हटा में आर्यिका संघ का पिच्छिका परिवर्तन
हटा, दमोह। जब
आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने जब अपने सिंहासन से खडे होकर युवा
मुनि विद्यासागर को आचार्य पद प्रदान करते हुए अपने सिंहासन पर विराजमान
किया तो विशाल जन समूह देखते ही रह गया, कन्नड भाषी जो हिन्दी भी सही से
नहीं बोल पाते उन्हे इतना बडा पद ऐसे कैसे लेकिन आचार्य श्री ज्ञानसागर जी
महाराज तो जौहरी थे उन्होने हीरा को परखा और उन्हे इस महान पद से
विभूषित किया, यह बात आर्यिका रत्न श्री गुणमति माता जी ने नगर के नावघाट
मैदान पर आयोजित आचार्य पदारोहण दिवस एवं भव्य पिच्छिका परिवर्तन समारोह
के अवसर पर अपने मंगल प्रवचन में कही।
उन्होने कहा कि आचार्य श्री की लगन,
समर्पण, निष्ठा ने ही युवा अवस्था में ही इस पद पर पहुंचाया, उन्होने कम
समय में ही फराटेदार संस्कृत बोलना सीखा, उनके त्याग-तप को देखते ही रह
गये, आचार्य श्री जैसे गुरू हम सबको मिले यही हमारा सौभागय है, पूरे
दिन चले धार्मिक आयोजन का शुभारंभ प्रातःकाल श्री पारसनाथ दिगम्बर जैन त्रमूर्ति मंदिर में शहपुरा भिटौनी से प्रतिष्ठित होकर आई प्रतिमाओं को
उच्चसिंहासन पर विराज मान किया गया। दोपहर में नावघाट मैदान पर आयोजित
समारोह में सबसे पहले बडे बावा एवं आचार्य श्री के चित्र का अनावरण हुआ,
मंगल दीप प्रज्जवलित किया गया, आचार्य श्री का पूजन हुआ जिसमें विभिन्न प्रांतो की रहन सहन को प्रस्तुत करते हुए एक सकारात्मक संदेश
देते हुए अर्घ्घ समर्पित किये, किसी ने बेटी बचाओ, किसी ने शिक्षा का
महत्व, परिवार का महत्व, माता पिता का सम्मान का संदेश दिया गया।
लोगों
की आंखो में आंसू उस समय आ गये जब देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए सैनिक का
शव घर पर जाता है तो नन्ही बेटी, वृद्ध मां के साथ भारत मां के आंखो से
भी आंसू गिरते है, इस फिल्मांकन ने सभी श्रद्धालुओं की आंखो को नम कर
दिया, तदुपरांत भारत मां की भूमिका अदा कर रही डा. मानसी आर्यिका रत्न
गुणमति माता जी की नई पिच्छिका को लेकर मंच पर पहुंची, इसी तरह रानी
लक्ष्मीबाई का भेष में दीप्ति जैन आर्यिका श्री की पिच्छि को मंच लेकर आई,
तीसरी पिच्छि नगर के चारों जैन मंदिर के अध्यक्ष एवं उनके प्रतिनिधि
लेकर मंच पर पहुंचे, पिच्छिका
विमोचन के साथ ही आर्यिका संघ का पिच्छिका परिवर्तन हुआ।
वर्षायोग में
जिन लोगों के द्वारा मंगलकलश स्थापित किये गये थे, उन कलशों को चारों
मंदिर से लाकर संबंधित को सम्मान के साथ प्रदान किया गया, आयोजन में डा.
