Header Ads Widget

कुंडलपुर में याग मंडल विधान, इंद्र इंद्राणी ने भक्ति भाव से अर्घ्य चढ़ाएं.. गुप्त नवरात्र पर श्री सहस्त्र चंडी महायज्ञ आयोजन.. भगवती मानव कल्याण संगठन केंद्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय महासचिव कल तारादेही में.. रायकवार माझी समाज ने उमेश को दी श्रद्धांजलि

याग मंडल विधान, इंद्र इंद्राणी ने भक्ति से अर्घ्य चढ़ाएं

 दमोह ।सुप्रसिद्ध सिद्ध क्षेत्र, जैन तीर्थ कुंडलपुर में युग श्रेष्ठ संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य परम पूज्य आचार्य श्री समय सागर जी महाराज के चतुर्विध संघ के मंगल सानिध्य में सहस्त्रकूट जिनालय का वेदी प्रतिष्ठा समारोह एवं बड़े बाबा जिनालय का कलशारोहण  समारोह का अभूतपूर्व आयोजन चल रहा है ।8 जून को श्री यागमंडल विधान का भव्य आयोजन संपन्न हुआ। इस अवसर पर प्रतिष्ठाचार्य सम्राट ब्रह्मचारी विनय भैया बंडा ने विधि विधान से याग मंडल विधान की सभी क्रियाएं संपन्न कराई ।प्रातः  अभिषेक ,शांति धारा, पूजन उपरांत याग मंडल विधान प्रारंभ हुआ। विधान में बैठे हजारों इंद्र इंद्राणियों ने अत्यंत भक्ति भाव से संगीत की स्वर लहरियों के बीच पूजन करते हुए प्रत्येक अर्घ्य चढ़ायें ।

