रंगीलो सावन आयो कार्यक्रम का हुआ आयोजन
दमोह। लीनेस मैत्री क्लब
दमोह द्वारा हरियाली तीज पर पारम्परिक नृत्य, संगीत कार्यक्रम आयोजित किया
गया । आयोजन में प्रोजेक्ट डायरेक्टर्स रिम्मी जुनेजा, पूजा, बबली, पिन्की
और एकता जुनेजा थे । जिन्होंने अपनी रचनात्मकता और समर्पण से इस आयोजन को
जीवंत बना दिया। श्रावण मास की मधुर फुहारों के बीच आयोजित हुआ। रंगीलो
सावन आयो कार्यक्रम, जिसमें उत्साह, संस्कृति और समरसता का अद्भुत संगम
देखने को मिला। कार्यक्रम की विशेष बात यह रही कि कुछ ने सोलो डांस की
शानदार प्रस्तुति दी, तो कुछ ने अपने पार्टनर के साथ कपल डांस कर सभी को
मंत्रमुग्ध कर दिया। हर प्रस्तुति में सावन की मस्ती, रंग और रचनात्मकता
झलक रही थी।

इस अवसर पर एक विशेष प्रस्तुति पार्वती-शंकर के रूप में देखने
को मिली, जिसे पूजा सचदेव और बरखा ने बड़ी श्रद्धा और कलात्मकता के साथ
मंचित किया। यह मनमोहक नृत्य दर्शकों के हृदय को छू गया और कार्यक्रम की
प्रमुख आकर्षणों में शुमार हुआ। कार्यक्रम में एरिया ऑफिसर रोज़ी बग्गा ने
श्रावण मास की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए सभी प्रतिभागियों को हार्दिक
शुभकामनाएँ और बधाइयाँ दीं। उन्होंने सांस्कृतिक समर्पण और समूह-भावना की
सराहना की। अध्यक्षीय उद्बोधन में अध्यक्ष स्मृति खरे ने सभी प्रतिभागियों
और आयोजकों की एकता की सराहना करते हुए कहा जब हम सब मिलकर किसी आयोजन में
भाग लेते हैं, तो वह केवल एक कार्यक्रम नहीं रह जाता, वह एक यादगार अनुभव
बन जाता है। उन्होंने इस आयोजन को एक सामूहिक आनंद और सौहार्द का प्रतीक
बताया। सावन की इस रंगीन शाम ने सभी के दिलों में उमंग भर दी और यह आयोजन
सभी के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बन गया।पीजी कॉलेज में किया वृक्षारोपण.. दमोह। विश्व पर्यावरण दिवस पर ‘एक पेड़ मां के नाम 2.0’ नामक विशेष अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री
द्वारा शुरू की गई हैं। इसी क्रम में प्रधानमंत्री एक्सीलेंस ज्ञानचंद्र
श्रीवास्तव महाविद्यालय में पर्यावरण संरक्षण का संदेश प्रेषित करते
हुए वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। लायंस क्लब दमोह के अध्यक्ष
सौरभ अग्रवाल के प्रयास से वृक्षारोपण कार्यक्रम में प्राचार्य डॉ आलोक जैन
ने बताया कि संरक्षित परिसर और 2-3 साल के पौधे ही जल्दी विकसित होते हैं।
कालेज की ओर से प्रो.आर के.व्यास, प्रो नंदराम सुमन, प्रो. रमेश अहिरवाल,
प्रो.संध्या पिंपलापुरे प्रो. मीरा माधुरी महंत, प्रभारी प्रो. के.एस
बामनिया, प्रभारी जितेंद्र तथा एन सी सी छात्रों की उपस्थिति रही। डॉ हरिओम
दुबे ने समन्वयक की भूमिका निभाई। लायंस क्लब से लायन सुशील गुप्ता,
केप्टिन वाधवा, लक्ष्मी अग्रवाल, डॉ भानु पटेल, निशांत चौरसिया, संजीत राय,