संजय ित्रवेदी एवं डा. संगीता ित्रवेदी मुख्य जिला स्वास्थ्य एवं
चिकित्सा अधिकारी विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, बाहर से आये
अतिथियों ने आर्यिका रत्न श्री गुणमति माता जी, आर्यिका ध्येयमति माता
जी, आर्यिका आत्ममति माता जी को श्रीफल भेंट किये, आयोजन में बडी संख्या
में भक्तजन उपस्थित रहे
पथरिया में जनसंत के सानिध्य में पदारोहण दिवस
दमोह।पथरिया
में आचार्य श्री विद्यासागर जी का 50 वा आचार्य पदारोहण कार्यक्रम
पार्श्वनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर में मुनि श्री विरंजन सागर महाराज के ससंघ
सानिध्य में बड़े ही भक्तिभाव से मनाया गया। आचार्य
श्री विद्यासागर जी महाराज के आचार्य पदारोहण पर सोमवार प्रातः मंदिर जी
में श्रीजी के अभिषेक शांतिधारा के बाद संगीतमय गुरु पूजन का किया गया।
जिसमें भक्तों ने भक्ति के रंग में रचकर उत्सव मनाया।
इसके पश्चात पूज्य
मुनि श्री के मंगल प्रवचन हुए जिसमे उन्होंने बताया आचार्य श्री जैनो के
नही बल्कि सम्पूर्ण समाज के आदर्श है आपके ही आशीर्वाद से भारत मे कई
अस्पताल, गौशालाये, औषधालय, हतकरघा केंद्र, जीवदया केंद्र संचालित हो रहे
है। जिनका उद्देश्य मानव मात्र की सेवा और पशुधन का संरक्षण होता रहे। मुनि
श्री नित्य क्रियाओ में सुबह 8:30 से प्रतिदिन प्रवचन दोपहर 3 बजे समयसार
की कक्षा,6 बजे अचार्य भक्ति अनंद यात्रा का आयोजन होता है।
नैनागिरी पंचकल्याणक में आदि कुमार का जन्मोत्सव
नैनागिरी बकस्वाहा।
जन्म सार्थक करना है तो तीर्थंकर बालक जैसा बनना पड़ेगा, अपने जीवन में
भगवान के आचरण आत्मसात करना होगा , नर से नारकी अथवा नर से नारायण बनने के
लिए हमें लक्ष्य तय करना पड़ेगा और नर से निर्वाण / नारायण के लिए
पुरुषार्थ करना पड़ेगा , अगर आप दुखों से भयभीत हैं तो तीर्थंकर भगवान के
बताए मार्ग पर अग्रसर होकर जीवन का कल्याण कर सकते हैं । उक्त उदगार परम पूज्य आचार्य श्री उदारसागर जी महाराज ने नैनागिरी पंचकल्याणक
प्रतिष्ठा महोत्सव के आज तीसरे दिन सोमवार को जन्मकल्याणक के संबंध में
बिस्तार से बताते हुए अपने प्रवचन मे व्यक्त किए।
महोत्सव समिति के महामंत्री राजेश रागी पत्रकार ने बताया कि जन्म कल्याणक
के अवसर पर आदि कुमार का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया, बधाइयों के साथ
ही सौधर्म के पात्र डॉ.राकेश जैन व शचि इन्द्राणी श्रीमति अनीता सागर
द्वारा प्रदक्षिणा की गई, ऐरावत हाथी पर आदि कुमार को लेकर पांडुक शिला की
ओर भव्य जुलूस के साथ जन्म अभिषेक किया गया, जिसमें सौधर्म के पात्र सहित
अन्य प्रमुख इन्द्र इन्द्राणी पात्रों के साथ ही राजीव कुमार पवन कुमार जैन
पटेरा तथा निशांत जैन अपर कलेक्टर ग्वालियर परिवार तथा सैकडों महानुभावों
ने अभिषेक किया।
इस अवसर पर राष्ट्रीय महिला
