मीट मार्किट जल्द हटाने कुंडलपुर कमेटी एवं शाकाहार उपासना परिसंघ ने ज्ञापन सौंपा
दमोह। कुंडलपुर क्षेत्र कमेटी एवं शाकाहार उपासना परिसंघ ने गौशाला अध्यक्ष एवं प्रतिष्ठित व्यापारी मनीष मलैया पर हुए प्राणघातक हमले एवं दमोह के मीट मार्केट को शहर के बीच से दूर हटाने की मांग को लेकर जिले के कलेक्ट्रेट में जाकर जिला प्रशासन को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया कि भारत एक अहिंसा प्रधान देश है और यहां शांति और सद्भावना की स्थापना अहिंसा के माध्यम से ही की जा सकती है पशु वध और पशु क्रूरता से सुख शांति की कल्पना नहीं की जा सकती।
गौशाला के अध्यक्ष शहर के प्रतिष्ठित व्यापारी मनीष मलैया पर कतिपय असामाजिक तत्वों के द्वारा प्राणघातक हमला किया जाना अत्यंत निंदनीय है कमेटी इसकी तीव्र भर्त्सना करती है और शीघ्र ही अपराधियों को कठोर से कठोर दंड देने की मांग करती है।
ज्ञापन में शहर के मध्य स्थित मीट मार्केट को उच्च न्यायालय के निर्णय अनुसार शीघ्र ही दूर विस्थापित करके अहिंसक समाज की धार्मिक भावनाओं का सम्मान किया जावें जन भावनाओं की उपेक्षा होने पर अहिंसा प्रेमी समाज को आंदोलन के लिए मजबूर ना किया जावे साथ ही शहर में यत्र तत्र खुल रही मांस विक्रय की दुकानों को शहर से दूर एक ही स्थान पर व्यवस्थित किया जावें। इस अवसर पर कुंडलपुर कमेटी एवं परिसंघ के वरिष्ठ पदाधिकारी एवं सदस्य गणों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही।
मधुर व्यवहार पूर्ण कर्म करने से प्रेम पैसा पुण्य और परमात्मा तीनों मिलते हैं। योगी पाप कर्मों को साफ करते हैं। भोगी भोजन को साफ करते हैं। चोर माल को साफ करते हैं। कर्मचारी सड़क को साफ करते हैं। महान तो वही है जो दूसरों की गलतियों को माफ करते हैं। ताकत का उपयोग करना सीखना चाहिए दुरुपयोग नहीं। ताकत का दुरुपयोग करने से हम स्वयं हार जाते हैं। रोने से दिल के मैल धुल जाते हैं। तप करने से आत्मा के पाप कर्म रूपी मल जल जाते हैं। बहस करने से वाहवाही नहीं मिलती बल्कि बहस करने से सब तहस-नहस हो जाता है।आचार्य श्री ने कहा कर्म ऐसे करो जो कृतकृत्य कर दे जो आत्मा को परमात्मा बना दे जो सद मार्ग पर लगा दे जो पृथ्वी पर भार के योग्य ना बना कर आभार के योग्य बना दें। जो अच्छे कर्म करता है वह आभार के योग्य होता है। बुरे कर्म करने से करे कराए पर पानी फिर जाता है। बदनामी होने लग जाती है।कर्म का अर्थ बतलाते हुए आचार्य श्री ने कहा परिश्रम और पुरुषार्थ को कर्म कहते हैं कर्म करके ही पेट भरना चाहिए। यह कर्म भूमि है भोग भूमि नहीं। कर्म का फल सबको मिलता है। जो जैसा करता है उसको वैसा फल मिलता है यह गीता में भी लिखा है। कर्म का दूसरा अर्थ आत्मा से बनने वाले कर्म परमाणु भी है आत्मा से अनंत पुद्गल कर्म परमाणु अनादि काल से बंधे हुए हैं जो आत्मा में सिम कार्ड की तरह भरे हुए हैं उसका फल समय-समय पर मिलता रहता है। आत्मा साहूकार है और कर्म चोर है। कर्म रूपी चोर आत्मा की ज्ञान आदि निधि को लूटना चाहते हैं। अनादि काल से मोह के कारण आत्मा की ज्ञानरूपी निधि लुट रही है।ताकत का उपयोग करना सीखना चाहिए दुरुपयोग नहीं- आचार्य श्री
