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बूढ़ा अमरनाथ यात्रा पर रवाना बजरंगियों का दल.. जनसुनवाई में 32 आवेदन, EVM वेयर हाउस का निरीक्षण.. कोविड वैक्सीनेशन महाआभियान आज.. KN कालेज में हरित वसुंधरा पहल.. बांदकपुर मे नागपंचमी पर लघु रुद्रात्मक महारूद्राभिषेक.. सिंघई मन्दिर में त्रि दिवसीय महोत्सव 3 से..

 बूढ़ा अमरनाथ यात्रा पर रवाना बजरंगियों का दल

दमोह।  भगवान शिव को समर्पित बाबा बूढ़ा अमरनाथ मंदिर को चट्टानी बाबा अमरनाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यह जम्मू के उत्तर पश्चिम में करीब 290 किलोमीटर की दूरी पर है. अधिकारियों के अनुसार यात्रा के सफल संचालन के लिए उसके मार्ग की बहुस्तरीय सुरक्षा सुनिश्चित की गयी है.विश्व हिंदू परिषद द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित की जाने वाली इस यात्रा मे बजरंगदल के जिला संयोजक शम्भू विश्वकर्मा के नेतृत्व में 15 सदस्यीय दल बाबा बूढ़ा अमरनाथ यात्रा के लिए आज जम्मू रवाना हुआ।
दो वर्षों के बाद शुरु हुई इस यात्रा में सह प्रभारी पं राम मिश्रा , गोलू चौबे,राजेश पटेरिया,ओमप्रकाश हजारी, जय राम सेन, राजेश दुबे, हरिराम, दुर्गावाहिनी से शानू हजारी, प्रीति वर्मन महाकौशल प्रांत से बाबा बूढ़ा अमरनाथ यात्रा के लिए प्रस्थान किया। बाबा बूढ़ा अमरनाथ के लिए जाने वाले पूरी टीम का विभाग सेवा प्रमुख नरेंद्र जैन, विभाग संयोजक पवन रजक, जिला सहसंयोजक रजित जैन, विक्रम साहू, कन्हैया पटेल, द्वारा स्वागत किया गया । विश्व हिंदू परिषद के प्रांत समरसता विभाग सह प्रमुख श्री राम जी, जिला अध्यक्ष विकास मिश्रा, जिला मंत्री अभीतेंद्र राय द्वारा सभी को सफल एवं मंगल यात्रा हेतु शुभकामनाएं दी गई।
आज जनसुनवाई में 32 आवेदन आये
दमोह। कलेक्ट्रेट में आयोजित जनसुनवाई में दूरस्थ एवं शहर से आये लोगों की समस्याओं को कलेक्टर श्री एस कृष्ण चैतन्य ने सुना। इस अवसर पर अपर कलेक्टर नाथूराम गौंड़ ने सहभागिता निभाई। 
 आज जनसुनवाई में 32 आवेदन आये। आयोजित जनसुनवाई में आये आवेदनों को सबंधित अधिकारियों को त्वरित निराकरण के लिए भेजा गया।
कलेक्टर ने ईव्हीएम वेयर हाउस का निरीक्षण किया
दमोह। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के निर्देशानुसार कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी एस कृष्ण चैतन्य ने आज ईव्हीएम वेयर हाउस का  मासिक निरीक्षण किया ।
  इस अवसर पर अपर कलेक्टर एवं उप जिला निर्वाचन अधिकारी नाथूराम गौंड़ सहायक कोषालय अधिकारी ज्ञानेश्वर मांडवी निर्वाचन पर्यवेक्षक मनोज राज सहित निर्वाचन कार्यालय के अन्य कर्मचारीगण उपस्थिति थे।
आज होगा कोविड वैक्सीनेशन महाआभियान
दमोह। आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत 18़ के सभी नागरिकों को निःशुल्क प्रिकॉशन डोज यानि तीसरा डोज दूसरे डोज के 6 माह उपरांत शहरी दमोह मे चिन्हित सेंटरों पर आज 03 अगस्त को वैक्सीनेशन किया जायेगा। जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ रेक्सन अल्वर्ट ने बताया शहर के चिन्हित स्थानों पर वैक्सीनेशन सेंटर बनाये गये हैं। इनमें संस्कार भवन असाटी वार्ड सामुदायिक भवन सिंधी कैम्प अंबेडकर भवन कचौरा मार्केट विवेकानंद नगर ओबीसी छात्रावास डीईआईसी भवन जिला अस्पताल प्रांगण दमोह शक्ति नगर खरे जी का मकान नव जागृति स्कूल मिशन स्कूल जैन स्कूल सरस्वती स्कूल सिविल वार्ड 4 लाल बहादुर स्कूल सेंट जॉन्स स्कूल गुरु नानक स्कूल सैंट नॉरबर्ट स्कूल ओजस्विनी स्कूल रामकुमार स्कूल महाराणा प्रताप स्कूल एवं सभी ब्लॉकों पर सिविल अस्पताल सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हेल्थ वेलनेस सेंटर एवं उप स्वास्थ्य केन्द्रों पर कोविड वैक्सीनेशन किया जायेगा।
केएन कालेज में में हरित वसुंधरा पहल कार्यक्रम..