सम्मेलन का आयोजन *लीडिंग लेडीज आँफ बुन्देलखण्ड* की थीम को लेकर नारी
सशक्तिकरण के उद्देश्य को शामिल करते हुए किया गया, जो उच्च न्यायालय की
न्यायमूर्ति श्रीमती विमला जी जैन के मुख्य आतिथ्य तथा समाजसेवी व आचरण
समाचार पत्र की संपादिका श्रीमती निधि जैन सागर एवं तहसीलदार विनीता जैन
के विशिष्ट आतिथ्य मे किया गया । सम्मेलन में मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति
श्रीमती विमला जैन ने महिलाओं की गौरव गाथाओं को बताते हुए संस्कारित
जीवनशैली पर जोर दिया । श्रमण संस्कृति में नारी का योगदान बिषय पर डॉ आशा
जैन सागर , दीप्ति चंदेरिया एवं घर व बाहर महिलाओं की भूमिका पर अर्पणा जैन
व डॉ निधि बैंगलूर तथा मां एक कुशल शिल्पी विषय पर श्रीमती सुषमा जैन
कोतमा ,महिला एवं पुरुष की समान भूमिका पर तहसीलदार विनीता जैन, भ्रूण
हत्या मातृत्व पर कलंक विषय पर श्रीमती निधि जैन संपादक आचरण सागर, देश
में नारी के विभिन्न रुप पर ज्योति जैन दमोह ने बिस्तार से व्याख्या की ,इस
कार्यक्रम की संयोजिका श्रीमती संतोष जैन कामनी ने सफल संचालन किया।
इस
मौके पर महोत्सव के मुख्य अतिथि सुनील जैन पूर्व विधायक सागर ने संवोधित
किया वही नैनागिरि जैन तीर्थ के ट्रस्ट अध्यक्ष सुरेश जैन आईएएस ने
नैनागिर जैन तीर्थ का प्राचीन इतिहास बताते हुए इस क्षेत्र के विकास में
सभी से सहयोग की अपील की । इस अवसर पर सुनील जैन
पूर्व विधायक के मुख्य आतिथ्य तथा श्रीमति निधि जैन सम्पादक आचरण के आतिथ्य
मे पारसनाथ धर्मार्थ चिकित्सालय का शुभारंभ किया गया जिसके संचालक डॉ
सौरभ जैन व डॉ स्वाति जैन उपस्थित रहे।इस मौके पर बक्सवाहा खड़ेरी पडवार
सागर आदि नगरों से आए महिला मंडल एवं पुरुषों द्वारा अष्टद्रव्य भेंट
कर्ताओं के साथ ही आचार्य श्री के भक्त विजय कुमार छिन्दवाड़ा व उनके साथ
पधारे सभी अतिथियों का अभिवादन,सम्मान प्रबंध समिति के अध्यक्ष
डा.पूर्णचंद ,महोत्सव समिति के अध्यक्ष देवेन्द्र लुहारी व महामंत्री राजेश
रागी के साथ ही समिति के सचेन्द्र लोहिया, कमल
डेवडिया, वीरेन्द्र सिंघई, सुकमाल गोल्डी, प्राचार्य सुमति प्रकाश, अनिल बडकुल,
रत्नेश भैया ने किया।
आचार्यश्री पदारोहण पर बेबीनार का आयोजन
दमोह।-संत
शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के 50 वे आचार्य पदारोहण दिवस पर
आचार्य विद्यासागर युवा मंच बुंदेलखंड के तत्वावधान में 'आचार्य श्री
विद्यासागर जी महाराज का अवदान' विषयक बेबीनार का आयोजन किया गया। वर्चुअल
आयोजित इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने आचार्यश्री को भारतीय संस्कृति का
संवाहक बताया। सर्वप्रथम गजेन्द्र जैन शास्त्री ने मंगलाष्टक के माध्यम से मंगलाचरण किया इसके बाद दीप प्रज्वलित किया गया।
इस
अवसर पर संस्कृत, जैनदर्शन के प्रकाण्ड विद्वान , मधुर कंठ के धनी ब्र.
