मुनि श्री योग सागर जी महाराज की भव्य आगवानी
दमोह। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम शिष्य निर्यापक मुनि श्री योग सागर जी महाराज के ससंघ मंगल आगमन पर समाज के द्वारा मंगल आगवानी की गई। इसके पूर्व मुनि संघ ने बलेह ग्राम से 31 किलोमीटर पदयात्रा करते हुए सागर नाका स्थित जैन इंग्लिश मीडियम स्कूल में पहुंचे जहां पर उन्होंने रात्रि विश्राम किया।
इसके पूर्व बामनोद में आहार चर्या संपन्न हुई। कुंडलपुर क्षेत्र कमेटी के प्रचार मंत्री सुनील वेजिटेरियन ने बताया कि आज 21 जुलाई को मुनि संघ पदयात्रा करते हुए आमखेड़ा पहुंचेगा जहां पर आहार चर्या संपन्न होगी उसके पश्चात कल 22 जुलाई को कुंडलपुर में प्रातः काल 7ः30 बजे मंगल प्रवेश होगा कुंडलपुर कमेटी के साथ अनेक भक्त गणों के द्वारा भव्य अगवानी की जावेगी।
दमोह में मंगल अगवानी के अवसर पर दिगंबर जैन पंचायत के अध्यक्ष सुधीर सिंघई कुंडलपुर कमेटी के अध्यक्ष संतोष सिंघई, देवेंद्र सेठ, रूपचंद संगम, अभय बनगांव, नवीन निराला, वीरेंद्र बजाज, श्रेयांश लहरी, ग्रीस अहिंसा, श्रेयांश सराफ, ललित सराफ, मनीष मलैया, सुनील वेजिटेरियन, संजीव शाकाहारी, महेश दिगंबर, आनंद बीएसएनएल, डॉ चेतन जैन, डॉ आई सी जैन, गुड्डू भैया, चक्रेश सराफ, राजेश खाद आदि की उपस्थिति रही।
सिद्धचक्र महामण्डल विधान में सिद्धों की आराधना
हटा, आने वाली पीढी आपको तभी मंदिर के द्वार ले जायेगी जब आप आज अपने साथ अपने बच्चों को मंदिर ले जायेगें, जब बच्चों के हाथ में मंगल कलश होगा, भगवान का अभिषेक करेगा तो बचपन के संस्कार ही उसे नशा व्यसन से दूर रखेगें। मंदिर केवल श्रद्धा व आस्था का केन्द्र नहीं बल्िक संस्कार प्रदान करता है। यह बात आर्यिका श्री गुणमति माता जी ने श्री आदिनाथ दिगम्बर त्रमूर्ति मंदिर में श्री सिद्धचक्र महामण्डल विधान में अपने मंगल प्रवचन में कही।
आर्यिका श्री ने कहा कि भगवान को धन्यवाद ज्ञापित करे कि आज का दर्शन आज का दिन मंगलमय रहा कल का सूरज भी दिखा देना वरना यही मेरा अंतिम दर्शनए प्रणाम स्वीकार करोए मंदिर ही मोक्ष मार्ग की ओर ले जाता हैए जब भी मंदिर जाओ तो पांचो पाप का त्याग करके मंदिर जाना चहिएए मंदिर में अहंकार को लेकर नहीं वरन नम्रताए विनम्रता के साथ दर्शन करना चाहिएए अहंकार का स्थान तो वहां है जहां जूते चप्पल रखे जाते हैए मंदिर के वस्त्र शुद्ध साफ होना चाहिए।कोई अनुष्ठान हो तो केशरिया वस्त्र पहनेए सफेद वस्त्र शांति व सत्य का प्रतीक होता हैए यदि आप भडकीले वस्त्र पहनकर मंदिर जा रहे और आपके वस्त्रों को देखकर दूसरों के मन में विकार उत्पन्न हो रहे तो आप भी उस पाप के भागीदारी है। जिन वस्त्रों को देख उसके मन में विकार आये है मंदिर जी आज सिद्धों की आराधना में पुण्यार्जक हेमकुमार एवं शीला के साथ श्रद्धालुओं ने अर्घ चढायें, आदित्य भैया द्वारा संगीतमय पूजन पाठ कराया जा रहा है।
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