प्रभा स्मृति साहित्य अलंकरण समारोह संपन्न
दमोह। पांचवा प्रभा स्मृति साहित्य अलंकरण समारोह स्थानीय सरस्वती हायर सेकेंडरी विद्यालय में संपन्न हुआ जिसकी अध्यक्षता शिक्षाविद डॉ. पीएल शर्मा ने की, मुख्य अतिथि भाषा विद डॉ. एनआर राठौर रहे। समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं रामकुमार तिवारी द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुआ, मंचासीन अतिथियों के स्वागत बाद वरिष्ठ कवयित्री डॉ. प्रेमलता नीलम का साहित्यिक परिचय हास्य कवि बीएम दुबे ने दिया, तदोपरांत पांचवा प्रभा स्मृति साहित्य अलंकरण सम्मान मंचासीन अतिथियों एवं आयोजक डॉ. गणेश राय व आराधना राय द्वारा डॉ.प्रेमलता नीलम को प्रदत्त कर सम्मानित किया गया। समारोह के द्वितीय चरण में उपस्थित कवि व कवयित्रियों ने मां की ममता एवं त्याग पर केंद्रित काव्य पाठ किया। मंचासीन अतिथियों ने डॉ.गणेश राय द्वारा अपनी मां की स्मृति में हर वर्ष किए जाने वाले साहित्य अलंकरण समारोह की प्रशंसा की तथा मातृ सेवा को ईश्वर सेवा बताया, इस मौके पर डॉ. अनिल जैन, रमेश व्यास, रामकुमार तिवारी, अमर सिंह राजपूत, मनोरमा रतले, एमपी तिवारी, पीएस परिहार, केके पांडे, रामेश्वर चतुर्वेदी, अर्चना राय, कुसुम खरे, शिशिर खरे, सुदामा पाठक, पवन राय, दीपचंद राय, मीना राय, गरिमा, ग्रीष्म राय आदि की मौजूदगी रही। संचालन अमर सिंह राजपूत ने किया तथा आभार बीएम दुबे ने माना।
पाठक मंच केंद्र पर पुस्तक समीक्षा गोष्टी संपंन
दमोह। साहित्य अकादमी मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद भोपाल द्वारा संचालित पाठक मंच केंद्र पर पुस्तक समीक्षा गोष्टी शासकीय जिला ग्रंथालय आयोजित की गई। मां सरस्वती की पूजन अतिथियों के द्वारा करने के पश्चात सरस्वती वंदना प्रज्ञा शर्मा ने मधुर स्वर में प्रस्तुत की। पाठक मंच की संयोजक डॉक्टर प्रेमलता नीलम ने भवानी प्रसाद मिश्र की पुस्तक कुछ नीति कुछ राजनीति पर प्रकाश डालते हुए कहा वास्तव में लेखक भवानी प्रसाद मिश्र गांधीवादी मूल्यों के रचनाकार हैं गांधी और उनके समय को समझने के लिए मिश्र जी ने यह पुस्तक लिखी है जो नव रचनाकारों के लिए नीति और राजनीति की दृष्टि से उमंग और उत्साह है प्रदान करती हैं।
पुस्तक की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए। डॉ मनीषा दुबे ने कहा ,,गांधीजी के आदर्श एवं विचारों को पुस्तक में समेटे हुए हैं, निर्माण की नई दिशा में लेखक ने प्रजातंत्र एवं साम्यबाद को परिभाषित,किया है जो पठनीय है। विशिष्ट अतिथि पंडित नरेंद्र दुबे ने कहा, विचारों का मंथन है यह कृति गांधी को समझने के लिए विचार चाहिए, गांधी में राम कृष्ण पैगंबर ईशा है, सत्य अहिंसा एवं बुद्ध की करुणा है पुस्तक पर सार्थक वक्तव्य देते हुए डॉक्टर नाथूराम राठौर ने कहा गांधी जी पर केंद्रित यह कृति पाठकों के लिए महत्वपूर्ण हैं राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त पंडित श्याम सुंदर शुक्ला ने नीति और राजनीति की सार्थक व्याख्या प्रस्तुत करते हुए कहा भारतीय दर्शन और संस्कृति की मूल्य धरोहर है यह कृति, मुख्य अतिथि अनूप अवस्थी प्राचार्य केंद्रीय विद्यालय ने कहा मिश्र जी की पुस्तक में भारतीय दर्शन चिंतन के साथ-साथ प्रकृति प्रेम देश प्रेम के विचारों को दर्शाया गया है जो नव पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक है , मिश्र की प्रसिद्ध कविताओं को सा स्वर सुना कर वाहवाही अर्जित की।