विनोद भैया जी ने अपने संबोधन में कहा कि आचार्य श्री विद्यासागर जी चलते
हुए तीर्थ हैं। उनकी सबके प्रति अनुकम्पा रहती है। वे कभी किसी की निंदा
नहीं करते यह उनकी बड़ी विशेषता है। वे साधना के हिमालय हैं। प्रभावना
जनकल्याण परिषद के संयोजक, प्रखर वक्ता राजेन्द्र महावीर सनावद ने कहा कि
आचार्य विद्यासागर जी समर्थ गुरु के सक्षम शिष्य हैं। हम सभी का सौभाग्य है
कि हम सभी गुरुवर के युग में जन्में। आचार्यश्री की महत्त्वपूर्ण कृति
'मूकमाटी' की एक कविता को मध्यप्रदेश सरकार ने कक्षा 9 के पाठ्यक्रम में
शामिल किया है।
संचालक करते हुए डॉ. सुनील संचय
ललितपुर ने कहा कि पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के 50 वें
आचार्य पदारोहण के अवसर पर संस्कृति, शासनाचार्य-स्वर्ण महोत्सव 2021-22 के
रूप में विशेष रूप से मना रहे हैं। आचार्यश्री के 50वे आचार्य पदारोहण
दिवस पर पूरे देश में भारतीय डाक विभाग द्वारा अलग-अलग लगभग 80 विशेष आवरण
आज जारी किए गए हैं जो एक रिकॉर्ड है। आचार्यश्री भारतीय संस्कृति के
संवाहक हैं। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, स्वदेशी अपनाएं, पर्यावरण-स्वच्छता
अभियान,हिंदी अपनाएं, संस्कृति बचाओ जैसे अभियानों को वे निरंतर गति दे
रहे हैं। 2018 में ललितपुर नगरी आचार्यश्री की ऐतिहासिक अगवानी की साक्षी
बनी थी।
जिला अध्यक्ष भारतीय जैन संघटना दमोह के
राकेश पालन्दी ने कहा कि आचार्यश्री प्राणीमात्र के उद्धार के लिए संलग्न
हैं। उनकी चर्या अनुकरणीय और बेमिशाल है।उनका कृतित्व सार्वभौमिक है, बुंदेलखंड
युवा मंच के संयोजक मनीष विद्यार्थी शाहगढ़ ने कहा आचार्यश्री मात्र जैनों
के ही नहीं जन-जन की आस्था के केंद्र हैं। इनकी प्रेरणा से हजारों गौवंश की
रक्षार्थ दयोदय गौशालाएं संचालित हो रही हैं,हिंदी भाषा अभियान,इंडिया
हटाओ भारत लाओ अभियान, हथकरघा स्वावलंबन रोजगार,स्वदेशी शिक्षा,संस्कृत,
हिंदी ,अंग्रेजी का बेजोड़ साहित्य,हाइकू आदि उनकी श्रेष्ठतम साधना उन्हें
संत शिरोमणि कहलाने के लिए काफी है।
राष्ट्रीय कवि
अजय अहिंसा ने अपनी कविता के माध्यम से कहा कि गुणगान क्या करूँ, गुरु के
कुछ समझ-समझ नहीं आते। क्या गीत लिखूं मैं गुरु, जिनने खुद गीत बनाए। पुष्पेंद्र
जैन ललितपुर ने कहा कि आचार्य विद्यासागर जी को 22 नवम्बर 1972 में
ज्ञानसागर जी द्वारा आचार्य पद दिया गया था। हम सभी आचार्यश्री का 50वां
पदारोहण दिवस मना रहे हैं। अद्भुत और निराले संत हैं आचार्यश्री। इस
मौके पर अखिल भारतीय जैन पत्रकार महासंघ के महामंत्री उदयभान जैन जयपुर,
राजेश रागी बक्सवाहा, प्रदुम्न शास्त्री जयपुर, पंकज जैन छतरपुर, सुनील
सोजना, चेतन बंडा, अनिल शास्त्री गुढ़ा, डॉ. प्रगति जैन आदि प्रमुख लोग
शामिल रहे।
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