अभिषेक गोयल, अशोक छाबड़ा, कपिल पटेल, सतीश माखीजा सहयोगी रहे। ला.सुधीर
असाटी ने सभी का आभार व्यक्त किया।
बांदकपुर के गोवर्धन पर्वत पर श्रावण माह में होगा वृक्षारोपण कार्यक्रम... दमोह।
भगवान भोलेनाथ की कृपा आशीर्वाद से पूज्य संतो के मार्गदर्शन में श्री
जागेश्वर नाथ धाम बांदकपुर के दर्शनीय तीर्थ स्थल गोवर्धन पर्वत पर एवं
मंदिर की ओर जाने वाले मुख्य मार्गो पर वृक्ष रोपित करने का संकल्प लिया है
अभियान में जनप्रतिनिधि,प्रशासनिक अधिकारी , बांदकपुर मंदिर कमेटी
,सामाजिक धार्मिक संगठन,पर्यावरण प्रेमी, विद्यालयों के बच्चे,कारीडोर
निर्माण संघर्ष समिति,जिले के अनेक शिवभक्त शामिल होगे। शिवभक्त
शंकर गौतम ने बताया कि जन सहयोग से कुछ छोटे पौधे बांदकपुर धाम पहुंच चुके
हैं,ट्रेक्टर से गड्ढे करने खाद मिट्टी आदि लाने का कार्य चल रहा हैं आप
सभी जिलेवासियों भक्तों से भी निवेदन आग्रह है कि आप भी अपनी ओर से
बांदकपुर धाम में एक पेड़ अपनी स्वयं की ओर से एवं अपने मित्रो परिवार जनो
,पूवर्जों की ओर से अवश्य लगाए आप सभी जिलेवासी बांदकपुर में भगवान भोलेनाथ
के दर्शन कर वृक्षारोपण कर अभियान में शामिल होकर पुण्य लाभ अर्जित कर
सकते है।
नागपंचमी तैयारियों को लेकर चौरसिया समाज की बैठक.. दमोह। प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी नागपंचमी पर्व पर 27 जुलाई 2025 को
विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम की रूपरेखा के
संबंध में 25 जुलाई 2025 को पुरैना तालाब स्थित चौरसिया सत्संग भवन दमोह
में रात्रि 9ः00 बजे एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में
सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि नागपंचमी पर्व पर परंपरागत रूप से
व्यायाम शाला पूजन, वाहन रैली, समाज के वयोवृद्ध जनों का सम्मान एवं मेधावी
छात्र-छात्राओं को पारितोषक वितरण, शासकीय सेवानिवृत्त स्वजातीय बंधुओं को
सम्मानित किया जायेगा। कार्यक्रम के अंत में विगत 1 वर्ष के अंदर दिवंगत
हुये स्वजातीय बंधुओं को श्रद्धांजलि दी जायेगी। मंचीय कार्यक्रम के उपरांत
प्रसाद वितरण एवं सहभोज के साथ कार्यक्रम का समापन किया जायेगा। बैठक में
उपस्थित लोगों को कार्यक्रम संबंधी दायित्व सौंपे गये। बैठक में
प्रमुख रूप से उमाशंकर चौरसिया, लखन चौरसिया एलआईसी, देवकी चौरसिया, आदित्य
चौरसिया, संतोष पंडा, मुकेश चौरसिया, नीरज पटवारी, बृजेश पंडा, सौरभ
चौरसिया, राजेन्द्र मोनू चौरसिया, आशीष पंडा, राजेन्द्र चौरसिया, महेन्द्र
चौरसिया, पप्पू पंडा, सूरज चौरसिया, दीपक चौरसिया, तपिश चौरसिया, अनंतू
चौरसिया, दिप्पू चौरसिया, शुभम चौरसिया, लकी चौरसिया, बडू चौरसिया, राजेश
चौरसिया, रूपेश चौरसिया, भावेश चौरसिया, सुनील चौरसिया, निशांत चौरसिया,
