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यदि न्याय नीति से धन कमाया जाए तो वह धन कमाना भी धर्म है.. वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज.. छह ढाला ग्रंथ शिविर तहत 3 वर्गो में हुई प्रथम ढाल की परीक्षा के विजेता सम्मानित..

छहढाला ग्रंथ शिविर तहत 3 वर्गो में हुई प्रथम ढाल की परीक्षा

दमोह। वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज के द्वारा छहढाला ग्रंथ का शिविर 8 दिन से चल रहा है। प्रथम ढाल की परीक्षा ली गई, परीक्षा देने वालों के 3 वर्ग बनाए गए। प्रथम बालिका वर्ग में कुमारी श्रेया कृष्ण कुमार ने प्रथम स्थान, कुमारी सृष्टि राकेश जैन ने द्वितीय स्थान, कुमारी अनामिका राजेश जैन एवं प्रिंसी दिनेश जैन ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। 

पुरुष वर्ग में श्री यतेंद्र कुमार ने विशिष्ट स्थान, ऋषि ऋषभ जैन ने प्रथम स्थान, स्वयं शैलेंद्र जैन ने द्वितीय स्थान, प्रांशु शैलेंद्र जैन एवं शुभम सचिन जैन ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। महिला वर्ग में श्रीमती मनीषा राजेंद्र अटल एवं प्रिया सतीश जैन ने प्रथम स्थान, ममता राजेंद्र नायक ने द्वितीय स्थान, प्रियंका पीयूष जैन ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। कोरोना महामारी को देखते हुए प्रत्येक वर्ग में 20-20 प्रतियोगियों ने भाग लिया सभी के लिए पुरस्कार वितरण किया गया। लॉकडाउन के बाद से यह प्रथम शिविर लगाकर प्रतियोगी परीक्षा ली गई। सभी प्रतियोगियों में अति उत्साह देखा गया।

मंगलवार सुबह जैन धर्मशाला में आयोजित धर्मसभा में आचार्य श्री ने कहा सच्चा सम्यक दृष्टि भक्त नहाने धोने और खाने पीने आदि की पाप क्रिया को आपने भेद विज्ञान से पुण्य क्रिया में बदल लेता है। क्योंकि वह स्नान यह सोचकर करता है कि मुझे भगवान की पूजा अर्चना करना है भोजन यह सोचकर बनाता है कि मुझे तपस्वी महात्मा को आहार कराना है। जब कोई क्रिया दान पुण्य के उद्देश्य से की जाती है तो वह पाप क्रिया शुभ कल्याणकारी हो जाती है। यदि न्याय नीति से धन कमाया जाए तो वह धन कमाना भी धर्म है। यदि अपनी पत्नी में ही संतोष रखा जाए तो रति क्रिया भी धर्म है। रति क्रिया संतानोत्पत्ति के लिए की जाती है, इंद्री सुख के निमित्त से नहीं। जब रतिक्रिया इंद्री भोगों के लिए की जाती है तब वह पाप की क्रिया कहलाती है। हमारे देश में हिंदी भाषा में पढ़ाया जाता है क, ख, ग, घ इसका अर्थ बताते हुए आचार्य श्री ने कहा पहले क अर्थात करो कमाओ बाद में खाओ, उसके बाद ग अर्थात गीत गाओ परमात्मा के उसके बाद घर जाओ घर बनाओ। यही भारतीय संस्कृति है यही हमारा सनातन धर्म है।

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