Header Ads Widget

नाट्य समारोह के तीसरे दिन थिएटर शाइन, कोलकत्ता की प्रस्तुति, आज होगा स्वांग मल्टीनेशनल का मंचन.. नाट्य समारोह में नन्हें कलाकारों ने बुंदेलखंड के गुमनाम स्वतंत्रता क्रांति को दर्शकों से रूबरू कराया.. इधर गर्ल्स स्कूल में जादू नहीं विज्ञान है कार्यक्रम सम्पन्न..

 तीसरे दिन थिएटर शाइन, कोलकत्ता की प्रस्तुति

दमोह। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से नगर की नाट्य संस्था युवा नाट्य मंच द्वारा आयोजित 19 वें राष्ट्रीय नाट्य समारोह के तीसरे दिन रविवार को कोलकत्ता बंगाल के थियेटर शाइन ग्रुप द्वारा सुवोजित बंद्योपाध्याय द्वारा लिखित व निर्देशित नाटक तोमर दाके की मंचन किया गया। यह नाटक को आधुनिक युग के एक प्रयोगात्मक तरीके से प्रस्तुतिकरण किया गया है और दुनिया भर के विभिन्न घटनाक्रमों को प्रसिद्ध कहानियों के आधार पर इसकी कहानी रची गई है।

नाटक मूल रूप से राजतंत्र से लेकर लोकतंत्र के वर्तमान युग तक आमजन पर हो रहे अत्याचारों, जबरन वसूली, कट्टरवाद और वंचन के खिलाफ मानव जाति के सतत रूप से चल रहे संघर्ष और आंदोलन को दिखाता है। नाटक में पाकिस्तान में तालिबान के पूर्वाग्रहों,  सुशासन के नाम पर लोगों को प्रताड़ना सहित सत्ता की दबंगई सहित कई व्यवस्थाओं पर कुठाराघात करता है। और अंत में नाटक दुनिया भर में सत्ता के सौदागरों सहित क्षेत्र, राज्यों और दुनिया के राष्ट्रों की बाधाओं को तोड़ने वाले अंतिम परिणाम के बारे में जागरूक किया जा सके।

नाटक का अभिनय पक्ष मजबूत है और निर्देशक ने नवाचार का प्रयोग पूरे साहस के साथ किया है। कहानी के पात्रों में कथावाचक इप्सिता देबनाथ, राजा अनिरुद्ध बिस्वास, अपर्णा, तानिया चटर्जी, जॉय सिन्हा, शांतनु पांडा, सुमन सौरव चक्रवर्ती, अमल सौरव चक्रवर्ती, पंचक देबोब्रोतो पॉल, जोंत्रराज अनन्या घोष, अंबा  तानिया चटर्जी, रघुपति संतु साधुखा ने अपनी अपनी भूमिकाओं को बाखूबी निभाया है। संगीत पक्ष नाटक का महत्वपूर्ण पक्ष है।



जिसमें सैविक हलदर, दीपक समदार पूरे खरे उतरे है। सुवोजित बनर्जी की प्रकाश व्यवस्था मंच को उसके कालखंड से जोड़कर रखती है। मनीष मित्रा, बिजय भट्टाचार्य, सिंजिनी रॉय ने अपने कार्यों को बाख्बी किया है। कुल मिलाकर नाटक दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है। नाट्य समारोह के चौथे दिन आज सोमवार को जबलपुर की नाट्य लोक संस्कृति व सामाजिक संस्था द्वारा हास्य नाटक स्वांग मल्टीनेशनल का मंचन किया जाएगा। 

नन्हें कलाकारों के अभिनय को जमकर सराहना..

दमोह। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से नगर की नाट्य संस्था युवा नाट्य मंच के द्वारा आयोजित 19वें राष्ट्रीय नाट्य समारोह के दूसरे दिन युवा नाट्य मंच के द्वारा वरिष्ठ रंगकर्मी राजीव अयाची के द्वारा रचित व निर्देशित नाटक बुंदेला विद्रोह का मंचन किया गया। इस नाटक ने जहां लोगों को इतिहास की अनछुई घटनाओं से रूबरू कराया वहीं आजादी की लड़ाई में बुंदेलखंड की माटी के सपूतों को अपनी आदरांजली भी कला के माध्यम से दी। नाटक की पृष्ठभूमि इतिहास की उन महत्वपूर्ण घटनाओं को समेटकर रची गई है जिसे इतिहास में उचित स्थान नहीं मिल सका। 

दरअसल सन 1857 का विद्रोह भारतीय स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के रूप में जाना जाता है, लेकिन उससे भी 15 वर्ष पूर्व सन 1841 में बुंदेलखंड की धरती पर अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांति का बिगुल बज गया था जो सन 1843 तक जारी रहा। अंग्रेजी शासन को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए बुंदेली राजाओं के सुनियोजित एवम संगठित विद्रोह को इस नाटक के माध्यम से दिखाया गया है। नाटक में क्रांति के अग्रणी नेता नरसिंहपुर हीरापुर के राजा हृदय शाह लोधी जो राजा के साथ अपनी जाति के मुखिया होने के अलावा समाज के अन्य वर्गों का प्रतिनिधित्व करते हुए अपे आव्हान पर समूचे बुंदेलखंड के समस्त जातियों के नागरिकों , किसानों , आस पास के राजाओ,जागीरदारों एवं प्रमुख लोगो ने  एक  साथ मिलकर इस क्रांति को आगे बढ़ाया। हांलाकि अंग्रेजों की फूट डालो राज करो  नीति और पैसों के दम पर अंग्रेजों ने बुंदेली सपूतों के अपने लोगों से ही इस क्रांति को कुचलवा दिया लेकिन फिर भी यह क्रांति आजादी की उस क्रांति को जला गई जो आगे जाकर एक आग में बदल गई, 15 वर्ष बाद सन 1857 के गदर में वे अपने साथियों के साथ पुनः रणक्षेत्र में कूदें और अपनी शारीरिक परेशानियों को दरकिनार कर सभी आजादी के परवाने देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्योछावर कर गए। 