राजू चौरसिया, छोटू चौरसिया सहित बड़ी संख्या में स्वजातीय बंधुओं की
उपस्थिति रही। बैठक के अंत में समस्त स्वजातीय बंधुओं से नागपंचमी पर्व पर
आयोजित कार्यक्रम में अधिक से अधिक संख्या में सम्मिलित होने की अपील की
गई। नाग पंचमी महोत्सव (चौरसिया दिवस) पर विशेष आलेख... नागपंचमी
जो कि चौरसिया दिवस के रूप में मनाया जाता है यह एक हिन्दू त्यौहार है, जो
श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। वेद
पुराणों के अनुसार देवताओं एवं ऋषियों ने विष्णु यज्ञ का आयोजन किया।
समस्त पूजन हवन सामग्री प्राप्त हो गयी, परंतु पान की बेल उपलब्ध नहीं हुई
जिससे यज्ञ होने में व्यवधान आया। सभी
ऋषियों ने उस पर विचार किया कि नागबेल सिर्फ पाताल लोक में उपलब्ध है
पाताल लोक में नागराज का राज था सभी ऋषियों ने विचार किया कि पाताल लोक
केवल चौऋषि पुत्र ऋषि कश्यप ही जा सकते है। ऋषि कश्यप अनेक विघ्न बाधाओं को
पार कर नागलोक पहुंचे जिस दिन कश्यप ऋषि नागलोक पहुंचे उस दिन श्रावण मास
की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी, नागराज ऋषि कश्यप को आश्चर्य चकित होकर
देख रहे थे ऋषि जी ने आदर पूर्वक नमन किया। नागराज जी ने आने का प्रयोजन
पूछा, नागराज जी को अपना परिचय दिया और विष्णु यज्ञ में पान की आवश्यकता को
बतलाया। नागराज ऋषि के पराक्रम तथा उनकी विनयशीलता से प्रभावित होकर सशर्त
पान की बेल देने के लिये तैयार हुये। तुम्हे पान देने के साथ तुम्हे नाग
कन्या से विवाह करना पडेगा, उन्होने नागराज की शर्त को स्वीकार किया। नाग
कन्या का विवाह ऋषि के साथ कर पान की बेल देकर सहर्ष विदा किया। नागराज ने
यह भी वरदान दिया कि तुम दोनों से उत्पन्न संतान पृथ्वी पर पान की खेती कर
सम्पन्नता हासिल करेगी। महर्षि कश्यप की धर्म पत्नी कद्रू नागवंश की आदि माता के रूप में स्वीकारा जाता है। प्रथम
नागकन्या -कद्रू माता, दवितीय नागमाता सुरसा, तृतीय सुलोचना (मेघनाद
पत्नी), चौथी रेवती (दाऊ बलराम की पत्नी), पांचवी उलूपी (अर्जुन की पत्नी),
छठवी नागकन्या माधवी (अग्रसेन की पत्नी), सातवी कुमुदवती (भगवान राम के
बडे पुत्र कुश की पत्नी), आठवी - मदालता (ऋतुध्वज की पत्नी) भारतवर्ष
में भिन्न-भिन्न राज्यों में चौरसिया समाज को विभिन्न उपनामों से जाना
जाता है.. जैसे- चौऋषि, महोबिया, तंबोली, बरई, पंसारी, बरुआ, नागवंशी,
शांडिल, थवाईत, कुमरावत, गुप्ता, शर्मा ।पान
हमारी संस्कृति में शुभ माना जाता है सभी धर्मो में मांगलिक कार्यों के
बिना पान के यज्ञ, पूजन आदि संपन्न नहीं होते। पान में प्रोटीन, कैल्शियम,
आयोडीन, पोटेशियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। हम गौरवांवित है कि सकल चौरसिया समाज कश्यप ऋषि की संतान है। मनोहरलाल चौरसिया, सेवानिवृत्त ग्रन्थपाल दमोह
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