क्रमबद्ध श्रीफल सहित अर्घ्य चढ़ाने का सौभाग्य भी प्रत्येक को प्राप्त हुआ। ।  इस बीच पूज्य बड़े बाबा का अभिषेक शांति धारा एवं पूजन विधान संपन्न हुई। मुनि संघ एवं आर्यिका  संघ की आहार चर्या भी संपन्न हुई। इस अवसर पर परम पुज्य आचार्य श्री समय सागर जी महाराज ने मंगल प्रवचन देते हुए कहा पूर्ण रूप से उस दीपक के द्वारा प्रकाश नहीं मिल पा रहा है दीपक की लौ स्थिर हो जाए पूरा का पूरा प्रकाश फैल जाता है ।इसी प्रकार वह आत्म तत्व में उपयोग केंद्रित है और वह केंद्रित एक अंतर मुहूर्त के लिए हो जाए तो केवल ज्ञान रूपी दीपक जलेगा और विश्व प्रकाशित हो सकता है। आज तक सब कुछ संसारी प्राणी ने कार्य किया है केवल पुनरावृत्ति करता चला जा रहा है ।किंतु आज तक कोई कार्य नहीं किया है परमात्म तत्व को नहीं जान पाया है बहुत विस्मय  होता है। 33 सागर की आयु है सर्वार्थ सिद्धि और परम सुख लेश्या के साथ अहमिंद्र आदि होते हैं निरंतर तत्व चिंतन में उनका उपयोग लगा होता है। इसके उपरांत भी आत्म तत्व का संवेदन उन्हें नहीं हो सकता। क्यों ?क्योंकि संयम का अभाव है। द्वादशांग के पाटी होने के उपरांत भी समस्त पदार्थ को जानने की क्षमता रख रहे है भले परोक्ष रूप में हो इसके उपरांत भी आत्म तत्व का वीतराग संवेदन इसको बोलते उससे वह वंचित हैं। क्षायिक सम्यक दृष्टि भी हो सकते कोई बाधा नहीं और तेतीस सागर तक तत्व चिंतन में लीन होते हुए भी एक विशेष बात और कह रहा हूं वहां पर वासना नहीं है ।सोलहवे स्वर्ग तक तो भिन्न-भिन्न स्वर्ग में रहने वाले जो इंद्र आदिक है वह विचार से सहित हैं किंतु नव अनुदिश पंचउन्त्तर विमान में रहने वाले जो अहमहेंद्र हैं वे शुक्ल लेश्या के धारी होते हैं और वासना का अभाव रहता है। वासना संभव नहीं है इसके बावजूद भी असंयम पल रहा है बड़ी विचित्र दशा है ।
33 सागर तक तत्व का चिंतन करने के बावजूद वहां से उतरकर जीव मनुष्य पर्याय को प्राप्त कर लेता है वह पुराने संस्कार हैं वह डिलीट हो जाते हैं ।33 सागर तक तत्व चिंतनमें लीन रहा यहां आने के उपरांत वासना जागृत होती है क्यों ?नौकर्म  कर्म को फल देने के लिए जो निमित्त डिलीट हो जाते हैं ।33 सागर तक तत्व चिंतन में लीन रहा यहां आने के उपरांत वासना जागृत होती है ।नोकर्म  कर्म को फल देने के लिए जो ऐसी सामग्री है उसके बीच में आता है तो अपने कर्म को रोक नहीं पाता अपने परिणामों को रोक नहीं पाता। 33 सागर संबंधी जो संस्कार थे वासना के अभाव में तत्व चिंतन किया था सारा का सारा विस्मृत में हो जाता। यहां आकर के वृषभ नाथ भगवान का जीव, भरत चक्रवर्ती का जीव, बाहुबली का जीव यह तीनों सर्वार्थ सिद्धी से अवतरित हुए हैं । यहां पर अवतरित होने के उपरांत 24 लाख पूर्व की जिनकी आयु है ऐसे वृषभ नाथ युग की आदि में मोक्ष मार्ग के नेता होने वाले हैं इसके उपरांत भी वह सारे के सारे तत्व चिंतन के संस्कार डिलीट हो चुके हैं। कर्मबंध से बचना चाहते हो तो नौकर्म से बचने का पुरुषार्थ करो।
नवरात्रि के दूसरे दिन मॉ देवी ब्रह्मचारिणी कि आराधना की जाती है - पं. चन्द्रगोपाल पौराणिक.. दमोह। स्थानीय राजा मैरिज हाल में मां श्री सहस्त्र चंडी महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा हैं जिसमें पूजन पाठ के उपरांत हवन शाम 6 बजे से 10 बजे तक किया जाता हैं। पं. चन्द्र गोपाल पौराणिक ने बताया कि मां दुर्गा की नवशक्ति का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। यहां ब्रह्म का अर्थ तपस्या से है। मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनंत फल देने वाला है। इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली। देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है। इस देवी के दाएं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में यह कमंडल धारण किए हैं। पूर्वजन्म में इस देवी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारद जी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात् ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया।
एक हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया। कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहे। तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं। इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए। कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं। पत्तों को खाना छोड़ देने के कारण ही इनका नाम अपर्णा नाम पड़ गया। इस देवी की कथा का सार यह है कि जीवन के कठिन संघर्षों में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए। मां ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से सर्व सिद्धि प्राप्त होती है। दुर्गा पूजा के दूसरे दिन देवी के इसी स्वरूप की उपासना की जाती है। इस अवसर पर पं. सुनील दुबे शास्त्री, कैलाश प्यासी, रामेश्वर गोस्वामी, नितिन शर्मा, आशीष कटार, सुदर्शन पाठक, आशुतोष गौतम छोटू शास्त्री, सत्यम मिश्रा, राजेश तिवारी आज के यजमान करूणा खरे, रितेश ठाकुर बग्गे, जयप्रकाश सोनी, गणेश नामदेव, राजा सरवरिया सेवा भाव परिवार आप सभी से हवन कर धर्मलाभ लेवें।
भगवती मानव कल्याण संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय महासचिव कल तारादेही में.. दमोह। भगवती मानव कल्याण संगठन के द्वारा लगातार क्षेत्र में दुर्गा चालीसा पाठ के आयोजन किए जाते हैं जिसका लाभ लेने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं संगठन का उद्देश्य भयभुक भ्रष्टाचार जाति में छुआछूत से दूर होते हुए नशे मन से मुक्त चरित्रवान जीने का संकल्प दिलाया जाता है ऐसा ही एक बार फिर देखने को मिला है

