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समाजसेवी मीसाबंदी संतोष भारती ने लोकतंत्र सेनानी सम्मान वापस लौटाया.. मुख्य मंत्री को पत्र लिखकर तीन कृषि कानूनों के विरोध में जारी जन आंदोलन के प्रति.. सरकार के दमन चक्र को घोर निंदनीय बताया

संतोष भारती ने लोकतंत्र सेनानी सम्मान को वापस लौटाया

दमोह। समाजवादी विचारक एवं वरिष्ठ मीसाबंदी संतोष भारती ने गणतंत्र दिवस के मौके पर लोक तंत्र सेनानी सम्मान को लेने से इनकार करते हुए इसे वापस कर दिया तथा तीन कृषि कानूनों के विरोध में देश में आंदोलनरत किसानों के प्रति सरकार की दमनकारी नीति को घोर निंदनीय बताया है तद संदर्भ में प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान को उन्होंने पत्र भेजकर लोकतंत्र सेनानी सम्मान वापस करने की वजह से भी अवगत कराया है। 

मुख्यमंत्री के नाम जारी पत्र में  उन्होंने स्पष्ट किया है कि आपके प्रतिनिधिगण हमारे आवास पर पधारे है इस आशय से कि मध्य प्रदेश शासन के मुख्यमंत्री शासन के मुख्यमंत्री के निर्देश पर लोकतंत्र सेनानी के नाते शाल एवं श्रीफल से मेरा सम्मान किया जाना है। किंतु मुझे कथित सम्मान स्वीकार नहीं है क्योंकि वर्तमान में दिल्ली की सीमाओं सहित देश के विभिन्न मागों में भारत सरकार के तीन कृषि बिलों/काले कानूनों के खिलाफ करोड़ों किसानों द्वारा पिछले दो माह से शांतिपूर्ण एवं मर्यादित ढंग से चल रहे लोकतांत्रिक जनआंदोलन के विरूद्ध भारत सरकार के शासकों द्वारा जो दमनचक्र चलाया जा रहा है, वह घोर निन्दनीय है।

पत्र में आगे लिखा गया है कि मेरी आयु 80 वर्ष के करीब है अपने जीवनकाल में लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना निमित मुझे 3 बार मीसा जैसे काले कानून के तहत सबसे पहले 1973 पुलिस विद्रोह भड़काने, 74 में अखिल भारतीय रेल हड़ताल के समर्थन और फिर 75 आपातकाल के समय इस तरह कुल 3 बार निरूद्ध किया गया। किंतु वर्तमान में इस देश में शासन कर रहे मुखिया शासक कितने हृदयहीन और कू्रर प्रकृति के है, जो अब तक करीब 160 किसानों की शहादत के बावजूद कानूनों को वापिस लेने तैयार नहीं है। यह जान समझकर गहन पीड़ा अनुभव हो रही है कि, भारत देश में शासन कर रहे आरएसएस/भाजपा की राजनीतिक कोख से जन्में जीवों के डीएनए गत 13 अप्रैल 1919 को जालियांवाला काण्ड, जिसमें हजारों सिख स्वतंत्रता संग्राम सेनानियांे को गोलियों से भून दिया गया था, अंग्रेज ब्रिगेडियर जनरल रेगीनाल्ड डायर के डीएनए से मिलते है। धिक्कार है लोकतंत्र मुल्यों के हत्यारे शासकों द्वारा भिजवाया गया शाल श्रीफल अस्वीकार है। सच लिखना अगर बगावत है तो समझों हम भी बागी है।

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