भगवान नेमिनाथ का जन्म-तप कल्याणक मनाया गया
दमोह। वैज्ञानिक संत आचार्य निर्भय सागर जी महाराज अपने शिष्यों के साथ पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन नन्हे मन्दिर में वर्षायोग कर रहे है। आचार्य श्री के सानिध्य में भगवान नेमिनाथ का जन्म-तप कल्याणक मनाया गया। साधारण रूप में मनाये गये इस महोत्सव में मात्र कोरोना महामारी से बचने हेतु एवं जो लोग इस बीमारी से पीड़ित है उनके स्वास्थ्य लाभ हेतु विशेष रिद्धि मंत्रो का उच्चारण आचार्य श्री ने किया और भगवान नेमिनाथ की प्रतिमा के ऊपर सन्तोष कुमार (अविनासी) ने मंगल कलश से शन्ति धारा की। संजय कुमार गांगरा को सौधर्म इंद्र, राजेन्द्र अटल जी को कुबेर इंद्र, प्रेम चन्द्र मुडेरी को महायज्ञ नायक एवं रोहित पवन कुमार को ईसान इंद्र बनने का सोभगय मिला।लॉक डाउन व कानून का पालन करने हेतु मात्र इन्ही पांच इन्द्रो के माध्यम से समस्त विधि विधान सम्पन्न कराया गया। आचार्य सघ को आहार देने वाले श्रावक एवं श्राविकाओ को बारी-बारी से एक-एक करके महिलाओं-पुरुषों को दूसरों दूर से ही दर्शन करने का अवसर प्रदान किया गया। कार्यक्रम के उपरांत ऑन लाइन प्रवचन देते हुये आचार्य श्री ने कहा हमारे जैसे विचार होते है एवं जिस प्रकार के हम कर्म करते है वैसा ही चारो ओर एक आभा मंडल बनता है। जिसे ओरा कहते है। वैज्ञानिकों ने भी इसे विधुत वर्तुल क्षेत्र अर्थातः एलेक्ट्रोडायनेमिक फील्ड के रूप में स्वीकार किया है।
इस आभामंडल का फोटो लेने हेतु एक कैमरा भी डब्लब भी किया है। जो व्यक्ति हिंसा, चोरी, बलात्कार आदि पाप करके आया हो उसका भामण्डल का फोटो फीका काला सा आता है लेकिन जब कोई व्यक्ति अच्छा कार्य करके आया हो उसका फोटो लेने पर तेज चमकदार आता है। अमेरिकन वैज्ञानिक हार्वर्ड एडलमान ने स्वीकार किया है कि आभामंडल ही हमारे जन्म मरण और कर्म से सम्बंध रखता है। रुशी वैज्ञानिक किरलियान ने भामण्डल का फोटो ग्राफी करने वाला कैमरा तैयार किया है।
आचार्य श्री ने कहा पूरे विश्व मे अब डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके है। भारत मे लगभग 13 लाख लोग इसका शिकार बन चुके है। कोरोना का कहर सब देशों की कमर तोड़ रहा है। कोरोना कोई महामारी नही है बल्कि असावधानी के कारण फैल रही है। जैसे एक्सीडेंट कोई रोग नहीं बल्कि असावधानी से होता है। एक व्यक्ति की असावधानी (लापरवाही) 100 लोगो के लिये मुसीबत बन जाती है। इस लिए कह सकते है लापरवाही से फेल रहा है, कोरोना जब आदमी के शरीर मे प्रवेश कर जाता है, तब शरीर को रोगी बनाता है यदि शरीर मे प्रवेश न होने दिया जाये तो यह कुछ विगाड़ नही सकता।
सरकार के द्वारा लगाए जा रहे पाबंदीओ को मुसीबत नही समझना चाहिये बल्कि स्वयं पाबन्दियों को स्वीकार करके एवं दी जा रही गार्डलाइन के अनुसार चलना चाहिये यह आत्म नियंत्रण बेहद जरूरी है। इस कोरोना ने आर्थिक, सामाजिक, पारिवारिक और भावनात्मक आंतरिक क्षेत्र को तहस नहस कर दिया है। इसकी क्षति पूर्ति सरकार और मानव समाज को मिलकर ठीक करना होगी। सावधानी व सतर्कता ही हमारी जिंदगी को बचा सकती है।
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