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पाषाण से परमात्मा बनाने की कला पंचकल्याणक है- मुनि श्री प्रभात सागर जी.. सिग्रामपुर सिद्ध चक्र महामंडल विधान में 1024 अर्घ समर्पित..

 पाषाण से परमात्मा बनाने की कला पंचकल्याणक है मुनि श्री प्रभात सागर जी महाराज

दमोह। पाषाण से परमात्मा बनाने की कला पंच कल्याणक कहलाती है नर से नारायण बना जा सकता है सद्गुणों को ग्रहण कर निर्गुणी भी निरग्रंथ बन सकता है हमारा सबका इतिहास खराब है किंतु दुर्गुणों को छोड़कर उन्नति के मार्ग पर यदि हम चलते हैं तो जीवन में कल्याण संभव है, उपरोक्त उद्गार मुनि श्री प्रभात सागर जी महाराज ने नन्हे मंदिर दिगंबर जैन धर्मशाला में अपने प्रातः कालीन मंगल प्रवचनों में अभिव्यक्त किय..
इसके पूर्व बड़े बाबा और छोटे बाबा के चित्रों के समक्ष ज्ञान ज्योति का प्रज्वलन किया गया एवं मुनि संघ को शास्त्र भेंट किए गए। मुनि श्री ने अपने मंगल प्रवचनों में आगे कहा कि इंद्रिय सुख को ही सांसारिक सुख माना जाता है किंतु वास्तविक सुख निराकूलता में है किंतु उसके अनुरूप क्रियाएं नहीं होती गुरु महाराज करुणा पूर्वक हमें दुखों से दूर करने के लिए पापों से दूर करते हैं और सुख प्राप्ति के लिए पंचपरमेष्ठी की शरण को बताते हैं। दमोह वालों को आचार्य श्री का अंतिम आशीर्वाद प्राप्त हुआ था शिवनगर के पंच कल्याणक महोत्सव के रूप में बड़े बाबा के इलाके में छोटे बाबा का यह अंतिम आशीर्वाद प्राप्त करने का सौभाग्य दमोह वालों को प्राप्त हुआ था..
गुरु महाराज ने अस्वस्थ होने के बावजूद भी यह आशीर्वाद प्रदान किया था इसलिए दमोह वालों की यह जिम्मेदारी बन जाती है की बहुत ही धूम धाम से उत्साह पूर्वक शिवनगर पंचकल्याण को संपन्न करने में सहभागी बने गुरु महाराज का बुंदेलखंड पर असीम आशीर्वाद रहा है उनका आचरण ही उपदेश होता था उन्हें देखकर बुंदेलखंड के अनेक बच्चे संस्कारवान हो गए और आज 500 पिच्छीधारी धर्म की प्रभावना कर रहे हैं दमोह का पंचकल्याणक एक मिसाल बनना चाहिए इस पंचकल्याणक से हमारे जीवन में परिवर्तन घटित होना चाहिए।
सिग्रामपुर सिद्धचक्र महामंडल विधान में 1024 अर्घ समर्पित.. दमोह। सिंग्रामपुर मैं चल रहे सिद्ध चक्र महामंडल विधान के सातवें दिन 1024 अर्घ समर्पित किए गए सौधर्मेंद्र पात्रों का विशेष दरबार लगाया गया जिसमें में कुबेर महायज्ञ नायक  यज्ञ नायक आदि पात्रों द्वारा  सभा का आयोजन किया 105 मां साकारमति माताजी के सानिध्य में संजय भैया मुरैना वालों के निर्देशन में सिद्धचक्र महामंडल विधान में निरंतर धर्म प्रभावना हो रही है।मधुर संगीत में भक्ति भाव के साथ सिद्धों की आराधना कर 1024 अर्घ समर्पित किये। इस मौक़े पर धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए साकारमति माताजी ने धर्म का मर्म समझाते हुए कहा आत्मा का सच्चा सुख भगवान की भक्ति में है, हमें कभी भी भगवान का आश्रय नहीं छोड़ना चाहिए।
कोटा से आए हुए संगीतकारों ने मनमोहक प्रस्तुतियां दी गई सुबह अभिषेक शांतिधारा" एवं सांस्कृतिक धार्मिक कार्यक्रमों आयोजित हुए सिद्ध चक्र महामंडल विधान से नगर का माहौल धर्म मय हो चला है  सभी लोग अपनी अपनी सहभागिता देते हुए धर्म लाभ अर्चित कर रहे हैं साध्यकालीन महाआरती का सौभाग्य कुबेर आनंद सिंघई को प्राप्त हुआ  महाआरती पात्र एवं यज्ञ नायक बाग्गी रथ से पंडाल तक गाजे बाजे धूमधाम के साथ पहुंचे वही शाम कालीन रात्रि में के तत्पश्चात इंद्र की सभा का दरबार लगा सौधर्मेंद्र, कुबेर, यज्ञनायक महायज्ञ नायक  सभी इंद्र की सभा में पहुंचे सभी सौधर्मेंद्र महराज के सामने अपनी अपनी बात रखी  सिंग्रामपुर टीम द्वारा कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां दी गई जिसमें आकांक्षा जैन ने मेंमिक्री कर  मंगलाष्टक की प्रस्तुति की शाम को आरती ब्रह्मचारी भैया संजय मुरैना वालों की मांगलिक प्रवचन सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ एक से बढ़कर एक मंचीय सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जा रहे हैं आज मूंगमाटी नाटक पर विशेष प्रस्तुति पाठशाला के बच्चों द्वारा द्वारा दी जाएगी।
 

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