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श्री सिद्धचक्र विधान के अंतिम दिन पंच मुनिराजों के सानिध्य में जिन सहस्त्रनाम के 1024 अर्घ समर्पित.. विश्व शांति यज्ञ उपरांत श्रीजी की भव्य शोभायात्रा आज.. इधर विरागोदय तीर्थ में आर्यिका विश्वशांताश्री माता जी का समाधि मरण महोत्सव..

 विधान के अंतिम दिन 1024 अर्घ समर्पित किए गए

दमोह। श्री पारस नाथ दिगंबर जैन नन्हे मंदिर जी में अष्टा निका महापर्व पर आयोजित श्री 1008 सिद्धचक्र महा मंडल विधान के अंतिम दिन मंगलवार को जिन सहस्त्रनाम विधान के 1024 अर्घ्य समर्पित किए गए। इस अवसर पर कुंडलपुर से पुनः विधान में पधारे गणाचार्य विराग सागर जी महाराज के शिष्य उपाध्याय संघ का पावन सानिध्य भी सभी को प्राप्त हुआ।

इस अवसर पर परम पूज्य मुनि श्री विलोक सागर जी महाराज ने कहा कि अच्छे भाग्य का मिलना बहुत दुर्लभ है बहुत दुर्लभ इसलिए क्योंकि अच्छा भाग्य बार-बार नहीं मिलता है आज आप परम सौभाग्यशाली हैं आपने भगवान के सहस्त्रनामो को सहस्त्रनाम विधान के माध्यम से अर्घ्य समर्पित किए हैं हम भी मुनि बने ताकि अपने अस्त कर्मों का नाश करके परम सिद्ध अवस्था को प्राप्त कर सकें आज तीन मुनिराज का आगमन दमोह नगर में हुआ रत्नत्र के प्रतीकमुनिराजो क़ो नमन वंदन कर आप अपने कर्मों का क्षय कर सकते हैं।

प्रतिष्ठाचार्य ललन भैया के निर्देशन में संपन्न विधान में सौधर्म इंद्र श्रेयांश लहरी, कुबेर इंद्र राजकुमार जैन जबलपुर, सनत कुमारेंद्र पदम लहरी, बाहुबली सौरभ लहरी, सुमित लहरी, राहुल लहरी, संतोष गांगरा, संतोष सिंघईं, नवीन निराला, सौरभ जैन, राजेश हिनोती, चक्रेश सराफ, रविंद्र शीशम, चंद्र कुमार खजरी, जिनेन्द्र उस्ताद, सहित विधान में सम्मिलित हुए सभी पात्रों ने जिन सहस्त्र नामो को अर्घ्य समर्पित कर पुण्य अर्जन किया।

आज की शांति धारा करने का सौभाग्य श्रेयांश लहरी परिवार को प्राप्त हुआ। शास्त्र भेंट पवन कुमार सिलवर हाउस, सुधीर जैन बिजोरा, सौरभ जैन सिवनी परिवार ने किया। पाद प्रक्षालन करने का सौभाग्य प्रदीप शास्त्री रतन चंद सनाई परिवार को प्राप्त हुआ। बुधवार 8 मार्च को प्रातः श्रीजी का अभिषेक शांतिधारा पूजन एवं विश्व शांति यज्ञ किया जाएगा। उसके उपरांत प्रातः ठीक 10 बजे पूज्य मुनि संघ के सानिध्य में श्री जी की  विशाल शोभायात्रा निकाली जावेगी। श्री दिगंबर जैन पंचायत के अध्यक्ष विधान समिति के संयोजक सुधीर सिंघई उप संयोजक गिरीश नायक मंदिर प्रभारी राजेश हिनौती एवं विधान के पुण्य अर्जक परिवार श्रेयांश लहरी ने सभी समाज जन से शोभायात्रा में शामिल होकर धर्म लाभ की अपील की है।

विरागोदय तीर्थ में आर्यिका विश्वशांताश्री माता जी का समाधि मरण महोत्सव

पथरिया विरागोदय तीर्थ की पुण्यधरा पर परम पूज्य भारत गौरव राष्ट्रसंत गणचार्य श्री विराग सागर जी महामुनिराज के कुशल निर्यापकाचार्यत्व तथा 56 पिच्छी के मंगलमयी सानिध्य में पूज्यगणाचार्य  की सुशिष्यापूज्य श्रमणी आर्यिका 105 श्री विश्वशांता का पूज्य गणाचार्य के श्री मुख से पंच नमस्कार मंत्र एवम् आत्मसंबोधन सुनते हुये 7 मार्च को प्रातः 6.16 बजे निर्विघ्न रूप से समाधि मरण सम्पन्न हुआ।

ज्ञातव्य है कि 91 वर्षीय माताजी की क्षुल्लिका दीक्षा पूज्य गणाचार्य श्री के पावन कर कमलों से 16 मार्च 2015 को श्रेयांशगिरी  में संपन्न हुई थी तथा दीक्षा उपरांत 9 वर्ष तक रत्नत्रय के तेला अष्टमी चतुर्दशी उपवास मौन साधना इत्यादि में लीन रही। विशेष त्याग तपस्या करते हुए 12 वर्षीय सलेंखना व्रत भी पूज्य गुरुदेव से श्री सम्मेद शिखर जी (2018) में ग्रहण किया था। 06 मार्च 23 को माताजी को गंभीर स्थिति देखते हुए पूज्य गणाचर्य गुरुदेव ने इन्हे आर्यिका दीक्षा प्रदान कर यम सलेंखना व्रत के साथ चतुर्विध आहार का त्याग करवाया। 

आज 7 मार्च को माताजी ने गुरुमुख से नवकार मंत्र श्रवण करते हुए नश्वर देह को त्याग दिया। जीवन परिचय गृहस्थ नाम श्रीमति शांति देवी जैन जन्म  छतरपुर,ग्रहस्थ जीवन के पति श्री अच्छेलाल जैन डेवडिया। प्रतिमाव्रत 7 प्रतिमा पूज्य गणाचार्या गुरुदेव से। क्षुल्लिका दीक्षा 16 मार्च,2015 (श्रेयांशगिरि) पन्ना में सम्पन्न हुई। पूज्य माता जी की विशेष रुचिअध्ययन,जाप,तीर्थवंदना की सदैव रही है।


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