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अगले 8 से 10 दिनों में बेलाताल को पूरी तरह से साफ और स्वच्छ कर दिया जाएगा-कलेक्टर.. सकोर में पीएम सड़क निर्माण में बाधक बन रहे अतिक्रमण को हटाया.. चित्र की नहीं चरित्र की सुंदरता होनी चाहिये- दिव्या देवी..कथा के पांचवे दिन श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन

अगले 8 से 10 दिनों के अंदर बेलाताल को पूरी तरह से साफ और स्वच्छ कर दिया जाएगा.कलेक्टर श्री कोचर

दमोह।  कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने कहा जिले में सफाई लगातार कराई जा रही है और नालो की सफाई जहां पर गंदगी और कूड़ा करकट होता है उसकी सफाई कराई जा रही है। तालाबों की सफाई भी शुरू कर दी गई है बेलाताल की सफाई का काम शुरू हो गया है। अगले 8 से 10 दिनों के अंदर बेलाताल को पूरी तरह से साफ और स्वच्छ कर दिया जाएगा। अतिक्रमण के कारण जहां.जहां पर भी रास्ते ब्लॉक हुए हैं उनको हटाने का काम भी प्रारंभ किया है। उन्होंने बताया तालाब सड़कों नालियों की सफाई और गलत तरीके से किए गए अतिक्रमण को हटाया जा रहा है।

कलेक्टर श्री कोचर ने कहा अक्सर ऐसा होता है कि हम आज सफाई करते हैंए कल वहां पर वापस कचरा डाल दिया जाता हैए आज हम अतिक्रमण हटाते हैं कल लोग वापस आकर वहीं पर बैठ जाते हैं। आज हम तालाब की सफाई करते हैं कल वहां पर लोग वापस पूजा की सामग्री या अन्य दूसरी चीज डालते हैं। उन्होंने कहा सरकारी मशीनरी हो या अन्य मशीनरी हो उनके संसाधनों की एक सीमा होती हैए वे एक सीमा तक काम कर पाते हैं और फिर उसके बाद उन चीजों को समाज के माध्यम से लेना जरूरी होता है।उन्होंने कहा मैं बार.बार आप सभी से यही आग्रह करता हूं कि अस्वच्छता या अतिक्रमण मुक्त शहरए सुंदर शहर बनाना केवल सरकार की और प्रशासन की जवाबदारी नहीं है यह हमारी संस्कृतिए हमारे संस्कारों हमारी आदतों में आना चाहिए। श्री कोचर ने कहा शहर को स्वच्छ विकसित और सुंदर बनाने क्लीन और ग्रीन करने के जो प्रयास है उन सभी पर पानी ‍फिरता है। इसलिए मेरा आप सभी से दो से तीन आग्रह हैं इन पर ध्यान दीजिएगा।

कलेक्टर श्री कोचर ने बताया पहले हम तालाबों की सफाई और तालाबों का सीमांकन कर रहे हैं। मेरा आप सभी से आग्रह है तालाबों में कूड़ा करकट ना फेंके उसमें पूजन की सामग्री ना फेकें तभी तालाब सुरक्षित रह पाएंगे। उन्होंने कहा तालाब दो कारणों से गंदे होते हैंए पहला या तो उसमें सीवेज का पानी मिलता है और दूसरा या तो उसमें बाहर से कचरा मिलता है। बेलाताल में सीवेज का पानी कहीं से भी नहीं मिलता है अब यदि बेलाताल में बाहर का कचरा आना बंद हो जाए तो यह बहुत ही साफ स्वच्छ और सुंदर तालाब बनकर के उभरेगा। उन्होंने कहा आते.जाते रास्ते पर कोई देखे या ना देखें कृपया करके पूजन सामग्री उसकी थैलियां और कचरा में बिल्कुल ना डालें। उन्होंने कहा हमें पूरा विश्वास है कि यदि आपने इस चीज को फॉलो कर लिया तो यह तालाब आगे थोड़ी ही दिनों के अंदर सबसे सुंदर तालाब के रूप में उभरकर सामने आएगाए जहां पर हम पर्यटन विभाग के सौजन्य से अन्य कई गतिविधियों का आयोजन कर सकते हैं।

सकोर में पीएम सड़क निर्माण में बाधक बन रहे अतिक्रमण को सीमांकन कर हटाया गया.. दमोह। हिनोता मण्डल के सकोर गांव की बस्ती में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से बनाई जा रही सड़क में अवैध अतिक्रमण के कारण उत्पन्न हो रहे व्यवधान पर..