दमोह। शासकीय कमला नेहरू महिला महाविद्यालय में हरित वसुंधरा पहल हरियाली अमावस्या एवं अंकुर कार्यक्रम तहत ओरिएंटेशन कार्यक्रम का आयोजन  इको क्लब एवं राष्ट्रीय सेवा योजना  द्वारा किया गया। जिसमें संस्था के प्राचार्य डॉ जीपी चौधरी द्वारा विचार प्रस्तुत किए गए। विशिष्ट अतिथि सुशील नामदेव ने  पर्यावरण में होने वाले बदलाव से संबंधित समस्याओं के बारे में ऊर्जा साक्षरता अभियान एवं अंकुर कार्यक्रम के बारे में छात्राओं को अवगत कराया। प्राध्यापक  डॉ केके उमाहिया ने पर्यावरण संरक्षण के बारे में छात्राओं को अवगत कराया। संचालन सहायक प्राध्यापक डॉ असलम खान द्वारा किया गया।
 कार्यक्रम की संयोजिका प्रीति वर्मा एवं सदस्य सहायक प्राध्यापक डॉण् आराधना श्रीवास सहायक प्राध्यापक नयनतारा सहायक प्राध्यापक दीपक कुमार सैनी ने कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना सहयोग प्रदान किया। कार्यक्रम में प्राध्यापक डॉ रेखा जैन सहायक प्राध्यापक सुरेखा बड़ौले अतिथि विद्वान डॉ आभा अग्रवाल अतिथि विद्वान दिनेश कुमार अतिथि विद्वान प्रिया थापा अतिथि विद्वान अनुभा तिवारी एवं कम्प्यूटर ऑपरेटर हरीश दुबे की उपस्थिति रही।

सिंघई मन्दिर में त्रि दिवसीय मोक्ष सप्तमी महोत्सव 
दमोह
श्री दिगम्बर जैन सिंघई मन्दिर में चल रहे मृदु-निर्णय चर्तुमास वर्षायोग के पावन अवसर पर तीन दिनों तक तीर्थंकर भगवान का महामस्तकाभिषेक व महा पूजा विधान किए जायेंगे। भक्त गण बड़े उत्साह पूर्वक कलश आरक्षित करवा रहे हैं। परम पूज्य आर्यिका रत्न श्री 105 मृदुमति माता जी, निर्णय मति माता जी व ख्याति प्राप्त विदुषी ब्रह्मचारिणी पुष्पा दीदी’ के सानिध्य में 3 से 5 अगस्त तक त्रि दिवसीय अयोजन की संरचना कमेटी ने पूर्ण कर ली है। 
पुजारियों के लिए जलाभिषेक व महिलाओं पुरुष वर्ग को विधान में बैठने की संपूर्ण व्यवस्थाएं की गई हैं। प्रतिष्ठाचार्य भैया जी व संगीत गायन कला के विशेष आर्टिस्ट बाहर से बुलाए गए हैं, जो भक्तों को भक्ति रस में सराबोर कर देंगे। चौसठ ऋद्धि विधान, तीर्थंकर पार्श्वनाथ विधान, तीर्थंकर शांतिनाथ विधान, ऋद्धि सिद्धि मंत्रों से 1008 भगवान नेमीनाथ, पार्श्वनाथ, शांतिनाथ स्वामी के विशाल पावन जिनबिंब का महामस्तकाभिषेक पूज्य आर्यिका संघ के सानिध्य में होगा। अयोजन के प्रति महिलाओं व युवतियों में विशेष उत्साह है, तो पुरुष व युवा वर्ग भी विधान के  माढ़ने, कलशों की बुकिंग में तत्पर दिख रहे हैं
