जैन धर्मशाला में आचार्य श्री जन्मोत्सव पर विविध आयोजन
दमोह। वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में इस युग के दिगंबर जैन संप्रदाय के सर्वश्रेष्ठ संत आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का 75 वा जन्म दिवस हीरक जन्म महोत्सव के रूप में श्री दिगंबर जैन पारसनाथ नन्हे मंदिर धर्मशाला दमोह में उत्साह और गरिमा पूर्ण ढंग से मनाया गया। सर्वप्रथम प्रातः 7 बजे से अभिषेक पूजन एवं आचार्य विद्यासागर विधान किया गया एवं 75 दीपों से आरती की गई।
इस अवसर पर आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज ने कहा हम जैनियों के लिए गुरुवर विद्यासागर जी महाराज आज के युग में धरती के भगवान के रूप में मिले हैं ।उन्होंने बुंदेलखंड में ज्ञान की गंगा वहाई है । जैन तीर्थों क्षेत्रों के जीर्णोद्धार की प्रेरणा देकर विकास का कार्य कराया है। चिकित्सा के क्षेत्र में भाग्योदय तीर्थ अस्पताल की स्थापना ,रोजगार के रूप में जेल आदि में हथकरघा उद्योग की स्थापना ,युवाओं के उज्जवल भविष्य बनाने हेतु प्रतिभास्थली, जीवो की रक्षा हेतु गौशालाओं की स्थापना की प्रेरणा देकर पूरे जगत के कल्याण का कार्य किया है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज इस युग में उच्च कोटि के वीतरागी संत है ,ज्ञान दर्शन चरित्र के धनी है ,श्रवण संस्कृति के उन्नायक हैं ,जिनशासन के मेघदूत हैं ,युवाओं के भविष्य निर्माता है। उन्होंने कुंडलपुर दमोह के बड़े बाबा के मंदिर को उच्च शिखर पर ले जाने का कार्य किया है यह कार्य उनके लिए लोक के उच्च शिखर पर स्थित सिद्धालय पहुंचाएगा। आचार्य श्री ने कहा जीवन के जन्म ,विवाह अथवा दीक्षा का समय 25 वर्ष बीत जाने पर रजत महोत्सव, 50 वर्ष पूर्ण होने पर स्वर्ण महोत्सव ,75 वर्ष बीत जाने पर हीरक महोत्सव मनाया जाता है। मुनि श्री शिवदत्त सागर जी महाराज ने कहा अपनों से बात करने के लिए फोन की जरूरत पढ़ती है ,फोन के लिए बिल देना पड़ता है ।गुरु से बात करने के लिए दिल देना पड़ता है।
मुनि श्री हेमदत्त सागर जी महाराज ने कहा गुरु की महिमा अपरंपार है ,शिष्य कभी गुरु की महिमा का पार नहीं पा सकता है। मुनि सुदत्त सागर जी, मुनि सोमदत्त सागर जी ,मुनि गुरुदत्त सागर जी, छु चंद्र दत्त सागर जी वि भद्र सागर जी पंडित सुरेश चंद जी ,बड़े बाबा बालिका मंडल, पाठशाला प्रधान शिक्षिका एवं महिला मंडल की अध्यक्षता ने आचार्य श्री के जीवन पर प्रकाश डाला और गुरु गुणगान किया।
शाम को 75 दीपों से मंगल महा आरती की गई। समाज के विद्वान पंडित सुरेश चंद्र शास्त्री ब्रह्मचारिणी मानी विधि एवं अध्यक्ष गिरीश नायक, राजेश हिनौती इत्यादि गणमान्य व्यक्तियों ने आचार्य श्री के प्रति अपनी विद्यांजलि समर्पित की ।




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