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जुमे की नमाज के बाद दमोह जिले की समस्त मस्जिदों में खास ऐलान.. शहर काजी और मस्जिदों के इमामों ने लिया बड़ा फैसला.. मुस्लिम शादियों में जहाँ डान्स डीजे और पटाखें जलेंगे वहाँ नहीं पढ़ायेंगे निकाह..

 मुस्लिम समाज के धर्म गुरुओं ने लिया अहम फैसला.. 

दमोह। शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद दमोह जिले की समस्त मस्जिदों में एक खास ऐलान किया गया जो शहर काजी द्वारा एक लिखित पत्र सभी मस्जिदों में नमाज के बाद पढ़ा गया जिसमें साफ साफ कहा गया है कि शहर काजी सहित सभी हाफिजों ने ये निर्णय लिया कि मुस्लिम समाज में फैले गलत रीति रिवाजों को अब दूर किया जाये जैसे शादियों में नाच गाना ,डी जे और पटाखे जलाना जैसी गलत परंपराओं से मुस्लिम समाज को छुटकारा दिलाने के लिए बड़ा फैसला लेते हुए शहर काजी कुतुब अली ने बताया कि आज के बाद से हम व हमारे शहर के इमाम उन शादियों में लड़के लड़कियों की शादियों में नहीं जायेंगे जहाँ डी जे बजेगा और डान्स होगा साथ ना उनके निकाह हम लोग पढ़ायेंगे। 

ऐलान में आगे ये भी कहा गया है कि लड़का पक्ष और लड़की पक्ष दोनों से लिखित दस्तखत लेने के बाद ही शादियों में निकाह पढ़ाने की सहमति दी जाएगी अगर दोंनो पक्ष इस बात पर राजी होंगे कि हमारे यहाँ की शादी में कोई गैर इस्लामी काम नहीं  होंगे तभी हम उनके यहाँ निकाह पढ़ाने जाएंगे इस फैसले से मुस्लिम समाज में एक बड़ा सुधार आएगा ऐसा शहर काजी का और इमामों का मानना है। यह जानकारी इम्तियाज चिश्ती ने एक विज्ञप्ति के माध्यम से दी।                

अब नहीं कटेगा जन्मदिन पर केक, हाजी असगर अली ने अपने ही घर से की शुरुआत..दादा ने पोती के जन्मदिन पर केक काटने पर दिया फतवा कहा ना इस्लामी तरीका है और ना हमारे देश की संस्कृति..



दमोह जिले में मुस्लिम समाज के धर्म गुरुओं ने समाज में फैली बुराइयों के लिए बड़ा कदम उठाया जिसमे सबसे पहले अमल करते हुए पूर्व तहसीलदार हाजी असगर अली ने अपने ही घर  के बच्चों के जन्मदिन पर मनाई जानी पार्टी के खिलाफ फतवा देते हुए कहा कि आज से हमारे घर में ये पश्चिम सभ्यता का आयोजन नहीं होगा गौरतलब है कि दमोह ईदगाह कमेटी के अध्यक्ष समाज सेवी आजम खान की बिटिया काफिया का 18 फरवरी को जन्मदिन था जिसमें केक काटना था लेकिन बिटिया के दादा हाजी असगर अली ने सबसे पहले आगे आकर इस पर अमल करते हुए केक काटकर जन्मदिन मनाने से मनाकर दिया और कहा कि सब बच्चे जन्मदिन पर किसी जरूरतमंद गरीब की मदद करें, गरीबो को खाना बांटों और सब मिलकर एक साथ खाना खाओ लेकिन केक काटना ना तो हमारे इस्लाम का तरीका है और ना ही हमारी भारतीय संस्कृति बच्चों के दादा हाजी असगर अली ने केक काटने पर पावंदी लगा दी उन्होंने कहा कि ये हमारे यहां नहीं चलेंगी इस का हम अपने घर से ही वहिष्कार करते है। इमत्यिाज चिश्ती की रिपोर्ट

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