। सिंघई मन्दिर कमेटी, चतुर्मास समिति, श्री दिग. जैन पंचायत व विद्या मृदु प्रवाह समिति ने सकल दिगम्बर जैन समाज को सादर आमंत्रित किया है। तीनों दिन प्रातः 6.30 से 9.30 बजे तक धार्मिक अयोजन व धर्मोपदेश होंगे। संध्या कालीन आचार्य भक्ति व रात्रिकालीन महा आरती नृत्य व धर्मसभा व संस्कृतिक कार्यक्रम होगे। आज प्रातः मंदिर जी में विदुषी ब्रह्मचारिणी पुष्पा दीदी ने तत्वार्थ सूत्र मोक्ष शास्त्र के द्वितीय अध्याय पर अपने संबोधन/धर्मोपदेश में जीवात्मा के पांच भावों की व्याख्या की। उन्होंने कहा कि अपनी आत्मा में उपशम भाव, क्षायिक भाव, क्षयोपशमिक भाव, ओदियिक भाव, परिणामिक भाव ये पांच भाव होते हैं। 
सिंघई मंदिर जी में चतुर्मास में प्रतिदिन प्रातः 8 बजे से 9 बजे तक धर्मसभा में तत्वार्थ सूत्र जी मोक्ष शास्त्र पर प्रवचन होते हैं। साथ ही दमोह के श्री दिगम्बर जैन सिंघई मंदिर जी में मंगलवार को प्रातः कालीन धर्म सभा में श्री शान्ति नाथ त्रय विधान की पुस्तक का विमोचन वन्दनीय विदुषी ब्रह्मचारिणी पुष्पा दीदी जी व समाज जनों के समक्ष हुआ। एक पुस्तक के पुण्यार्जक श्री सन्तोष जैन शिक्षक (कोषाध्यक्ष विद्या मृदु प्रवाह समिति) बनवार वाले परिवार व दूसरी पुस्तक के पुण्यार्जक श्री के. सी. जैन बिट्स कम्प्यूटर परिवार हैं। विधान की रचयत्री पूज्य 105 आर्यिका रत्न श्री मृदु मति माता जी हैं। जिन्होंने अनेकों ग्रंथ, विधान, पूजाओं की रचना की है। धर्म सभा में तत्वार्थ सूत्र मोक्ष शास्त्र के दूसरे अध्याय पर बड़े प्रभावी तरीके से पुष्पा दीदी के मार्मिक संबोधन धर्मोपदेश सिंघई मंदिर में प्रतिदिन प्रातः 8 से होते हैं।

बांदकपुर मे नागपंचमी पर लघु रुद्रात्मक महारूद्राभिषेक 
दमोह। देव श्री जागेश्वर नाथ जी मंदिर बांदकपुर मे एकादश दिवसीय लघुरूद्रात्मक महारूद्राभिषेक का भव्य आयोजन चल रहा है मंदिर ट्रस्ट के मीडिया प्रभारी आचार्य पंडित रवि शास्त्री जी महाराज ने बताया कि नाग पंचमी के शुभमुहुर्त मे आज मंदिर परिसर मे स्थित नंदीमंठ के नागमंदिर मे भगवान नागराज का दुग्धाभिषेक षाेडषाेपचार पूजन एवं उनकी भव्य आरती उतारी गई 
यज्ञशाला में लघुरूद्रात्मक महा रुद्राभिषेक प्रारंभ हुआ जिसमें मुख्य यजमान मंदिर ट्रस्ट के मंत्री एडवोकेट पंकजहर्ष श्रीवास्तव अखलेश चांदाेलकर रहे मंदिर ट्रस्ट के प्रबंधक पंडित रामकृपाल पाठक ने बताया कि आमतौर पर भगवान शिव की पूजा शिवलिंग के रूप में की जाती है लेकिन भगवान शिव की मूर्ति पूजन का भी अपना ही एक महत्व है। श्रीलिंग महापुराण में भगवान शिव की विभिन्न मूर्तियों के पूजन के बारे में बताया गया है।  कार्तिकेय के साथ भगवान शिव-पार्वती की मूर्ति की पूजा करने से मनुष्य की सभी कामनाएं पूरी हो जाती हैं। मनुष्य को सुख-सुविधा की सभी वस्तुएं प्राप्त होती हैं, सुख मिलता है। जिस मूर्ति में भगवान शिव एक पैर, चार हाथ और तीन नेत्रों वाले और हाथ में त्रिशूल लिए हुए हों। जिनके उत्तर दिशा की ओर भगवान विष्णु और दक्षिण दिशा की ओर भगवान ब्रह्मा की मूर्ति हो। ऐसी प्रतिमा की पूजा करने से मनुष्य सभी बीमारियों से मुक्त रहता है और उसे अच्छी सेहत मिलती है। भगवान शिव की तीन पैरों, सात हाथों और दो सिरों वाली मूर्ति जिसमें भगवान शिव अग्निस्वरूप में हों, ऐसी मूर्ति की पूजा-अर्चना करने से मनुष्य को अन्न की प्राप्ति होती है।