 नायब तहसीलदार हटा शिवराम चढ़ार राजस्व अमले के साथ मौके पर पहुँचकर गैसाबाद थाना पुलिस की मौजूदगी में सड़क का सीमांकन कार्य कर अवैध अतिक्रमण हटाये जाने की कार्यवाही की। उन्होंने लोगो से कहा सड़क निर्माण में बाधा उतपन्न करने पर संबंधित के विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी।

चित्र की नहीं चरित्र की सुंदरता होनी चाहिये- दिव्या देवी.. दमोह। ग्राम पंचायत नंदरई में ग्रामवासियों द्वारा आयोजित संगीतमयी श्रीराम कथा के पंचम दिवस कथा व्यास दिव्या देवी जी उपस्थित श्रोताओं भगवान राम ने अपने बनवास के दरम्यान कईयों का उद्वार किया उनमें अहिल्या जो ब्रम्हाजी की मानस पुत्री थे उनके विवाह के लिये शर्त थी कि जो व्यक्ति अथवा देव तीनो लोको को पूरा करके आयेगा उसका विवाह उनके साथ किया जायेगा कई देवताओे ऋषियो ने तीनो लोको को पूरा किया कि किंतु गौतम ऋषि ने गर्भवती काम धेनु गाय की परिक्रमा की तब ब्रम्हाजी ने कहा कि गाय तीनों लोको से भी श्रेष्ठ है और उनका विवाह गौतम ऋषि से कर दिया गया..

किंतु देवराज इन्द्र के मन में अहिल्या को लेकर छल था और एक दिन जब गौतम ऋषि कुटिया से बाहर गये तो इन्द्र गौतम ऋषि बनकर अहल्या के यहां पहुंय गये किंतु तभी गौतम ऋषि आ गये और उन्होनें अहिल्या पत्थर की शिला बन जाने का श्राफ दे दिया और जब उनका क्रोध शांत हुआ तो उन्होनें कहा कि भगवान राम ही अब तुम्हे इस श्राफ से मुक्ति दिलायेगे। दिव्या देवी ने कहा कि उनका कहना है कि वर्तमान परिवेश में हमारे जीवन में अनेक बाधायें आती है किंतु प्रभु श्रीराम का नाक सुभरने से ही हमारी सारी शंका कुशंका पूरी हो जाती है कथा के पूर्व समस्त नंदरई के ग्रामवासियों ने कथा व्यास दिव्या देवी जी के साथ भगवान राम की सामूहिक आरती उतारी गई। इस अवसर पर नंदरई सहित अनेक ग्रामवासियों ने धर्मलाभ लिया।

