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आर्यिका संघ के सानिध्य में विजय नगर में चल रहे सिद्धचक्र महामंडल विधान में बह रही धर्म गंगा.. आज 256 अर्ध समर्पित किए जाएंगे.. राजीव कॉलोनी के बच्चों ने प्रस्तुत किए सांस्कृतिक कार्यक्रम..

 विजय नगर में चल रहे सिद्धचक्र महामंडल विधान में बह रही धर्म गंगा..

दमोह। विजय नगर में चल रहे सिद्धचक्र महामंडल विधान में भक्तों की भीड़ बढ़ती ही जा रही है नगर के अनेक स्थानों से बड़ी संख्या में श्रावक श्राविका आएं विधान में दर्शनार्थ भक्ति भाव के साथ आ रहे विभिन्न मंदिरों से महिला मंडल द्रव्य सामग्री लेकर उपस्थित हो रही हैं आज सागर नाका एवं वसुंधरा नगर के महिला मंडलों ने द्रव्य सामग्री समर्पित की विधान आयोजन समिति की ओर से उनका स्वागत सम्मान किया गया।

 इसके पूर्व रात्रि में राजीव कॉलोनी के बच्चों के द्वारा मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की आकर्षक प्रस्तुति दी गई। प्रातः काल श्रद्धा और समर्पण के साथ श्रीजी का अभिषेक एवं शांति धारा की गई। इस मौके पर पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया की अनुज हेमंत मलैया ने आर्यका संघ को श्रीफल अर्पित कर आशीर्वाद ग्रहण किया साथ में जबलपुर नाका पर आयोजित गजरथ के शोधर्मेंद्र संदीप अंजलि ने भी श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद ग्रहण किया। प्रचार प्रसार समिति के प्रमुख सुनील वेजिटेरियन ने बताया कि विधान में 128 अर्ग अर्पित किए गए आज 256 अर्ध समर्पित किए जाएंगे।

इस मौके पर आरिका श्री 105 शील मति माताजी ने  अपने मंगल प्रवचनओं में कहा कि दान देने से दरिद्रता समाप्त होने लगती है जो दान नहीं देते उन्हें इस जन्म में गरीबी का सामना करना पड़ता है उन्होंने इस संबंध में एक उदाहरण सुनाते हुए कहा कि जबलपुर का एक व्यक्ति गरीबी और तंगहाली से परेशान होकर आत्महत्या के लिए भेड़ाघाट जा रहा था तो उसने मरने के पूर्व आचार्य विद्यासागर जी महाराज के दर्शन करने का निश्चय किया और वह जब आचार्य श्री के पास गया तो आचार्य श्री ने उससे दान देने के लिए कहा जबकि उसके खाने के लिए भी पैसे नहीं थे 

 किंतु उसने अपने टिकट किराए के पैसे भी आचार्य श्री के कहने पर दान कर दिए उसके बाद जब वह वापस एक धनी परिवार के साथ जबलपुर वापस लौटा तो सेठ ने अपने ही दुकान पर उसे काम पर रख लिया कुछ दिन बाद उसकी स्थिति सुधर गई और अपनी बेटियों की शादी के 3 वर्ष पश्चात वह आचार्य श्री के दर्शनार्थ पहुंचा तो उसने आचार्य श्री के पाद प्रक्षालन की तीन लाख की बोली स्वयं ही ले ली जो सबके लिए एक आश्चर्य का विषय थी आचार्य श्री के कहने पर दान देने के पश्चात उसका भाग्य पलट गया और उसकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो गई।

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