सामान्य स्थिति शान्ति, प्रसन्नता प्रदान करती है..
दमोह। प्रत्येक पदार्थ सामान्य विशेष गुणों से युक्त होते है। जो सभी मे नही पाये जाते वे विशेष गुण कहलाते है, और जो गुण सभी मे पाये जाते है वे सामान्य कहलाते है। सामान्य का महत्व कम हो जाता है, विशेष का महत्व बढ़ जाता है। जैसे सभी का खून लाल होता है, लेकिन तीर्थकर का खून सफेद होता है सभी की आँखो के पलक छपकते है लेकिन तीर्थकर की आँखों के नहीं छलकते है। सभी इंसान धरती पर चलते है, भोजन करते है,भोजन के बाद मलमूत्र बनता है लेकिन तीर्थकरों के साथ ऐसा नही होता वे आकाश में वायुयान की तरह चलते है, भोजन नही करते, पसीना, मलमूत्र नही आता, नाखून नही बढ़ते, इसी लिए उन्हें विशेष गुण कहलाते है। यही विशेष गुण अतिशय, चमत्कार, आश्चर्य या महिमा कहलाने लगती है। इस प्रकार तीर्थकरों के जन्म से लेकर मोक्ष जाने तक 34 अतिशय होते है।यह बात वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज ने स्थानीय जैन धर्मशाला में कही। उन्होंने प्रातःकालीन जैन धर्म ग्रन्थ की वचना करते हुऐ कहा कि विशेष को सामान्य बना देना ही समाजवाद है। समाजवाद में सामान्य स्थिति बनती है। सामान्य स्थिति शान्ति, प्रसन्नता और खुशी प्रदान करती है। जैसे हत्या, आतंकवाद, अग्नि कांड, महामारी और कर्फ्यू लगा दिया जाता हैतब कहा जाता है कि स्थिति सामान्य नही है, ऐसी स्थिति में भय, अशांति, दुःख होता है। लेकिन जब महामारी ठीक हो जाती है, कर्फ्यू हटा दिया जाता है तो कहते है स्थिति सामान्य है ऐसे में लोग आवागमन निसच्चंत होकर करने लगते है।
आचार्य श्री ने कहा जब सामान्य से हटकर विशेष को महत्व दिया जाता है तब घर और समाज मे विभाजन जो जाता है असमानता व्याप्त हो जाती है। इस लिए असमानता को त्यागकर समानता लाना विशेष को छोड़कर सामान्य हो जाना ही समाजवाद है। सामान्य होने पर एकता आ जाती है, भेद रेखा समाप्त हो जाती है। जैसे पंगत में भोजन परोसते समय और भोजन करते समय दोनों की दीर्षि्ट समान होती है। लेकिन जब हम बाजार में कोई पदार्थ खरीदकर ग्रहण करते है तो सस्ते मंहगे अच्छे बुरे कि तुलना होने लगती है। यही तुलना भेद रखा खीच देती है। कोरोना ने देश को सामान्य स्थिति की पटरी से देश की गाड़ी को नीचे उतार दिया।
आचार्य श्री ने कहा सामान्य स्थिति में देश तभी आ सकता है जब कोरोना से मुक्ति मिल जाये लेकिन वर्तमान स्थिति को देखकर कोरोना से जंग जीतने में वर्षों लग सकते है। जबकि 5 महीने में इस कोरोना वायरस ने देश को दस वर्ष पीछे ढकेल दिया है। इस लिये में जनता से यही अपेक्षा रखता हूँ और सन्देशा देना चाहता हूँ, कि आप कोरोना के प्रति लापरवाही न वर्ते उसकी श्रखला को तोड़ने के लिये शाशन के द्वारा बताये जा रहे नियम कानून का पालन करें
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