दमोह। सकल
असाटी समाज के द्वारा प्रतिवर्ष संस्कार भवन में श्रीमद् भागवत कथा का
आयोजन किया जाता है. जिसमें असाटी समाज के परिवार आगे आकर यजमान की
सहभागिता निभाते हैं. वर्षों से चली आ रही। परंपरा को इस वर्ष 25 वर्ष
पूर्ण हो गए. पूरा समाज इस कार्यक्रम के लिए समर्पित रहता है। इसी श्रृंखला
में इस बार भी कार्यक्रम का आयोजन किया गया
कलश यात्रा को भव्य बनाने के
लिए समाज के प्रत्येक वर्ग आयु ने आगे आकर कार्यक्रम को सुंदर स्वरूप
प्रदान किया. शोभा यात्रा का शुभारंभ समाज के बैनर से आरंभ ढोल-नगाड़े शहर
में मुनादी करते हुए नजर आए. वहीं घोड़े पर सवार सम्राट अशोक (विनायक
असाटी), शिवाजी (संभव असाटी) का स्वरूप अनुपम सजीले, बढ़ते हुए क्रम में
समाज की छोटी बेटियों गरबा नृत्य करती हुई आगे बढ़ती जा रही थी. प्रयागराज
में चलते हुए महाकुंभ के दृश्य को यथार्थ स्वरूप प्रदान करती हुई बहने
साध्वी के स्वरूप में व अन्य बहने लाल साड़ी में सोलह श्रृंगार से युक्त
सुंदर सुसज्जित गंगाजल से भरे हुए कलश अपने शीश पर धारण किए हुए। नवयुवतिया
सामाजिक ध्वज लेकर धर्म व संस्कृति के नृत्य की प्रस्तुति करते हुए. प्रभु
जी की पालकी व राधा रमण मंदिर की कीर्तन मंडली सुंदर भजनों का गुणगान करते
हुए. तरह-तरह की धर्म युक्त झलकियां शोभा यात्रा के आकर्षण में चार चांद
लग रही थी मानो, पूरा शहर धर्ममय हो गया हो। सब तरफ वृंदावन सा प्रतीत हो
रहा था.
कार्यक्रम में असाटी समाज के अधिक संख्या में पुरुषों महिलाओं व
बच्चों ने बढ़-चढ़कर अपनी उपस्थिति दी. रास्ते में घर-घर व दुकानों पर नगर
वासियों ने श्रीमद् भागवत का पूजन कर प्रसाद वितरण कर धर्म लाभ अर्जित
किया.बाजे-बाजे ढोल नगाड़े चारों तरफ डीजे पर मधुर संगीत के साथ शोभा यात्रा
संस्कार भवन पहुंची. जहां यजमानों ने पूजन कर श्रीमद् भागवत जी को को पूरे
उत्साह उमंग व सम्मान सहित स्थापित किया गया. वहीं असाटी समाज समिति के
वरिष्ठ संरक्षक जी सपत्नी द्वारा गरबा वाली बेटियों (26 बेटियों) को कंपास
बॉक्स व बिस्किट उपहार स्वरूप प्रदान किए गए. तत्पश्चात समाज बंधुओ को
प्रसाद वितरित कर शोभायात्रा का सफल समापन किया गया. दोपहर 3ः00 बजे से परम
पूज्य कथावाचक पंडित श्री सुदेश जी महाराज जी के मुखारविंद से पावन कथा का
शुभारंभ किया गया जिसमें समाज बंधुओ ने भरपूर उपस्थिति दी. प्रभु कथा का
आनंद लिया।
एक दूसरे के प्रति वात्सल होना आवश्यक है- श्रमणोंपाध्याय विरंजन सागर.. दमोह।
जीवो का एक दूसरे के प्रति वात्सल्य होना आवश्यक है। वात्सल्य होने से ही
हम मनुष्य हैं, और मनुष्य का धर्म है कि वह एक दूसरे के प्रति अपने
वात्सल्य भाव प्रकट करें। सूखे सरोवर में जिस तरह से पक्षी नहीं बैठता, उसी
तरह यदि आपका मन सूख जाता है तो वहां पर संत का निवास नहीं होता। इसलिए
कहा गया है कि एक दूसरे के प्रति आपका वात्सल्य होना आवश्यक है। वात्सल्य
होने से ही जीवो का जीवों के प्रति अनुराग बढ़ता है, और धर्म के भाव पैदा
होते हैं। हमें सभी जीवों के प्रति वात्सल्य करुणा का भाव रखना चाहिए। यह
बात परम पूज्य श्रमणोंपाध्याय विरंजन सागर जी महाराज ने पथरिया के श्री
पारसनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर में प्रवचनों के दौरान कही।
मालूम हो की परम
पूज्य विरंजन सागर जी महाराज ससंघ यहां पर विराजमान है और उनके सानिध्य
में विविध कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है।
आज होगा श्री 1008 आदिनाथ महामंडल विधान..श्री
पारसनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर पथरिया में मंगलवार 28 जनवरी को श्री 1008
आदिनाथ महामंडल विधान का आयोजन किया जा रहा है। भगवान आदिनाथ के निर्वाण
महोत्सव के उपलक्ष में यह आयोजन किया जा रहा है। जिसमें सुबह 7:30 बजे
अभिषेक शांति धारा, सुबह 8:00 बजे विधान, 9:30 बजे मंगल प्रवचन होंगे।
आयोजन के दौरान सभी लोगों को जनसंत श्रमणोंपाध्याय विरंजन सागर जी महाराज
का सानिध्य प्राप्त होगा।
पंकज
का कहना है कि उनका जीवन बड़ी कठिनाइयों से गुजरा है, लेकिन उन्होंने कभी
हार नहीं मानी। उन्होंने सात साल तक लगन से मेहनत की और अपने लक्ष्य को
प्राप्त किया। पंकज ने अपने समाज के लोगों से कहा है कि वे अपने बच्चों को
पढ़ाएं और आगे बढ़ाएं, मेहनत जरूर रंग लाएगी।
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