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फंगल संक्रमण रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी वाले लोगो में परिलक्षित होता है.. नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉं राकेश राय ने फंगल संक्रमण को लेकर साझा की महत्वपूर्ण जानकारी.. सावधान रहें फंगल के कण रोगी की नाक मुंह दांत आंख मस्तिष्क को भी संक्रमित कर सकते हैं..

 डॉं राकेश राय की फंगल संक्रमण को लेकर रॉय

दमोह । नेत्र रोग विशेषज्ञ डाँ राकेश राय ने बताया कि म्यूकार्माइ कोसिस एक तरह का फंगल संक्रमण है जिसे ब्लैक फंगस के नाम से जाना जाता है. रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी वाले रोगियों में परिलक्षित होता है ऐसे रोगियों में  fungal spore हवा अथवा पानी में मौजूद फंगस के कण रोगी के नाक मुंह दांत आंख एवं गंभीर स्थिति में मस्तिष्क एवं अन्य अवयवों को भी संक्रमित कर सकते हैं, मरीज को संक्रमण होने के उपरांत प्रायः सिर में लगातार दर्द का होना सायनस हैडेक, फेसियल पैन, फेसियल स्वलिंग, फेसियल स्किन डिसकोलोरेशन आंख में दर्द होना एवं लाल हो जाना पलकों में सूजन आ जाना आंखों की पलक का झुक जाना ptosis आंखों का उबर proptosis जाना एवं आंखों के मूवमेंट ना होना restricted eye movement. कम दिखना या बिल्कुल दिखाई ना देना।


blurring of vision double vision नाक में स्टीफनेस stuffy nose होना एवं खून जैसा या काला bloody nasal  discharge चेहरे में एवं जबड़ो में सूजन आ जाना  दांतों में दर्द होना दांतों का ढीला होना loosening of teeth सांस लेने में  तकलीफ होना लगातार खांसी आना एवं खून आना इत्यादि लक्षण पाए जाते हैं। mucormycosis के महत्वपूर्ण कारक (pre disposing factor) प्रायः COVIT  संक्रमण, अनियंत्रित शुगर लंबे समय से स्ट्राइड थेरेपी लंबे समय से आईसीसीयू में इलाज शरीर में कोई गंभीर बीमारी हो जैसे कि कैंसर  रोगीकिडनी प्रत्यारोपण एवं  immunosuppressive इलाज चल रहा हो HIV ऐसे मरीजों में प्रतिरोध क्षमता कम हो जाती हैं इनमें  mucormycosis की संभावना बढ़ जाती है इस बीमारी से नियंत्रण(precautions) हेतु आवश्यक सावधानियां शुगर नियंत्रित होना चाहिए नियमित शुगर की जांच कराना चाहिए चिकित्सीय परामर्श के अनुसार स्ट्राइड लेना चाहिए एवं उसकी खुराक  को taper करना चाहिए। broad spectrum antibiotics का अनावश्यक एवं अनुचित उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।


उन्होंने बताया ऑक्सीजन के फ्लो मीटर मे निमित्त रूप से पानी का बदलाव sterile / Distilled water मास्क एवं अन्य उपकरणों की प्रतिदिन सफाई  बीटाडीन एवं गर्म पानी नमक से गरारे करना चाहिए, अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए प्रतिदिन व्यायाम (प्राणायाम अनुलोम विलोम कपालभाति इत्यादि) करना चाहिए। ऐसे लक्षण पाए जाने पर तुरंत जांच कराना चाहिए जिससे समय रहते इलाज हो सके यह बीमारी गंभीर अवस्था में जा सकती है। उपचार के विकल्प के सबंध में भी बताया

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