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जन्म दिवस माता-पिता को स्मरण करने का दिवस है.. आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज के जन्म दिवस’पर विविध आयोजन.. आर्यिका रत्न सत्य माता जी का का गुरु उपकार एवं दीक्षा दिवस मनाया.. पलन्दी मन्दिर में चतुर्थ वेदी प्रतिष्ठा वर्षगांठ सम्पन्न..

 आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज के जन्म दिवस’पर विविध आयोजन..

दमोह। परम पूज्य वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज संघ सहित राजीव कॉलोनी दमोह में विराजमान है 24 फरवरी को आचार्य श्री का 59 वा जन्म दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया गया । कार्यक्रम का संचालन पंडित अभिषेक एवं आशीष ने किया। मंगलाचरण पाठशाला के विद्यार्थियों ने किया बच्चों के द्वारा किया गया संगीत में मंगलाचरण सभी के दिल को छू गया। जब बच्चों ने कहा पत्थर को मोती कर दिया यह उपकार तेरा है गिरते को तुमने थाम लिया यह उपकार दे रहा है

                                         

 चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्वलन सतीश जैन, मिट्ठू लाल, कैलाश चंद, यूसी जैन, दीपचंद, प्रवीण कुमार, अजय कुमार, मुन्नालाल मनोज कुमार आदि ने किया। आचार्य श्री के चरणों का पाद प्रक्षालन कस्तूरचंद अमित कुमार जैन बनवार वालों ने किया। शास्त्र भेंट अमोल एवं अमोली का जुड़वा भाई बहन ने अपने जन्म दिवस के उपलक्ष में किया। आचार्य श्री की 59 दीपो से आरती करने का सौभाग्य श्रीमान सुरेंद्र कुमार जी शिक्षा को प्राप्त हुआ । संगीतमय पूजा करने का सौभाग्य महिला मंडलबालिका मंडल एवं समस्त जैन मंदिरों के पधारे हुए ट्रस्टीयों को प्राप्त हुआ ।

आचार्य श्री ने धर्म उपदेश करते हुए कहा जीवन रूपी सरिता जन्म और मरण रूपी दो किनारों के बीच में कल-कल बहती है जीवन में कलह नहीं होना चाहिए मानव जन्म उसी का सार्थक है जिसने अपने जीवन में तीर्थ यात्रा की हो दया दान पूजा जप तप शास्त्र अध्ययनएवं परोपकार का कार्य किया होजिसने यह कार्य किया है उसका बर्थ डे मनाना सार्थक है लेकिन जिसने यह 8 कार्य ना किए हो उनका बर्थडे मनाना व्यर्थ है जन्म दिवस पर माता-पिता को स्मरण करना चाहिए जन्म दिवस माता-पिता को स्मरण करने का दिवस है । जिसने अपने जीवन में संयम को धारण किया हो उसका जीवन पूज्य बन जाता है इसलिए साधु का जन्म दिवस अवश्य मनाना चाहिए

आचार्य श्री ने कहा अच्छा काम करोगे तो अच्छी गति मिलेगी बुरा काम करोगे तो बुरी गति मिलेगी यदि विश्वास ना हो तो किसी बावड़ी में जाकर ध्वनि करके देखो जैसी ध्वनि करोगे वैसी प्रतिध्वनि मिलेगी । सूरज के समान चमकता है कोई-कोई । गुलाब के समान महकता है कोई-कोई । दुनिया में रोज लाखों जन्म लेते हैं। लेकिन महावीर सा बनता है कोई कोई। जन्म जीव का नहीं मनुष्य तिर्यंच आदि पर्यायों का होता है। प्रत्येक जीवात्मा अनंत बार जन्म ले चुकी है और अनादि काल से पर्यटक अर्थात घुमक्कड़ बनी हुई है लेकिन तीर्थयात्री नहीं बनी तीर्थयात्री बनने पर मोक्ष रूपी मंजिल प्राप्त हो जाती है


