स्वर्ण जैसा आकर्षण सामान्य को विशेष बना देता हैं- आचार्य श्री
दमोह।
कुंडलपुर में संत शिरोमणी आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने मंगल प्रवचन में कहा कि
कोई भी विशेषता प्राप्त होती हैं तो उसके किए गए कार्यों में क्या साधना की
वह छिपी रहती हैं। साधन के बगैर यदि कोई व्यक्ति आकाश मार्ग से ।विहार
करता है तो उसमे कोई न कोई शक्ति विद्यमान हैं तभी तो वह हल्का फुल्का बनकर
चल रहा है क्योंकि विमान से, यंत्र के माध्यम से तो सामान्य व्यक्ति चल
सकते हैं पर वाहन के बिना कोई व्यक्ति विहार करता है तो समझ में आता है कि
कोई गूढ़ या परोक्ष कोई न कोई शक्ति विद्यमान हैं जिसके द्वारा वह आकाश में
चल पा रहा है। रिद्धि विशेष होने के कारण उसको यह शक्ति प्राप्त होती हैं,
यह रिद्धि विशेष संकल्प के साथ प्राप्त होती है, कई बार बिना संकल्प के
भी प्राप्त हुआ करती है, पर ऐसी कौन सी निरीहता हैं कि ये कार्य हो जाते
है, जब हम इष्ट का विशेष ध्यान रखते हैं तो हमे इस तरह की चीजे यू ही
प्राप्त हो जाया करती है।
ज्ञानी की दृष्टि, ध्यानी की दृष्टि, तत्व वेक्ताओ की दृष्टि जब बहुमूल्य की ओर चली जाती है तो ये मूल्यवान पदार्थ उनके लिए मूल्यहीन हो जाते है। रिद्धिधारियों में चकाचौंध नहीं रहता, सामान्य से हटकर रहते हैं। हमें हमेशा हमेशा विशेष की ओर दृष्टि नहीं रखना चाहिए, आजकल स्वर्ण पॉलिश की चीजों में सोने से ज्यादा चकाचौंध पाई जाती है, पर सोने में आकर्षण होता है पर सोने की पोलिस वाली वस्तुओ में ज्यादा चकाचौंध पाई जाती है उसी तरह रिद्धिधारी मुनि भी सहज, मौलिक अन्यों से हटकर रहते है। सामान्य से विशेष हमेशा हटकर रहते हैं। हमेशा हमेशा विशेष की ओर नहीं देखना चाहिए, सामान्य से हटकर जब विशेष की तैयारी हो जाती है बुरा नहीं लगता बल्कि अपनी शंकाओं का निराकरण होने पर प्रसन्नता होती हैं। आचार्य श्री ने बोध के विषय पर भी सभी को समझाया कि ज्ञान अपने आप महत्वपूर्ण होता है, दर्शन विशुद्ध, सम्यक दर्शन से निर्मलता, उज्जलता, निरिहता का बोध होता रहता है। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को नवधा भक्ति भाव से पड़गाहन करके आहार देने का सौभाग्य दो प्रतिमा धारी श्रीमति रजनी पलंदी/स्व संतोष पलंदी, शशांक पलंदी दमोह के परिजनों को प्राप्त हुआ।
मुक्ति सामाजिक एवं सांस्कृतिक मंच ने किया रंग चौपाल नाट्य समारोह का आयोजन
नाट्य समारोह के मंचन में पंचलाइट कहानी में गांव के सादेपन और भोलेपन को दर्शाया है। नाटक में गांव के आपसी प्रेम छोटी-छोटी बातों पर एक दूसरे से उलझना और फिर गांव के लिए और बिरादरी की इज्जत के लिए सबकी एक होने की कहानी को बतलाया गया है कहानी में हास परिहास छोटे-छोटे व्यंग एवं अंत में सामाजिक रूडीवाद को तोड़ते हुए एक होने की सुखद कहानी को बतलाया गया है। नाटक में गोधन अखिलेश गोस्वामी, मुनरी साक्षी सोनी, काकी संजय रजक, सरपंच सास्वत, सनाढ्य सूत्रधार रंजीत पारोचे, पंच का रोल मोहित सिंह ठक्कर और गौरव रोहतास, बिजूका का रोल अभि झरिया, पंडित का किरदार अर्जुन सिंह ने निभाया है।
संगीत पर रोहित और कोमल थे। मंच की साज-सज्जा प्रशांत जाडिया ने की। मंच पर प्रकाश व्यवस्था आकाश सोनी, भरत राय ने संभाली, मेकअप और वेशभूषा का कार्य महेंद्र राठौर, कमलेश खरे ने किया। संपूर्ण मंचन में महत्वपूर्ण भूमिका लालू अमरदीप जैन, बृजेंद्र राठौर, दीपक श्रीवास्तव, महेंद्र दुबे ने की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विधायक श्री अजय टंडन, भाजपा जिला अध्यक्ष प्रीतम सिंह लोधी, सिद्धार्थ मलैया, आलोक सोनवलकर, हरीश पटेल एवं आरके जैन अनुनाय श्रीवास्तव रहें। मंच का संचालन अनुनय श्रीवास्तव, भरत राय, आशीष तंतुवाय ने किया एवं आभार प्रशांत जड़िया ने माना।
विभिन्न क्षेत्रों में बाबा उमाकांत जी महाराज के आदेश से असहाय गरीबों को दिए जा रहे कंबल
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