विजयनगर विधान में में हुई मुनि संघ की भव्य मंगल आगवानी..
दमोह। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम शिष्य मुनि श्री प्रशांत सागर जी महाराज एवं मुनि श्री निर्वेग सागर जी महाराज के दमोह नगर आगमन पर जैन समाज के द्वारा मंगल अगवानी की गई मुनि संघ जबलपुर नाका से विजय नगर पहुंचे जहां पर चल रहे सिद्धचक्र महामंडल विधान में अपना मंगल सानिध्य प्रदान करते हुए प्रवचन अमृत प्रदान किए।
विधान आयोजन समिति के मीडिया प्रभारी सुनील वेजिटेरियन ने बताया कि मुनि संघ के आगमन पर आरिका संघ के साथ विधान के महापात्रों ने कॉलोनी के मुख्य द्वार पर पहुंचकर मुनि संघ की भव्य अगवानी है कॉलोनी में अनेक स्थानों पर मुनि संघ का पाद प्रक्षालन किया गया एवं मंगल आरती उतारी गई।
इस अवसर पर आर्यिका रत्न ऋजु मति माताजी ने अपने मंगल प्रवचनों में कहा कि मुनि मंगल के सबसे बड़े प्रतीक हैं उनके आगमन से सभी अनुष्ठान सानंद संपन्न होते हैं मुनि श्री निर्वेग सागर जी महाराज ने कहां की सिद्ध भगवान ने अपने दुखों से मुक्ति पा ली उनकी भक्ति कर हम भी अपने संसार दुखों का अंत करने की भावना भाते हैं।
उन्होंने कहा कि जैन दर्शन मैं सबसे पहले नारी शिक्षा पर जोर दिया गया युग के आदि में जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव ने अपनी दोनों बेटियों ब्राह्मी और सुंदरी को अक्षर और लिपि का ज्ञान कराया था किंतु आज बेटियों को ज्यादा शिक्षित करा कर उनसे नौकरी कराई जाती है जो कि शोभायमान नहीं है। महिलाओं को सिर्फ विपत्ति काल में ही जीविका उपार्जन करना चाहिए धन अर्जन करना पुरुषों का कर्तव्य है। बेटियों को सिर्फ बहु रानी सेठानी बनाना चाहिए। उन्हें नौकरी करा कर नौकरानी बनाना उपहास है गरिमा के अनुकूल नहीं है।
मुनि श्री प्रशांत सागर जी महाराज ने कहा कि श्रावक श्रद्धा वान विवेक वान एवं चरित्रवान होना चाहिए जिनेंद्र भगवान की भक्ति के प्रभाव से बहुत बड़े-बड़े कष्ट दूर हो जाते हैं मैना सुंदरी ने अपने कोरी पति को भी प्रभु की भक्ति से ठीक कर लिया था किंतु आज मैना सुंदरी तो बहुत है लेकिन श्रीपाल बहुत कम दिखते हैं।
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