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आदिश्वरगिरी नोहटा में सिद्धचक्र महामंडल विधान के सातवें दिन भक्तिभाव से अघ्र्य समर्पित किए.. अहंकार से युक्त व्यक्ति मुर्दे की तरह अकड़ा रहता है- आचार्य श्री निर्भयसागर जी महाराज

 सिद्धचक्र महामंडल विधान भक्तिभाव से अघ्र्य समर्पित

दमोह। वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज के मंगल सानिध्य में चल रहे सिद्धचक्र महामंडल विधान के सातवें दिन आचार्य श्री ने उपदेश देते हुए कहा कि भगवान की पूजा करने से आपस में प्रेम बढ़ता है व्यापार में वृद्धि होती है धनधान्य में वृद्धि होती है सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ती है और पुण्य कर्म का संचय होता है और अंत में मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।
 जब कोई गरीब व्यक्ति किसी अमीर आदमी के यहां दिन भर सेवा करता है तो उसे सेवा के फल से 300 लगभग प्राप्त हो जाते हैं तो फिर भगवान की सेवा करने से कुछ क्यों नहीं मिलेगा अर्थात अवश्य मिलेगा। आचार्य श्री ने कहा जिसके हृदय में भक्ति की हवा भरी होती है उसे सारी दुनिया वॉलीबॉल की तरह हाथों हाथों में लिए रहती है
 और जिसके अंदर अहंकार की हवा भरी होती है उससे सारी दुनिया फुटबॉल की तरह लात मार-मार कर हिट करते रहते हैं कोई हाथ नहीं लगाना चाहते इसीलिए जीवन में अहंकार नहीं करना चाहिए बल्कि श्रद्धा भक्ति से पूजन अर्चना करना चाहिए। अहंकार से युक्त व्यक्ति मुर्दे की तरह अकड़ा रहता है।

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