जो मनुष्य माता पार्वती और भगवान शिव की बैल पर बैठी हुई मूर्ति की पूजा करता है, उसकी संतान पाने की इच्छा पूरी होती है।  भगवान शिव की अर्द्धनारीश्वर मूर्ति की पूजा करने से अच्छी पत्नी और सुखी वैवाहिक जीवन की प्राप्ति होती है। जो मनुष्य भगवान शिव की उपदेश देने वाली स्थिति में बैठे भगवान शिव की मूर्ति की पूजा करता है, उसे विद्या और ज्ञान की प्राप्ति होती है। नन्दी और माता पार्वती के साथ सभी गणों से घिरे हुए भगवान शिव की ऐसी मूर्ति की पूजा करने से मनुष्य को मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
 माता पार्वती सहित नृत्य करते हुए, हजारों भुजाओं वाली भगवान शिव की मूर्ति की पूजा करने से मनुष्य जीवन के सभी सुखों का लाभ लेता है। चार हाथों और तीन नेत्रों वाली, गले में सांप और हाथ में कपाल धारण किए हुए, भगवान शिव की सफेद रंग की मूर्ति की पूजा करने से धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है।काले रंग की, लाल रंग के तीन नेत्रों वाली, चंद्रमा को गले में आभूषण की तरह धारण किए हुए, हाथ में गदा और कपाल लिए हुए शिव मूर्ति की पूजा करने से मनुष्य की सभी परेशानियों खत्म हो जाती है। रुके हुए काम पूरे हो जाते है। ध्यान की स्थिति में बैठे हुए, शरीर पर भस्म लगाए हुए भगवान शिव की मूर्ति की पूजा करने से मनुष्य के सभी दोषों का नाश होता है।. दैत्य जलंधर का विनाश करते हुए, सुदर्शन चक्र धारण किए भगवान शिव की मूर्ति की पूजा करने से शत्रुओं का भय खत्म होता है। जटा में गंगा और सिर पर चंद्रमा को धारण किए हुए, बाएं ओर गोद में माता पार्वती को बैठाए हुए और पुत्र कार्तिकेय और गणेश के साथ स्थित भगवान शिव की ऐसी मूर्ति की पूजा करने से घर-परिवार के झगड़े खत्म होते है और घर में सुख-शांति का वातावरण बनता है। हाथ में धनुष-बाण लिए हुए, रथ पर बैठे हुए भगवान शिव की पूजा करने से मनुष्य को जाने-अनजाने किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। जिस मूर्ति में भगवान शिव दैत्य निकुंभ की पीठ पर बैठे हुए, दाएं पैर को उसकी पीठ पर रखे और जिनके बाईं ओर पार्वती हों। ऐसी मूर्ति की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय मिलती है पंडित रामकृपाल पाठक ने बताया कि  नागपंचमी  पर हमारे ऋषि-मुनियों ने पशु-पक्षी, वृक्ष-वनस्पति सबके साथ आत्मीय संबंध जोड़ने का प्रयत्न किया है। हमारे यहां गाय की पूजा होती है। कई बहनें कोकिला-व्रत करती हैं। कोयल के दर्शन हो अथवा उसका स्वर कान पर पड़े तब ही भोजन लेना, ऐसा यह व्रत है। 
