आचार्य श्री के राजीव गांधी कॉलोनी में मंगल प्रवचन..
दमोह। वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज संघ सहित राजीव कॉलोनी दमोह में विराजमान है प्रतिदिन प्रातः 8:45 बजे से मंगल प्रवचन होते हैं दोपहर 3 बजे से समय सार ग्रंथ का व्याख्यान चल रहा हैशाम 6:30 बजे सेआपके सवाल गुरुदेव के जवाबऑनलाइन शंका समाधान निर्भय वाणी यूट्यूब चैनल पर चल रहा हैआचार्य श्री के सानिध्य में श्री महावीर दिगंबर जैन मंदिर राजीव कॉलोनी के वार्षिक उत्सव का आयोजन भी बड़े उत्साह से किया गया। वार्षिक उत्सव के उपलक्ष में विशेष मंत्रों से शांति धारा की गई पंडित आशीष भैया एवं अभिषेक भैया जी ने पूजा विधान संगीत में संपन्न कराया।
इस अवसर पर आचार्य श्री ने मंगल उपदेश देते हुए कहा पुरुषार्थ हीन व्यक्ति पशु के समान है पुरुष वही है जो पुरुषार्थ करें। चार पुरुषार्थ रूपी स्तंभ पर मानवता का भवन खड़ा होता है। चारों पुरुषार्थ मानवीयता के आधार स्तंभ है पुरुषार्थ जगाने से सोया भाग्य भी जाग जाता है और पुरुषार्थ हीन के जागा हुआ प्रसन्न भाग्य भी रूठ जाता है। व्यसनी कामी चोर डाकू आतंकवादी इत्यादि लोग अपने कार्य की सिद्धि के लिए श्रम करते हैं और वे अपने कार्य में सफल भी हो जाते हैं लेकिन वह पुरुषार्थ नहीं कहलाता है क्योंकि पुरुष यानी आत्मा का जिसमें अर्थ यानी कि प्रयोजन सिद्ध हो वह पुरुषार्थ कहलाता है।
अन्याय अनीति और हिंसा आदि कार्य करने से आत्मा का जो मुख सुख शांति और आनंद रूप प्रयोजन है वह सिद्ध नहीं होता इसलिए उसे पुरुषार्थ नहीं कहते है। पुरुष 72 कलाओं से संपन्न होता है उसमें आजीविका चलाने की और आत्मा के कल्याण की कला मुख्य रूप से पुरुष करते हैं जिसे यह दोनों कला करना आ जाए वह सही मायने में पुरुष है। जब धन अर्जनन्याय नीति और मेहनत से किया जाता है तब वह अर्थ पुरुषार्थ कहलाता है। जब धन धर्म के मार्ग में दान पुण्य के कार्य में लग जाता है तब वही धन मोक्ष का साधन बन जाता है।
आदमी ने अपनी सुख सुविधा के लिए पहले मशीन बनाई लेकिन अब स्वयं मशीन बन गया है फिर भी सुख शांति प्राप्त नहीं कर पाया है क्योंकि सुख शांति भौतिक वस्तुओं से नहीं मिलेगी वल्कि आध्यात्मिक होने पर मिलेगीआचार्य श्री ने कहा पति से रहित नारी का श्रृंगार व्यर्थ हैपुत्र से रहित धन व्यर्थ है नाक से रहित मुख का श्रृंगार व्यर्थ हैसंता सीरियल संविदा से रहित साधु की साधना व्यर्थ है। संसार की समस्याओं का समाधान पैसों में नहीं पुरुषार्थ में है नफरत में नहीं प्रेम में हैमुनि श्री शिवदत्त सागर महाराज ने कहा भगवान को मानने वाले बहुत है लेकिन भगवान की बात मानने वाले बहुत कम है भगवान को मानने से कष्ट दूर नहीं होंगे बल्कि भगवान की बात मानकर सद मार्ग पर चलने से दुख दर्द दूर होंगे मुनि श्री ब्रह्मदत्त सागर जी महाराज ने कहा अच्छा बोलने से बाहरी संबंध बनता है और मौन रहने से आत्मा से संबंध बनता है।
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