शिव नगर में श्री शांतिनाथ त्रिमूर्ति जैन नवीन मंदिर का शिलान्यास..
दमोह। परम पूज्य वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में शिव नगर कॉलोनी दमोह मेंश्री शांतिनाथ त्रिमूर्ति जैन नवीन मंदिर का शिलान्यास हुआ । शिलान्यास करने का सौभाग्य उदय चंद राम शाह भिडा मिशनरी परिवार एवं सुरेश कुमार जैन सागर नाका दमोह वालों को प्राप्त हुआ।
खात क्रिया करने का सौभाग्य श्री विनोद कुमार, माखनलाल जबलपुर, अजीत कुमार खड़ेरी एवं नायक परिवार को प्राप्त हुआ। पंच परमेष्ठी की शिला, रजत और स्वर्ण शिला रखने का सौभाग्य अरविंद राजा जबलपुर, मोतीलाल गोयल, विनोद जैन, चमेली बाई, आशा जैन, शील रानी नायक, सुलेखा जैन, अंजना बजाज को प्राप्त हुआ । कॉलोनाइजर सुनील डबुलिया बांदकपुर. रिंकू खजरी एवं अजीत खड़ेरी परिवार ने परिवार इन तीनों ने मंदिर निर्माण हेतु सात सात लाख रुपए की घोषणा की ।
वैज्ञानिक संत आचार्य निर्भय सागर महाराज के सानिध्य में दमोह नगर की शिव नगर कॉलोनी में कॉलोनाइजर ने निशुल्क भूमि प्रदान की और मंदिर बनाने का पूरा खर्च भुगतान करने की घोषणा की। दिवाली तक मंदिर पूर्ण तैयार करने का वायदा किया।
आचार्य श्री ने इस अवसर पर कहा जिस नगर में मंदिर होता है उस नगर के बच्चे संस्कारवान, आस्थावान विनयवान और ज्ञानवान होते हैं। मंदिर का शिलान्यास मन को मंदिर बनाने का शिलान्यास है। शिलान्यास करने वाला सिद्ध शिला में जाकर निवास करता है। जैसी सरकार ने गली गली में हैंड पंप, स्कूल, अस्पताल बनवा दिये हैं वैसे मंदिर और पाठशाला की जरूरत है गली गली में खुलना चाहिए उसकी भी जरूरत है।
आचार्य श्री ने प्रात कालीन सभा में कहा मिलन,परिचय,संयोग को व्यावहारिक दृष्टि से अच्छा मानते है उसे सुख का कारण मानते हैं। लेकिन वास्तविक दृष्टि से देखा जाए तो वह दुख का कारण है क्योंकि संयोग वियोग में होता है। हर्ष शोक मय होता है ।सुख दुख में होता है।जन्म मरण का नाम संसार है ।परिभ्रमण का नाम संसार है। सन सरण अर्थात परिभ्रमण का नाम संसार है। जहां जीव अजीव आदि पाए जाते हैं वहां संसार है । मोक्ष चाहने वाला भव्य जीव संसार की वृद्धि नहीं करना है बल्कि संसार को घटाना चाहता है। ’सुंदर वही है जिसकी आपको जरूरत है’ ’सुंदर वह नहीं जो बेहद खूबसूरत है’
बांसा में मुनि श्री प्रशांत सागर एवं निर्वेगसागर जी महाराज की आगवानी..
परम पूज्य संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज’ के शिष्य मुनि श्री 108 प्रशांत सागरजी महाराज एवं मुनि श्री 108 निर्वेगसागर जी महाराज का शुक्रवार सुबह आचार्य श्री 108 उदार सागर जी महाराज की जन्मस्थली धर्मनगरी बांसा में मंगल आगमन हुआ। इस अवसर पर मुनि संघ की ग्राम वासियों ने मंगल आगवानी की तथा आहार चर्या भी बांसा में संपन्न’ हुई। इसके बाद मुनि संघ का विहार दमोह की ओर हुआ।
रास्ते में बांसा से एक किमी दूर दमोह सागर मार्ग पर आचार्य श्री 108 उदार सागर जी महाराज के मंगल आशीर्वाद एवं प्रेरणा से निर्माणाधीन श्री मुनिसब्रत तीर्थ पर श्री मूनिसुब्रत युवा संघ के सदस्यों द्वारा मुनि श्री की आगवानी कर तीर्थ पर पधारने का निवेदन किया गया। जिसके बाद मुनि संघ ने तीर्थ पर पधारकर सभी को आशीर्वाद प्रदान किया।’इस अवसर पर मुनि श्री निर्वेग सागर जी ने कहा कि यहां पर जैन मंदिर के साथ साथ ज्ञान उपयोगी शिक्षा संस्थान एवं जैन विद्यार्थियों के लिए हॉस्टल, पाठशाला, विद्यार्जन केंद्र, शिक्षा संस्थान आदि का भी विकास हो और उन्होंने इसके लिए सभी को आशीर्वाद प्रदान किया।’
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