नशिया जी मंदिर में 144 दीप जलाकर भक्तांबर पाठ
दमोह। दमोह। जैन पयूर्षण पर्व पर नगर तथा आसपास के क्षेत्रों के जैन मंदिरों में विविध आयोजन जारी है। प्रातः श्रीजी के अभिषेक पूजन विधान के साथ दोपहर तथा रात्रि में भी विविध कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है।
नसिया जी मंदिर में उत्तम सत्य धर्म की संध्या पर नवनिर्मित मंदिर में पहली वार एक साथ तीन वेदियो पर 144 दीप जलाकर श्री भक्तामर जी का पाठ का आयोजन किया गया जिसके बाद श्री जी की आरती हाथों में दीप लेकर पुरुषों, महिलाओं, बच्चों ने पूरी भक्ति भाव से आरती की जिसमे बड़ी संख्या में भक्तों की मौजूदगी रही।
नन्हे मंदिरजी में बाहुबली भगवान का महा मस्तकाभिषेक आज..
दमोह। पर्युषण पर्व के चलते सातवें दिन गुरुवार को उत्तम तप धर्म की पूजा की जाएगी। वही श्री पारसनाथ दिगंबर जैन नन्हे मंदिर जी में बाहुबली भगवान का महा मस्तकाभिषेक का आयोजन किया जाएगा। मंदिर कमेटी के राजेश चुनौती ने बताया कि सुबह 8ः30 बजे से आर्यिका रत्न सकल मति माताजी के सानिध्य में बाहुबली भगवान का महा मस्तकाभिषेक कार्यक्रम प्रारंभ होगा वर्ष में एक बार होने वाले इस आयोजन का सभी श्रावण जनों को बेसब्री से इंतजार रहता है। समिति के अध्यक्ष गिरीश अहिंसा एवं महामंत्री चक्रेश सराफ ने सभी श्रावक जनों से सुबह 8ः30 बजे मंदिर जी पहुंचकर शुद्धि के वस्त्रों में महा मस्तकाभिषेक कार्यक्रम में शामिल होने की अपील की है।
कुंडलपुर में 28 सितंबर को मनाई जाएगी क्षमावाणी
कुंडलपुर में आगामी 28 सितंबर को निर्यापक मुनि श्री योग सागर जी के सत्संग मंगल सानिध्य में हर्षोल्लास के साथ क्षमावाणी पर्व मनाया जाएगा। क्षमावाणी पर्व का आयोजन करने हेतु कुंडलपुर में प्रबंध कारिणी समिति की बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया। उसके पश्चात बैठक में आगामी 2022 में फरवरी माह में संभावित पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव की तैयारियों एवं कार्य योजना पर भी विचार विमर्श किया गया। निर्माण कमेटी के इंजीनियर गौरव जैन ने मंदिर निर्माण संबंधी जानकारी प्रदान करते हुए बताया कि समय सीमा के अंदर कार्य को पूर्ण कर लिया जावेगा बैठक में पदाधिकारियों के साथ अनेक सदस्यों की उपस्थिति रही।
बुद्धि पूर्वक दुख को सहना इसे पूर्व में किया पाप उदय मानना चाहिए- मुनि श्री योग सागर जी महाराज
दमोह। परम पूज्य 108 मुनि श्री श्रवण सागर महाराज जी ने पर्यूषण पर्व के छठवें दिन संयम धर्म पर अपने मंगल प्रवचनओं में कहा कि संयम और चरित्र में कोई अंतर नहीं होता है कथन से जीवन में एक नियम का आजीवन पालन करने का समीचीन नियम है संयम पालन भी कल्याण करने के लिए पर्याप्त है लेकिन नियम के प्रति दृढ़ता रखना बहुत आवश्यक है। एक छोटा सा नियम का ठीक से पालन करने वाला बहुत ही शीघ्रता से मुक्ति को प्राप्त कर लेता है। इसके पश्चात पूज्य निर्यापक श्रमण मुनि श्री योग सागर जी ने संयम धर्म पर अपने उद्बोधन में कहा की आज संयम के आधार से सभी गुण प्राप्त होते हैं, इसके बिना एक भी धर्म प्राप्त नहीं होता है, अपवित्र वस्तु का त्याग जघन्य बैराग्य आवश्यकता से अधिक वस्तु का त्याग सामान्य मध्यम वैराग्य सारे संसार का त्याग उत्कृष्ट संयम, उत्कृष्ट वैराग्य माना जाता है असंयम बिना लगाम के घोड़े जैसा जीवन होता है पांच पाप का त्याग करना संयम है बुद्धि पूर्वक दुख को सहना इसे पूर्व में किया पाप उदय मानना चाहिए ऐसा सोचो क्षमा करो सबका कल्याण हो यह भावना रखो असाता में धैर्य रखो साता में नियंत्रण यह संयम का लक्षण हैं।
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