भागवत कथा के पांचवे दिन श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन 
दमोह: कुंडलपुर पटेरा रूंद वाले हनुमान मंदिर में आयोजित कथा के मार्गदर्शक महंत श्री गजेन्द्र पुरी जी महराज श्रीमद भागवत कथा में सभी भक्तों को किशोरी वैष्णवी गर्ग जी द्वारा पंचम दिवस की कथा श्रवण कराई गई, जिसमे श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया गया। किशोरी जी ने कहा धनवान व्यक्ति वही है जो अपने तन, मन, धन से सेवा भक्ति करे वही आज के समय में धनवान व्यक्ति है। परमात्मा की प्राप्ति सच्चे प्रेम के द्वारा ही संभव हो सकती है। पूतना चरित्र का वर्णन करते हुए बताया कि पूतना राक्षसी ने बालकृष्ण को उठा लिया और स्तनपान कराने लगी। श्रीकृष्ण ने स्तनपान करते-करते ही पुतना का वध कर उसका कल्याण किया। 
किशोरी जी ने कहा सभी को गौ माता की सेवा, गायत्री का जाप और गीता का पाठ अवश्य करना चाहिए। गाय की सेवा से 33 करोड़ देवी देवताओं की सेवा हो जाती है। भगवान व्रजरज का सेवन करके यह दिखला रहे हैं कि जिन भक्तों ने मुझे अपनी सारी भावनाएं व कर्म समर्पित कर रखें हैं वे मेरे कितने प्रिय हैं। भगवान स्वयं अपने भक्तों की चरणरज मुख के द्वारा हृदय में धारण करते हैं। पृथ्वी ने गाय का रूप धारण करके श्रीकृष्ण को पुकारा तब श्रीकृष्ण पृथ्वी पर आये हैं। इसलिए वह मिट्टी में नहाते, खेलते और खाते हैं ताकि पृथ्वी का उद्धार कर सकें। गोपबालकों ने जाकर यशोदामाता से शिकायत कर दी ,मां तेरे लाला ने माटी खाई है यशोदामाता हाथ में छड़ी लेकर दौड़ी आयीं। ‘अच्छा खोल मुख।’ माता के ऐसा कहने पर श्रीकृष्ण ने अपना मुख खोल दिया। श्रीकृष्ण के मुख खोलते ही यशोदा जी ने देखा कि मुख में चर-अचर सम्पूर्ण जगत विद्यमान है। आकाश, दिशाएं, पहाड़, द्वीप, समुद्रों के सहित सारी पृथ्वी, बहने वाली वायु, वैद्युत, अग्नि, चन्द्रमा और तारों के साथ सम्पूर्ण ज्योतिर्मण्डल, जल, तेज अर्थात प्रकृति, महतत्त्व, अहंकार, देवगण, इन्द्रियां, मन, बुद्धि, त्रिगुण, जीव, काल, कर्म, प्रारब्ध आदि तत्त्व भी मूर्त दीखने लगे। पूरा त्रिभुवन है, उसमें जम्बूद्वीप है, उसमें भारतवर्ष है, और उसमें यहब्रज, ब्रज में नन्दबाबा का घर, घर में भी यशोदा और वह भी श्री कृष्ण का हाथ पकड़े। बड़ा विस्मय हुआ माता को। श्री कृष्ण ने देखा कि मैया ने तो मेरा असली तत्त्व ही पहचान लिया है।
 श्री कृष्ण ने सोचा यदि मैया को यह ज्ञान बना रहता है तो हो चुकी बाललीला, फिर तो वह मेरी नारायण के रूप में पूजा करेगी। न तो अपनी गोद में बैठायेगी, न दूध पिलायेगी और न मारेगी। जिस उद्देश्य के लिए मैं बालक बना वह तो पूरा होगा ही नहीं। यशोदा माता तुरन्त उस घटना को भूल गयीं। किशोरी जी ने कहा कि आज कल की युवा पीढ़ी अपने धर्म अपने भगवान को नही मानते है, लेकिन तुम अपने धर्म को जानना चाहते हो तो पहले अपने धर्म को जानने के लिए गीता, भागवत ,रामायण पढ़ो तो, तुम नहीं तुम्हारी आने वाली पीढ़ी भी संस्कारी हो जायेगी। ब्रजवासियों ने इंद्र की पूजा छोडकर गिर्राज जी की पूजा शुरू कर दी तो इंद्र ने कुपित होकर ब्रजवासियों पर मूसला धार बारिश की, तब कृष्ण भगवान ने गिर्राज को अपनी कनिष्ठ अंगुली पर उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की और इंद्र का मान मर्दन किया। तब इंद्र को भगवान की सत्ता का अहसास हुआ और इंद्र ने भगवान से क्षमा मांगी व कहा हे प्रभु मैं भूल गया था की मेरे पास जो कुछ भी है वो सब कुछ आप का ही दिया है। बुधवार को श्रीकृष्ण रूकमडी बिबह होगा 

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