जीवन के कल्याण के लिये मनुष्य जीवन की सबसे बड़ी संपदा उसके संस्कार होते हैं..
भोपाल। प्रवर्तनी महोदया चंद्रप्रभा श्रीजी म.सा. की सुशिष्या गुरुवर्या प्रभंजना श्रीजी म.सा. साध्वी सुब्रता श्रीजी म.सा., साध्वी चिदयशा श्रीजी म.सा. के मंगल चातुर्मास के दौरान श्वेताम्बर जिनालय मारवाड़ी रोड में निरन्तर धार्मिक अनुष्ठान हो रहे हैं साध्वी संघ के सानिध्य मं ज्ञान पंचमी के पावन अवसर पर मां सरस्वती देवी की आराधना एवं आगम ग्रंथों की पूजा-अर्चना की गई।
भक्तिभाव से भगवान जिनेन्द्र का अभिषेक कर जगत कल्याण की भावना को लेकर मंत्रोच्चारित शांतिधारा की गई बच्चों द्वारा अष्टद्रव्य समर्पित कर मां सरस्वती के गुणों की वंदना कर आगम ग्रंथों की पूजा-अर्चना के साथ विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान विधि-विधान से किये गये।
साध्वी प्रभंजना श्रीजी म.सा. ने छात्र-छात्राओं को सफल जीवन के टिप्स देते हुए आशीष वचन में कहा कि भारत की संस्कृति और संस्कार ही सबसे बड़ी संपदा हैं संस्कृति की रक्षा करोगे तो देश की रक्षा अपने आप हो जाएगी, संस्कृति बचाओ तो देश बचेगा । भारतीय संस्कृति और संस्कार विश्व विख्यात हैं विश्व के सभी देश भारत की संस्कृति और अध्यात्म के लिये भारत की ओर सम्मान से देखते हैं । मां-बाप अपने बच्चों को धन-दौलत छोड़कर जायें चाहे न जायें परन्तु सफल व सुखद जीवन के लिये संस्कृति और संस्कारों की संपदा को उन्हें देकर जायें ।
साध्वी जी ने कहा कि शब्दों के अर्थ का ज्ञान उतना ही महत्वपूर्ण है जितना जीवन में वायु का तत्व ज्ञान के अभाव में कोई भी जीवन महत्वपूर्ण नहीं है, उन्होंने आगे कहा कि ज्ञान का प्रकाश ही मोक्ष मार्ग है, ज्ञान का प्रकाश होने पर आत्मा में आलोक जागृत होता है । प्रवक्ता अंशुल जैन ने बताया इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने साध्वी संघ का आशीष ग्रहण किया और छात्र-छात्राओं द्वारा जीवन के निर्माण, जीवन के कल्याण के लिये नियम भी लिये, श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संघ के अध्यक्ष राजेश तातेड़ एवं अन्य पदाधिकारियों ने छात्र-छात्राओं का बहुमान किया ।
इसके साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों की विशेष प्रस्तुति की गई जिसमें भारत के इतिहास के महापुरुषों और जैन दर्शन व जैन सिद्धांतों को दर्शाती हुई नृत्य नाटिका का मंचन भी हुआ ।
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