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पापी के लिये शिक्षा और दंड देकर पाप का ऐहसास करना चाहिये.. आचार्य श्री निर्भयसागर जी महाराज.. भगवान नेमिनाथ भगवान का तप कल्याण रविवार एवं पार्श्वनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक सोमवार को मनाया जायेगा.. ऑन लाइन यूट्यूब चैनल निर्भय वाणी पर होगा प्रसारण..

 आचार्य श्री जैन धर्मशाला में वर्षायोग कर रहे है..
दमोह। शहर के जैन धर्मशाला नन्हे मंदिर में वर्षायोग कर रहे है। वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी ने कहा पाप से घृणा करो पापी से नहीं। पाप से घृणा करने पर पाप धुल जाता है। पाप से घृणा करने पर पश्याताप के आशू आते है और उसी से पाप कर्म धुल जाते है। पापी भी एक दिन पाप को छोडने से पूज्य परमात्मा बन जाता है इस लिये पापी से घृणा करने पर पाप ओर बढ़ जाता है। पापी को किये गए पापों का ऐहसास करना चाहिये, और आगे पाप न करे ऐसा ज्ञान कराना चहिये। संसार मे कोई भी प्राणी पाप से रहित नहीं है जो पाप से रहित हो जाता है वही परमात्मा बन जाता है, इस लिए दूसरों के पाप को न देखकर अपने द्वारा किये गये पाप कर्म को देखना चाहिए और उससे मुक्त होने के लिये दृढता पूर्वक पालन करना चाहिये। 
आचार्य श्री निर्भय सागर जी ने कहा पापी के लिये शिक्षा और दंड देकर पाप का ऐहसास करना चाहिये। दंड और शिक्षा का प्रावधान सुधारने के लिये है, ताड़ने के लिये नहीं। वतर्मान में जो कारागृह है, वे यातना देने के लिये नहीं बल्कि अपराधी को सुधारने के लिये है। इसी कारण कारागृह को सुधारगृह कहा जाने लगा है। दंड का प्रावधान इस लिए है कि दूसरे ऐसा अपराध न करें जैसा इस अपराधी ने किया है। आचार्य श्री ने कहा पद की प्रतिष्ठा की भूख आदमी को पतन की ओर ले जाती है। पद की भूख वाला संसार मे पदिता (भटकता) रहता है। पद की भूख वाला कभी अभूतपूर्व नही बन पाता। आचार्य श्री ने कहा जब बहिर मुखी दीर्षि्ट से हटकर अंतर्मुखी दिर्षि्ट अपनाया जाता है। अंतरंग निर्मल और पवित्र हो जाता है, वही निर्मलता और पवित्रता आत्मा को परमात्मा बना देती है। चर्म चच्छुओ को बंद करके ज्ञान चच्छु को खोलना चाहिये ।
आचार्य श्री निर्भय सागर जी ने कहा निद्रा में और मुर्दा में चर्म चच्छु  बन्द हो जाते है ऐसे चर्म चच्छु बन्द होने से कल्याण नही होगा। लेकिन जब चर्म चच्छुओ को बंद करके ज्ञान चच्छु खोलकर अपने आत्मा का ध्यान किया जाता है। तब पतित आत्मा भी परमात्मा बन जाती है। आचार्य श्री ने कहा जिस प्रकार मीठा कलाकंद खा लेने के बाद मीठा केला भी फीका फीका लगता है वैसे ही आत्मा का स्वाद आ जाने पर संसार के विषय भोग रूपी भोग फीके फीके लगने लगे जाने लगते है। अतः भोगी नही योगी बनो और उपयोगी बनो। जीवन को उपयोगी नही बना पाओगे तो दुनिया के लोग तुम्हे डस्टविन (कचरे की टोकरी) में एक तरफ कचरे के समान फेक देंगे। उपयोगी बनने के लिये सत कर्म को करना होगा और दुष्कर्म को तजना होगा, और भगवान को भजना हो। 

इसके पूर्व भगवान श्री नेमिनाथ की प्रतिमा का अभिषेक, शान्ति धारा की गई। शान्ति धारा मन्त्र का उच्चारण आचार्य निर्भय सागर जी के द्वारा किया गया। अभिषेक एवं शान्ति धारा करने का सौभाग्य कुबेर इंद्र केसर चन्द्र पान, सौधर्म इंद्र को मनीष बजाज शक्ति भंडार, महायज्ञ नायक श्रेयास लहरी और ईसान इंद्र भूपेंद्र नायक को मिला। भगवान नेमिनाथ भगवान का तप कल्याण नाया जायेगा एवं सोमवार को पार्श्व नाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक नाया जायेगा एवं आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज का ससघ और पंडित सुरेश चंद्र शास्त्री के कुशल निर्देशन में संम्पन होंगे। अतः लॉक डाउन की वजह से ये सारे कार्यक्रम ऑन लाइन यूट्यूब चैनल निर्भय वाणी पर प्रसारित किये जाएंगे।

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