  मुनि श्री शिवदत्त सागर जी महाराज ने कहा हमारे गुरु संगीत हैं और हम सब सात शिष्य उस संगीत के सात स्वर हैं गुरु जैसा स्वर निकाल लेना चाहे वैसा निकाल सकते हैं। मुनि श्री हेमदत्त सागर जी महाराज ने कहा जिस माता-पिता ने जन्म दिया है उन से भी बढ़कर उपकार गुरु का होता है गुरु से नया जन्म मिलता है गुरु का जन्म दिन हमारी जिंदगी  की पूरी आयु से बढ़कर होता है। मुनि श्री सोमदत्त सागर जी महाराज ने कहा यदि गुरु का जन्म नहीं होता तो हम शिष्यों का कल्याण नहीं होता। गुरु का जन्म जन जन के कल्याण के लिए होता है । क्षुल्लक चंद्र दत्त सागर जी ने कहा जीवन में कार्य ऐसे करना चाहिए कि बर्थडे व्यर्थ डे ना बने।

आर्यिका रत्न सत्य माता जी का का गुरु उपकार एवं दीक्षा दिवस मनाया..
दमोह। आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज की शिष्या आर्यिका रत्न सत्य माता जी का का गुरु उपकार एवं दीक्षा दिवस भक्ति भाव के साथ समारोह पूर्वक मनाया गया इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रावक जनों की मौजूदगी रही। 

गुरु उपकार एवं दीक्षा दिवस कार्यक्रम शुभारंभ अवसर पर जैन जागृति मंडल द्वारा मंगलाचरण किया गया तत्पश्चात समाज के वरिष्ठ जनों द्वारा दीप प्रज्वलन गुरुदेव के चित्र का अनावरण किया गया तत्पश्चात बाल ब्रह्मचारी आस्था दीदी में अपने शब्दों के जरिए विद्यांजलि समर्पित की इसी कड़ी में बाल ब्रह्मचारी धर्मिष्ठा दीदी तथा इसके बाद रश्मि दीदी ने भी अपनी बात रखी। आर्यिका श्री हेम मति माताजी एवं सकल मति माताजी ने भी अपने अपने संबोधन में गुरु के उपकार को सबसे महत्वपूर्ण बताया। अंत में आर्यिका रत्न सत्य मति माताजी ने  गुरु चरणों में उपकार व्यक्त करते हुुुए कहां की आज जो भी हूं गुरु की कृपा से हूं। गुरु का यह ऋण जन्म जन्मांतर के बाद भी नहीं चुकाया जा सकता।
दिगंबर जैन पलन्दी मन्दिर में चतुर्थ वेदी प्रतिष्ठा वर्षगांठ सम्पन्न..

दमोह। श्री दिगम्बर जैन पलन्दी मंदिर में मूलनायक 1008 श्री भगवान महावीर स्वामी जी की वेदी प्रतिष्ठा एवम श्री जी को वेदी पर विराजमान होने की चतुर्थ वर्षगांठ पूर्ण हर्ष उत्साह के साथ मनाई गई । मंदिर के महामंत्री आलोक पलन्दी एवम अध्यक्ष जितेन्द्र गुड्डू बजाज ने बताया कि प्रतिवर्षानुसार वर्षगांठ के अवसर पर 4 दिवसीय कार्यक्रम 21 से 24 फरवरी 2021 तक आयोजित किये गए। पहले दिन अखंड भक्तामर पाठ और दूसरे दिन श्री भक्तामर विधान हवन किया गया। जिसमें श्रावको द्वारा 48 पदों के साथ 48 दीपक अर्घ के साथ समर्पित किये गए। तीसरे दिन श्री महावीर स्वामी एवम श्री पार्श्वनाथ जी विधान सम्पन्न किया गया। समूर्ण आयोजन ब्रम्हचारी मनोज पलन्दी भैया जी के निर्देशन में किया गया । 
24 फरबरी को श्री महावीर स्वामी एवम श्री पार्श्वनाथ जी का मस्तकाभिषेक एवम शांतिधारा की गई। जिसमें बोली लेने का सौभाग्य राकेश पलन्दी पारस मणि, पदम  रविन्द्र बजाज, पारस जैन शिक्षक, अभिषेक चक्रेश पलन्दी, संतोष गांगरा, डॉ मनीष गांगरा, संजय गांगरा, संदीप मउ वाले, आलोक पलन्दी परिवार ने प्राप्त किया। इसके अलावा समाज के सैकड़ों लोगों ने  मस्तकाभिषेक  कर पुण्यार्जन किया। समस्त आयोजन में मंदिर समिति के एवम श्रावक जनों का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ ।समिति ने सभी का आभार व्यक्त किया ।

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