Header Ads Widget

आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के 75 वें जन्म दिवस के उपलक्ष में.. आचार्य निर्भय सागर महाराज के सानिध्य में पंच दिवसीय आयोजन शुरू.. इधर कुंडलपुर में आर्यिका संघ के सानिध्य मे होगे विविध आयोजन..

 आचार्य श्री के जन्म दिवस पर पंच दिवसीय आयोजन शुरू 

दमोह। परम पूज्य वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज के ससंग सानिध्य में चतुर्मास समिति श्री पारस नाथ नन्हे मंदिर ट्रस्ट समिति, बड़े बाबा बालिका मंडल एवं नन्हे मंदिर दिगंबर जैन पाठशाला के शिक्षक की एक मीटिंग संपन्न हुई। जिसमें निर्णय लिया गया कि परम पूज्य संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के 75वें जन्म दिवस के अवसर पर पंच दिवसीय कार्यक्रम किया जाएगा। 

30 अक्टूबर शुक्रवार को शाम 6 बजे आचार्य श्री के जीवन पर प्रश्न मंच प्रतियोगिता, 31 अक्टूबर शनिवार को प्रातः 6ः30 अभिषेक, शांतिधारा, गुरु पूजन, आचार्य छत्तीसी विधान एवं 75 दीपों से आरती 1 नवंबर को बाल कवि सम्मेलन 2 नवंबर को विद्यासागर नाटक एवं 3 नवंबर को आरती प्रतियोगिता शाम 6 बजे से जैन समाज की महिला मंडल, बालिका मंडल, सभी पाठशाला के शिक्षक एवं विद्यार्थियों के द्वारा की जाएगी। सांस्कृतिक कार्यक्रमों को ब्रह्मचारिणी वीणा देवी के निर्देशन में श्री दिगंबर जैन पारसनाथ नन्हे मंदिर धर्मशाला में किया जाएगा। आरती प्रतियोगिता सभी पाठशाला के विद्यार्थियों, बालिका मंडल एवं बाल मंडल के कलाकारों द्वारा अलग-अलग ग्रुप में की जाएगी। 

 आचार्य श्री ने इस अवसर पर उपदेश देते हुए कहा जीव की अपनी ज्ञान शक्ति और भावनाओं की होशियारी से सुख, धन, वैभव और सुंदर शरीर मिलता है। जबकि नालायकी से दुख, दर्द, शक्ति हीनता और कुरूप शरीर  मिलता है। क्योंकि प्रत्येक जीव स्वयं का कर्ताधर्ता है। इसीलिए सद ज्ञान प्राप्त करके सद्भावना करना चाहिए एवं आत्म पुरुषार्थ जगाना चाहिए। आचार्य श्री ने कहा धर्म जबरदस्त होता है इसलिए धर्म में जबरदस्ती नहीं की जाती है। धर्म जबरजस्ती का नहीं होता है। जबरदस्ती का धर्म घुटन पैदा करता है। जबरदस्ती का धर्म लड़ाई झगड़े कराता है। जबरदस्ती करने को बलात्कार कहते हैं। वर्तमान समय में किसी नारी के साथ जबरदस्ती करने को ही बलात्कार समझते हैं, लेकिन किसी भी कार्य में किसी भी व्यक्ति के साथ जबरदस्ती करने को बलात्कार कहते हैं।


आचार्य श्री ने कहा धार्मिक विवादों को धर्म गुरुओं के पास जा कर सुलझाना चाहिए। समस्याओं का हल गुरुओं के पास बैठकर निकालना चाहिए, अदालतों में नहीं। संदेश की दरार से घर अशांति फैलती है, परिवार टूटते हैं, समाज मैं विघटन होते हैं, देश में लड़ाई झगड़े होते हैं। इसलिए कार्य करते हुए  दिलों में संदेह की दरार नहीं आना चाहिए। यदि संदेह की दरार पड़ जाए तो उसे शीघ्र भर देना चाहिए, क्योंकि जैसे खेत में धूप पड़ने पर जमीन फट जाती है और दरार हो जाती है जब पानी बरसता है तब खेत का पानी उस दरार में भर जाता है, फिर वह पानी मिट्टी को बहाकर साथ ले जाता है और खेत में नदी बन जाती है, दो किनारे बन जाते हैं, फिर उन किनारों को मिलाना दुर्लभ होता है, इसलिए किसान पानी बरसने के पूर्व हल चला कर उन दरारों को मिट्टी से भर देता है। इसी प्रकार हमें भी आपस में उत्पन्न हुई संदेह की दरारों को आपसी समझौता करके भर देना चाहिए। अथवा गुरु के पास जाकर दरारों को भरना चाहिए। गुरु संदेह की दरारों को भरने का कार्य करते है। गुरु अज्ञान के अंधकार को मिटाकर हैं गुरु नफरत में प्रेम के पुष्प उगाते है।

कुंडलपुर में मनाई जाएगी शरद पूर्णिमा


दमोह। कुण्डलपुर में लॉक डाउन के पश्चात आज 31 अक्टूबर को संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी महाराज का 75वां जन्मोत्सव शरद पूर्णिमा के रूप में आर्यिका संघ के मंगल सानिध्य मे अति उत्साह पूर्वक मनाया जायेगा। कुण्डलपुर क्षेत्र कमेटी के प्रचार मंत्री सुनील वेजिटेरियन ने बताया कि आचार्य श्री के जन्मोत्सव पर्व पर प्रातः काल बड़े बाबा के अभिषेक शांति धारा के उपरांत आचार्य 36सी विधान संपन्न होगा। दोपहर में विद्या वाटिका में स्थित बड़े बाबा सभागार से गोटेगांव से आमंत्रित मंडली के द्वारा गुरु कथा नाटिका का शानदार मंचन किया जायेगा। इसके पूर्व प्रसिद्ध गायिका कुमारी अनुश्री के द्वारा भी आचार्य श्री पर आधारित भजनों की शानदार प्रस्तुति दी जायेगी। आर्यिका संघ के द्वारा अपने मंगल प्रवचनों में आचार्य श्री के प्रेरक संस्मरण सुनाए जायेंगे। कुण्डलपुर क्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष संतोष सिंघई ने सभी श्रद्धालु गणों से कोरोना से सावधानी बरतते हुए मास्क लगाकर 2 गज की दूरी के नियम का कड़ाई से पालन करते हुए समारोह में उपस्थित होने की अपील की है।

Post a Comment

0 Comments