्थित श्रावक जनों को प्राप्त हुआ नए वर्ष
की पूर्व बेला में 31 दिसंबर की रात्रि में मुनि श्री के सानिध्य में 48
दीपों से भक्तांबर महामंडल विधान का आयोजन किया जाएगा। वही नए वर्ष में 1
जनवरी की प्रातः बेला में भगवान शांतिनाथ का ज्ञान कल्याणक मनाया जाएगा। यह
प्रथम अवसर है जब एक वर्ष में प्रारंभ हुए विधान का समापन दूसरे वर्ष में
होगा। मंदिर कमेटी के अध्यक्ष गिरीश नायक और विधान सहयोग राजेश हिनौती ने
सकल जैन समाज से विधान में शामिल होकर धर्म लाभ अर्जित करने की अपील की है।
कुंडलपुर में पिच्छिका परिवर्तन समारोह आयोजित
दमोह
।पिच्छिका दिगंबर जैन साधु का अत्यंत महत्वपूर्ण उपकरण है ,जिसके बिना जैन
साधु गमनागमन एवं पठन-पाठन आदि कोई भी प्रवृति नहीं कर सकता। पिच्छिका
प्रतिलेखन अर्थात परिमार्जन में सहायक रहती है। यह पिच्छिका मयूरपंख की ही
बनती है ।चातुर्मास के अंत में इसे बदलकर नई पिच्छिका ग्रहण कर ली जाती है।
इस तरह पुरानी पिच्छिका अलग कर नई को ग्रहण कर लेना ही पिच्छिका परिवर्तन
है।
उपरोक्त उद्गार संत शिरोमणि आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री निरंजन सागर जी महाराज ने कुंडलपुर में पिच्छिका परिवर्तन समारोह में व्यक्त किए। मुनि श्री ने आगे कहा यह हृदय परिवर्तन का कार्य है ।अपनी
जीवन चर्या को सात्विक संयमित बनाने वाले कुछ श्रावक ग्रहस्थ मुनि गणों को
नई पिच्छिका प्रदान करते हैं और कुछ पुरानी पिच्छिका ग्रहण करते हैं।
इस अवसर पर कुंडलपुर क्षेत्र कमेटी पदाधिकारी एवं बाहर से पधारे भक्त गणों ने मुनि श्री को श्रीफल समर्पित कर आशीर्वाद ग्रहण किया। मंगलाचरण, चित्र
अनावरण ,दीप प्रज्वलन के पश्चात शास्त्र भेंट किए गए। आचार्य श्री की
संगीतमय पूजन हुई ।श्रावक गणों ने अलग-अलग समूह में नाचते गाते हुए
अष्टद्रव्य समर्पित किए। इस अवसर पर सांस्कृतिक मनमोहक प्रस्तुति हुई।
मुनि
श्री को नई पिच्छिका भेंट करने का सौभाग्य समस्त ब्रह्मचारी भैया एवं
दीदी जी कुंडलपुर को प्राप्त हुआ। मुनि श्री की पुरानी पिच्छिका प्राप्त
करने का सौभाग्य प्रकाश चंद जैन श्रीमती मालती अमित जैन शास्त्री कुंडलपुर
को प्राप्त हुआ। सकल जैन समाज कुंडलपुर एवं बाहर से पधारे हुए भक्त जनों की
उपस्थिति रही।
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