दमोह। वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज ने कहा कर्म ऐसे करें कि दुख न भोगना पड़े। कर्म ऐसे करें कि स्वयं को और दूसरों को कष्ट ना हो। कर्मों की मार आत्मा में चोट करती है। वचनों की मार दिल में चोट करती है। लाठी की मार तन में चोट करती है लाठी की मार कई घंटों तक वचनों की मार कई वर्षों तकऔर कर्मों की मार कई भाव तक दुख देती है। भोग वादी प्रवृत्ति आदमी को अनैतिक बनाती है। सिद्धांतहीन मार्ग पर चलाती है। सिद्धांत हीन व्यक्ति को दिल में जगह नहीं मिलती है। दिल में जगह ना हथियार से मिलती है और ना अधिकार से मिलती है अरे दिल में जगह तो सिर्फ मधुर व्यवहार से मिलती है।
आत्मा की निधि को कर्म रूपी चोरों से बचाने के लिए वैराग्य का कवच ज्ञान की तलवार संयम की ढाल लेकर सद्गुरु के साथ बढ़ना होता है रत्नत्रय की बंदूक को लेकर कर्म रूपी चोरों को पकड़ा जा सकता हैअथवा कर्म रूपी चोरों का आत्म समर्पण कराया जा सकता है। आचार्य श्री ने कहा बाप बन कर नहीं बेटा बनकर मोक्ष को पाया जा सकता है। बाप बनने पर विकल्प ज्यादा आते हैं बेटा हमेशा निर्विकल्प रहता है निर्विकल्प अवस्था में ध्यान होता है ध्यान रूपी अग्नि से कर्म जलकर नष्ट होते हैं और आत्मा शुद्ध हो जाती है यही वजह है कि जैन मुनि नग्न दिगंबर होकर एक जन्मजात बालक की तरह सहज सरल और निर्विकल्प हो जाते हैं।आचार्य श्री ने कहा कर्म ऐसे करो जिससे संसार के बंधनों से मुक्ति मिल जाए संसार में सुख शांति और चमन का माहौल बन जाए। किसी की निंदा आलोचना मत करो निंदा आलोचना करने से समाज में प्रदूषण फैलता है वर्तमान की राजनीति में एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप और निंदा आलोचना करके छींटाकशी की जाती है यह राजनीति में फैलने वाला प्रदूषण है। वर्तमान में पर्यावरण के प्रदूषण की बात तो राजनेता करते हैं लेकिन राजनीति के प्रदूषण को हटाए बिना पर्यावरण के प्रदूषण को नहीं हटाया जा सकता और देश में शांति नहीं लाई जा सकती है इसलिए देश को आगे बढ़ाने के लिए प्रत्येक पक्ष और विपक्ष को सहयोगी बनना चाहिए विरोधी नहीं।
आचार्य श्री ने जैन समाज सेवी मनीष मलैया गौशाला अध्यक्ष पर हुए आत्मघाती हमले की घोर निंदा की और कहा अहिंसा को जीवित रखना होगा अन्याय को दंडित करना होगा तभी हमारा देश विकास के मार्ग पर बढ़ सकता है मनीष मलैया जी ने अन्याय नहीं किया बल्कि न्याय के लिए लड़ाई लड़ी थी और उसकी विजय हुई मैं चाहता हूं ऐसे हिंसक लोगों के अंदर अहिंसा के भाव पैदा हो वे अपना जीवन पवित्र बनाएं अहिंसा के मार्ग पर चलें हिंसा का कार्य छोड़ें क्योंकि राम कृष्ण हनुमान बुद्ध आदि ने कभी मांस नहीं खाया। तो फिर हमारे देश में साग सब्जी की तरह खुलेआम मांस क्यों बिक रहा है खाने वालों का मैं निषेध नहीं कर रहा हूं ना किसी के व्यवसाय में बाधक बन रहा हूं बल्कि इतना है कि खुले में बीच शहर में यह कार्य नहीं होना चाहिए यदि आगे कार्यवाही नहीं की गई तो अहिंसक लोगपुनरू सड़क पर न्याय के लिए आंदोलन करेंगे..
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