 जहां पर 09 जून 2024 दिन रविवार को सायं 4ः30 बजे भव्य जिला स्तरीय अखंड ’श्री दुर्गा चालीसा पाठ का आयोजन किया जा रहा यह आयोजन जिले के तेंदूखेड़ा तहसील के तारादेही में होगा
 जिसमें भगवती मानव कल्याण ’संगठन की केंद्रीय अध्यक्ष शक्ति स्वरूपा बहिन पूजा शुक्ला जी एवं राष्ट्रीय महासचिव सौरभ द्विवेदी जी का शुभ आगमन होने जा रहा है, जिसमें कई हजार लोग नशेमन से मुक्त चरित्रवान जीवन जीने का संकल्प लेंगें।
जिला रायकवार माझी समाज ने उमेश को दी श्रद्धांजलि..दमोह। जिला रायकवार माझी समाज दमोह एवं निषादराज माझी समाज सेवा समिति दमोह के वरिष्ठ पप्पू रायकवार जी के छोटे पुत्र और इंजीनियर वीरेंद्र रायकवार, दीपक रायकवार के छोटे भाई माझी समाज के सक्रिय युवा साथी भाई उमेश रायकवार जो कि चार धाम की तीर्थयात्रा पर गये हुए थे। जहां गंगोत्री के पास चट्टान खिसकने से अकास्मिक उमेश रायकवार का दुखद निधन हो गया।  उमेश रायकवार के निधन की खबर सुनकर शहर में शोक की लहर व्याप्त हो गई। जिला रायकवार माझी समाज के द्वारा आयोजित शोक सभा में जिला रायकवार माझी समाज दमोह के ग्रामीण जिला अध्यक्ष मोंटी रायकवार ने उमेश रायकवार के निधन पर समाज की तरफ़ से श्रंद्धाजलि अर्पित करते हुए कहा है कि दो से तीन दिन पहले सोशल मीडिया पर देखा कि उमेश रायकवार अपने दोस्तों के साथ चार धाम की तीर्थयात्रा पर दमोह से ट्रेन से रवाना हुआ। गंगोत्री जाने के लिए एक गाड़ी की जिसमें सभी लोग धार्मिक भजन गाते हुए यात्रा कर रहे थे।
 लेकिन पहाड़ से गिरी चट्टान ने हमारी माझी समाज का हीरा युवा तरूणाई उमेश रायकवार को छीन लिया सोशल मीडिया पर खबर देख पहले तो विश्वास ही नहीं हुआ। कि उमेश हमारे बीच नहीं रहा। उमेश के पिता जी और भाई इंजीनियर वीरेंद्र और दीपक माझी समाज के उत्थान के लिए हमेशा समाज के साथ खड़े रहते थे। इस दुःख की घड़ी में माझी समाज भी उमेश रायकवार के परिजनों के साथ 24 घंटे खड़ी हुई है। हम सभी ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि ईश्वर उमेश के लिए अपने श्री चरणों में स्थान प्रदान करें और और शोकाकुल परिजनों को इस दुःख को सहने की शक्ति प्रदान करें।  समाज के शहर जिला अध्यक्ष राकेश रायकवार ने कहा है कि इस दुःख की घड़ी में माझी समाज शोकाकुल परिवार के साथ क़दम से क़दम मिलाकर खड़ी हुई है। उमेश के निधन से संपूर्ण माझी समाज में शोक कि लहर व्याप्त है। पलंदी चौराहा समाज के मुखिया राजकुमार रायकवार ने कहा है कि उमेश रायकवार जो हम लोगों के लिए हमेशा हंसाता रहता है। जिस तरह यह ह्रदय विदारक घटना हुई उसे सुनकर ऐसा लगा जैसे वो चट्टान हमारे ऊपर गिरी हो हम सभी ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि ईश्वर उमेश के लिए अपने श्री चरणों में स्थान प्रदान करें।
 समाज के संभागीय अध्यक्ष राकेश धुरिया ने शोक सभा में कहा कि उमेश रायकवार की कमी कोई भी पूरी नहीं कर सकता लेकिन हम सभी ईश्वर से प्रार्थना करें कि यह गहन दुःख सहने की शक्ति शोकाकुल परिवार को ईश्वर प्रदान करें। उमेश रायकवार जैसे नौजवान का असमय जाना निश्चित रूप से परिवार और समाज के लिए गहरी क्षति हुई है। जिसे दुनिया की कोई ताकत पूरी नहीं कर सकती है। इस दौरान प्रमुख रूप पैलू रायकवार, प्रहलाद रायकवार, गोपाल रायकवार,मदन रायकवार,पवन रायकवार, संतोष रायकवार, भगवान दास रायकवार,भीम रायकवार, मोनू रायकवार,सचिन रायकवार,ऐलू रायकवार, राजू काली,विकास रायकवार,रोशन रायकवार,नरेश रायकवार सहित प्रमुख जनों की मौजूदगी रही।

Post a Comment

0 Comments