नाटक के निर्देशक व लेखक राजीव अयाची ने घटनाओं के ताने वाने को बहुत ही खूबसूरती से पिरोया है, और यह प्रयास किया है कि हर एक पात्र के साथ पूरा न्याय हो। इतिहास से जुटाई गई घटनाओं की जानकारी महत्वपूर्ण है, जिसमें निर्देशक की मेहनत दिखती है, इसके बाद भी पात्र दर्शकों के मनोरंजन से भी पीछे नहीं रहते है। बंुदेली संगीत व वाद्ययंत्र इस नाटक में भी अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति व महत्व को बताते है। वहीं नाटक की जो बात उसे सबसे ज्यादा खास बनाती है, वह है बच्चांे का शानदार अभिनय और आत्मविश्वास जो उन्हें किसी मंझे हुए रंगकर्मी के समकक्ष रखता है।

 कलाकारों में अंग्रेज सैनिक की भूमिका आरना जैन, आराध्यकांत वर्मन, सानिध्य खरे, अवनि जैन, वैष्णवी चौरसिया, आलिया खान, सौमिल श्रीवास्तव ने मस्ती के साथ की है, वहीं राजा एवं अन्य साथियों में प्रियांषु अयाची, नयन खरे और हनी राज भी मंझे हुए दिखाई देते है। मेजर स्टीमेन बनी दानिया खान, मधुकर शाह की भूमिका में वेंदात अयाची, ग्रामीणों में वंश साहू,  देवांश सिंह भी अत्यंत प्रभावी रहे है। इसके अलावा राज बहादुर सिंह देवांश राठौर,  मर्दान सिंह वने अथर्व खरे और केप्टन ब्राऊन बनी शिवानी वाल्मीक का कार्य अत्यंत प्रशंसनीय है। सूत्रधार की भूमिका में दीक्षा सेन, मुखबिर एवं ग्रामीण प्रिंस चौरसिया, राजा परीक्षित पारस गर्ग का अनुभव दिखता है। वहीं इन बाल व युवा कलाकारों की भीड़ में अमर सिंह महतो की भूमिका में हरिओम खरे, राजा हिरदेशाह अनिल खरे व दूसरे सूत्रधार राजीव अयाची अपनी भूमिकाओं को ठहराव के साथ मंच पर निभाते रहे। संगीत पक्ष महत्वपूर्ण है जिसे बुंदेली मिठास से डुबोया गया है और रवि कांत वर्मन का संगीत संयोजन, लक्ष्मीशंकर सिंह रघुवंशी , दीक्षा सेन , राजीव अयाची की गायकी व देवेष श्रीवास्तव व अक्षत रैकवार की ढोलक की थाप कहानी के साथ साथ चलती है। प्रकाश संयोजन में संजय खरे , अंशुल दुबे (म.प्र.नाट्य विद्यालय ) मंचनिर्माण में बृजेन्द्र राठौर व अमरदीप जैन व रूपसज्जा में अमृता जैन ने अपना कार्य मेहनत से किया है। वहीं आज समारोह के तृतिय दिवस रविवार को थियेटर शाइन कोलकाता का सुवोजित वंदोपाध्याय निर्देशित तोमार ढाको की प्रस्तुति दी जाएगी। 

जादू नहीं विज्ञान है कार्यक्रम सम्पन्न..

दमोह। शासकीय केशो राम पांडेय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय  में जादू नहीं विज्ञान है कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें छात्राओं ने नाटिका के माध्यम से विभिन्न प्रयोगों को बहुत अच्छी तरह से विद्यार्थियों एवं अतिथियों के समक्ष प्रस्तुत किया व अंधविश्वासों को दूर करने के संदर्भ में नाटिका का मंचन किया। कार्यक्रम में तहसीलदार डॉ बबीता राठौर ने दिखाई गये चमत्कारिक प्रयोगों की सराहना की व एक अच्छे कार्यक्रम के लिए विद्यालय के समस्त शिक्षक शिक्षिकाओं की सराहना की। उन्होंने कहा इस कार्यक्रम के माध्यम से समाज में अंधविश्वास कम होगा। उन्होंने छात्राओं को कड़ी मेहनत करके अपना भविष्य संभारने हेतु मार्ग दर्शन भी प्रदान किया।

संस्था प्राचार्य एस एन हसन जिला विज्ञान समन्वयक डॉक्टर आलोक सोनवलकर जादू नहीं विज्ञान है कार्यक्रम के जिला नोडल अधिकारी मोहन राय एवं उमंग कार्यक्रम के राज्य स्तरीय मास्टर ट्रेनर दिलीप जोशी की कार्यक्रम में सहभागिता रही। संचालन विज्ञान शिक्षिका श्रीमती प्रेमलता उपाध्याय एवं आभार वरिष्ठ व्याख्याता अरुण व्यास ने किया।

Post a Comment

0 Comments