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’जीवन का सार संयम धारण करने में-आचार्य श्री निर्भय सागर’ जी महाराज.. पिच्छीका परिवर्तन समारोह संपन्न.. विभिन्न क्षेत्रों से आए श्रावकजनों ने धर्मलाभ अर्जित करके स्वयं को धन्य किया..

 आचार्य श्री संघ पिच्छीका परिवर्तन समारोह संपन्न..

दमोह। वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज ससंग का पिच्छीका परिवर्तन समारोह दिगंबर जैन धर्मशाला में सानंद संपन्न हुआ। आचार्य श्री की पुरानी पिछिका प्राप्त करने का सौभाग्य अरुण कुमार जी सपना जैन ओशो परिवार को हुआ। नवीन पिछिका देने का सौभाग्य नेमीचंद श्रीमती सरिता बजाज दमोह ,मनोज कुमार भोपाल, श्रीमती जयश्री विमल कुमार छतरपुर को प्राप्त हुआ। मुनि श्री शिवदत्त सागर जी महाराज की पुरानी पिछिका प्राप्त करने का सौभाग्य बाबूलाल जैन खजरी वाले पुत्र राजेंद्र कुमार आनंद कुमार गिरनार ट्रेडर्स वालों को प्राप्त हुआ। 
मुनि श्री हेमदत्त सागर जी, मुनि श्री सुदत्त सागर जी, मुनि सोमदत्त सागर जी, मुनि गुरुदत्त सागर जी, छुल्लक विभद्रसागर जी, चंद्रदत्त सागर जी, सुभद्र सागर जी महाराज की पुरानी पिछिका प्राप्त करने का सौभाग्य क्रमशा श्रीमान अशोक कुमार जी माता मढ़िया सागर, ’ब्रह्मचारी सिंघई अभिषेक भैया’नंदन लाल जी महावीर वार्ड दमोह, पन्नालाल जी संतोष कुमार मझवा मिर्जापुर, यतींद्र कुमार जैन साहब जैन धर्मशाला दमोह कैलाश चंद पिपरिया वाले दमोह, केसरचंद जैन पान वाले एवं स्वतंत्र कुमार नैनधरा वाले दमोह को प्राप्त हुआ।

नवीन पिछिका देने का सौभाग्य श्रीमान नरेंद्र कुमार खजरी , अनुराग जैन दमोह, राकेश  चैधरी दमोह, सुनील कुमार बड़ा मंदिर, मनीष बजाज, श्रेयांश लहरी, कुमारी अनामिका, अजय कुमार खजरी दमोह, लोकेश गांगरा, दीपक हर्ष कंप्यूटर, मुंशी अरविंद कुमार, शैलेंद्र कुमार मयूर, राजेंद्र कुमार लार्ड शॉप, कृष्ण कुमार पथरिया, प्रमोद कुमार सिविल वार्ड एवं दिनेश कुमार असाटी वार्ड दमोह को प्राप्त हुआ।

इस अवसर पर समाज के प्रतिष्ठित जनों का, त्यागी तपस्वी मुनिराज के माता-पिता परिजन का आचार्य संघ की आहार व्यवस्था, निहार व्यवस्था, बिहार व्यवस्था करने वाले कार्यकर्ताओं का चतुर्मास समिति द्वारा सम्मानित किया गया। आचार्य श्री के संघथ मुनि महाराज के परिजन जो कि राहतगढ, गुना, इंदौर, मझआ मछुआ बरा ,छतरपुर, सागर, पथरिया, जबलपुर, आगरा नगर से पधारे उन सभी श्रावक जनों का सम्मान किया गया। 


सभी जैन महिला मंडल बालिका मंडल एवं बाल मंडल वालों ने श्री फल समर्पित करके आचार्य संघ से आशीर्वाद दिया । आचार्य श्री ने पिच्छी का महत्व बताते हुए कहा पिच्छी मोक्ष मार्ग का प्रतीक है। रस्सी सम्यक दर्शन का प्रतीक है। पंख सम्यक ज्ञान के प्रतीक है और लकड़ी की डंडी सम्यक चारित्र का प्रतीक है। इसी कारण मुनिराज मयूर पंख की पिच्छी रखते हैं। इस के रखने का दूसरा कारण यह भी है कि पंख मोर के होते हैं, मोरनी के नहीं क्योंकि मुनिजन ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करने से स्त्री की कोई वस्तु अपने पास नहीं रखते। मयूर पंख का हर संप्रदाय में महत्व है । ’पिच्छी परिवर्तन समारोह हृदय परिवर्तन का समारोह है।’ जो भक्त सतगुरु की 4 माह तक सेवा करता है उसे यह सेवा एवं संयम के फल से प्राप्त होती है । मानव जीवन का सार संयम धारण करने में है । इस संयम के उपकरण को लेकर हमेशा संयम लेने की भावना करके सिद्ध परमात्मा बनने का प्रयास करना चाहिए

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