वरिष्ठ साहित्यकार पत्रकार ठाकुर नारायण सिंह जी ने अपने उद्बोधन में कहा गांधीजी को समझने के लिए भारतीय होना आवश्यक, गांधीजी नम्रता की साकार मूर्ति थे ,, उन्होंने कहा कुछ नीति कुछ राजनीति के विचार सूत्र निस्संदेह ,, खेत परे को बीज हैं ,जो आपके मन में उलटे सीधे जैसे भी जाएंगे अंकुरित होंगे,,, यही इस पुस्तक की सार्थकता है सभी समीक्षक वक्ताओं ने साहित्य अकादमी के निदेशक डॉक्टर विकास दवे जी की सराहना की श्रेष्ठ पुस्तक के चयन के लिए शहर के सभी साहित्य मनीषियों की उपस्थिति रही। पी एल शर्मा, नरेंद्र दुबे, मनोरम रतले, आनंद जैन, बीएम दुबे, उमेश तिवारी, भावना शिवहरे, विनीता जडिया, डॉ गणेश राय, आराधना राय, श्याम यादव मनीष रैकवार, अर्चना राय, रामकुमार तिवारी एवं ग्रंथालय के सभी पाठकों की उपस्थिति रही। संचालन प्रेमलता नीलम ने किया, सह संयोजक कृष्ण कुमार पांडे आभार माना ।
डॉ. संजीव को 'साहित्य संचय शोध सम्मान'
दिल्ली/दमोह। हिंदी विभाग, जानकी देवी मेमोरीयल महाविद्यालय, दिल्ली और साहित्य संचय शोध संवाद फाउंडेशन, दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में 'समकालीन रचना एवं रचनाकार' विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन 30-31 अक्टूबर 2021 को किया गया। साहित्य में एक समय कहा गया कि "बड़े भाग मानुष तन पावा…" और एक समय ऐसा आया कि ''इन बन्द कमरों में मेरी सांस घुटी जाती है, खिड़कियाँ खोलता हूँ तो ज़हरीली हवा आती है।" आखिर क्या हुआ कि समय के साथ-साथ इतना फ़ासला हो गया? इन विसंगतियों को पहचान कर हमें दूर करना पड़ेगा तभी हम समकालीनता के बोध को स्वीकार कर पाएंगे। क्योंकि कहने मात्र से कोई समकालीन नहीं हो सकता बल्कि समकालीन में जीना पड़ता है।
यह बात पथरिया के नदरई गांव के निवासी और शासकीय महाविद्यालय लवकुशनगर में पदस्थ डॉ. संजीव कुमार विश्वकर्मा (सहायक प्राध्यापक-हिंदी) ने उक्त संगोष्ठी में अपने शोध पत्र का वाचन के दौरान कही। डॉ. विश्वकर्मा की रुचि साहित्य के क्षेत्र में है और उनके अनेक शोध आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित भी हुए हैं। डॉ. विश्वकर्मा को उनके द्वारा हिंदी सेवा, सारस्वत साधना एवं कला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियों के आधार पर साहित्य संचय शोध संवाद फाउंडेशन ने 'साहित्य संचय शोध सम्मान' से सम्मानित किया गया एवं इनके द्वारा 'समकालीन साहित्य एवं हिंदी परिदृश्य' नाम से संपादित पुस्तक का विमोचन किया गया।
सम्मान और पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में प्रो. खेमचंद डहेरिया (कुलपति-अटल बिहारी वाजपेई हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल), प्रो. उमापति दीक्षित (विभागाध्यक्ष-केंद्रीय हिंदी निदेशालय आगरा), डॉ. आशीष कंधवे (संपादक-गगनांचल, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार), प्रो. संध्या गर्ग (उप प्राचार्य, जानकी देवी मेमोरीयल कॉलेज, दिल्ली), श्री मनोज कुमार (अध्यक्ष-साहित्य संचय शोध संवाद फाउंडेशन, दिल्ली) एवं विभिन्न राज्यों से सहभागिता करने आये प्राध्यापक/शोधार्थी/प्रबुद्धजन उपस्थित थे। डॉ. विश्वकर्मा के सम्मानित होने पर शासकीय महाविद्यालय लवकुशनगर के परिवार ने भी उन्हें बधाई दी।
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