 हमारे यहाँ वृषभोत्सव के दिन बैल का पूजन किया जाता है। वट-सावित्री जैसे व्रत में बरगद की पूजा होती है, परन्तु नाग पंचमी जैसे दिन नाग का पूजन जब हम करते हैं, तब तो हमारी संस्कृति की विशिष्टता पराकाष्टा पर पहुंच जाती है।आज नाग पंचमी है। आज नाग देवताओं की पूजा की जाती है। वहीं, जिन लोगों के राहु-केतु कष्टकारी हैं अथवा जिनकी राहु की महादशा चल रही है, उनके लिए नाग पंचमी का पूजन सर्वकष्ट निवारण के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। कहते हैं कि नाग पंचमी के दिन पूजा करने पर कष्टों का निवारण होता है। भक्त इस दिन दूध और धान का लावा चढ़ाकर सुख व समृद्धि का आशीर्वाद मांगते हैं। महाभारत आदि ग्रंथों में नागों की उत्पत्ति के बारे में बताया गया है। नागपंचमी के दिन आठ नागों की पूजा होती है। इनमें अनन्त, वासुकी, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीक, कर्कट और शंख हैं।अनंत शेषनाग भगवान विष्णु के सेवक शेषनाग के सहस्र फन पर धरती टिकी हुई है। ब्रह्मा जी के वरदान के कारण ये पाताल लोक के राजा हैं। रामायण काल में लक्ष्मण जी, शेषनाग के अवतार थे और महाभारत काल में बलराम जी, शेषनाग के अंश थे।वासुकी भगवान शिव के सेवक वासुकी हैं। समुद्र मंथन के दौरान मंदराचल पर्वत को मथने हेतु वासुकी को ही रस्सी बनाया गया था। महाभारत काल में उन्होंने विष से भीम को बचाया था। पद्म नागों का गोमती नदी के पास के नेमिश नामक क्षेत्र पर शासन था महापद्म विष्णुपुराण में सर्प के विभिन्न कुलों में महापद्म का नाम सामने आया है।तक्षक नाग का वर्णन महाभारत में मिलता है। तक्षक, पाताल में निवास करने वाले आठ नागों में से एक है। यह माता कद्रू के गर्भ से उत्पन्न हुआ था तथा इसके पिता कश्यप ऋषि थे। तक्षक 'कोशवश' वर्ग का था। यह काद्रवेय नाग है। माना जाता है कि तक्षक का राज तक्षशिला में था। कुलिक नाग जाति में ब्राह्मण कुल का माना गया है। कुलिक नाग का संबंध ब्रह्मा जी से भी माना जाता है। कर्कट, शिव जी के एक गण हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सर्पों की मां कद्रू ने जब नागों को सर्प यज्ञ में भस्म होने का श्राप दिया था, तब भयभीत होकर कंबल ना  ब्रह्माजी के लोक में शंखचूड़  मणिपुर राज्य में, कालिया नाग - यमुना में, धृतराष्ट्र नाग - प्रयाग में, एलापत्र - ब्रह्मलोक में और अन्य कुरुक्षेत्र में तप करने चले गए।नागों के आठ कुलों में शंख एक हैं। शंख नाग जातियों में सबसे बुद्धिमान हैं। नागपंचमी के दिन इन सभी नाग देवताओं की पूजा-अर्चना श्रद्धापूर्वक करके भक्त उनकी विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

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