कुंडलपुर में रक्षाबंधन पर्व पर 700 अर्घ्य अर्पित
दमोह। सुप्रसिद्ध सिद्ध क्षेत्र कुंडलपुर में संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री निरंजन सागर जी महाराज के सानिध्य में जैन धर्म के 11 वे तीर्थंकर भगवान श्री श्रेयांशनाथ जी का मोक्ष कल्याणक महोत्सव धूमधाम से मनाया गया ।इस अवसर पर पूज्य बड़े बाबा भगवान आदिनाथ का अभिषेक शांतिधारा एवं पूजन, रक्षाबंधन विधान संपन्न हुआ।
इस अवसर श्री विष्णु कुमार मुनि द्वारा श्री अकंपनाचार्य आदि 700 मुनियों के उपसर्ग को दूर कर उनकी रक्षा की गई इस कारण यह पर्व वात्सल्य पर्व के रूप में मनाया जाता है, इसलिए श्रावक श्रेष्ठी जनों द्वारा 700 अर्घ्य भक्तिभाव पूर्वक चढ़ाए गए, निर्वाण लाडू भी चढ़ाया गया।पूज्य
बड़े बाबा के चरणों में शांति धारा करने का सौभाग्य श्रेष्ठी अमर जैन
प्रदीप राजेंद्र विपुल अनिमेष जैन टीकमगढ़, मनीष मलैया धार्मिक आयोजन
मंत्री कुंड़लपुर कमेटी आदि विवेक हर्ष संजय राखी मलैया परिवार दमोह, कैलाश
चंद्र संजीव राजीव वर्धमान परिवार झांसी को प्राप्त हुआ । भगवान पारसनाथ की
शांति धारा एवं प्रथम कलश करने का सौभाग्य अशोक कुमार अनिकेत जैन अशोकनगर,
सिंघई कपिल कुमार कमलेश जैन कटनी कटनी को प्राप्त हुआ।
रिद्धि मंत्र कलश
अभिषेक राजेश कुमार जैन परिवार जबलपुर एवं छत्र चंवर स्थापित करने का
सौभाग्य अजय जैन दमोह, मुकेश लोकेश स्वर्गीय ज्ञानचंद जैन परिवार दमोह को
प्राप्त हुआ ।ऑनलाइन के माध्यम से शांति धारा कराने का सौभाग्य श्रीमती
कमलेश कोटिया चक्रेश जी मंजू मयूख जैन परिवार मुंबई ने प्राप्त किया।
सायंकाल पूज्य बड़े बाबा की संगीतमय महाआरती एवं भक्तांबर पाठ का आयोजन
किया गया।
श्रमण संस्कृति रक्षाबंधन दिवस विधान संपन्न
दमोह। प्राचीन काल में अकम्पनाचार्य आदि सात सौ मुनियों पर घनघोर उपसर्ग (संकट) से रक्षा होने के कारण जैन परम्परा में रक्षा बंधन पर्व मनाते हैं। सिंघई जैन मन्दिर में इस अवसर पर 11 अगस्त को विशेष पूजा अर्चना की गई। संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज की परम शिष्या आर्यिका रत्न श्री 105 मृदुमति माता जी रचित रक्षा बंधन विधान सैकड़ों महिला पुरुषों ने बड़े भक्ति भाव से किया। जिसमें पूज्य माता जी ने स्वयं अपनी मृदु वाणी से विधान के पदों का गायन किया। पूज्य निर्णय मति माता जी भी विराजित रहीं।
दमोह। प्राचीन काल में अकम्पनाचार्य आदि सात सौ मुनियों पर घनघोर उपसर्ग (संकट) से रक्षा होने के कारण जैन परम्परा में रक्षा बंधन पर्व मनाते हैं। सिंघई जैन मन्दिर में इस अवसर पर 11 अगस्त को विशेष पूजा अर्चना की गई। संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज की परम शिष्या आर्यिका रत्न श्री 105 मृदुमति माता जी रचित रक्षा बंधन विधान सैकड़ों महिला पुरुषों ने बड़े भक्ति भाव से किया। जिसमें पूज्य माता जी ने स्वयं अपनी मृदु वाणी से विधान के पदों का गायन किया। पूज्य निर्णय मति माता जी भी विराजित रहीं।
वंदनीय पुष्पा दीदी
ने भी मंत्रोच्चार कर तीर्थंकर भगवान के समक्ष अष्ट द्रव्य से अर्ग्घ
चढ़वाए। इस अवसर पर बड़ी बड़ी, आकर्षक राखियों का निर्माण युवतियों द्वारा
किया गया। प्रमुख रुप से कु.एलिस, रिम्पी, प्राची, खुशी, गुनगुन, आस्था,
सुची, रुचि, इशिता, रचिता, शेजल, श्रेया आदि ने राखी निर्मित कर माता जी का
आशीर्वाद लिया। राखी समर्पित करने का सौभाग्य श्री अवध संध्या जैन शिक्षक
परिवार, कु.सेजल सिंघई परिवार, कु.इशिता जैन परिवार, श्रीमति सुभी जैन
परिवार, श्री सुधीश आभा सिंघई (जुझार) कटनी वाला परिवार को प्राप्त हुआ।विधान स्थल पर ही मन्दिर में विद्या मृदु प्रवाह ग्रंथ प्रकाशन समिति के
साथ ही जुझार कटनी वाला सिंघई परिवार ने श्री सोलह कारण महा विधान पुस्तक
का लोकार्पण किया। पूज्य मृदुमति माताजी द्वारा रचित इस पुस्तक को प्रकाशित
करने का सौभाग्य अष्टांहिका व्रत के उद्ध्यापन में श्रीमति सिंघई शीला
बाई, डॉ. सुमेरचंद्र, लक्ष्मीचंद्र, सुधीश, अनिल सिंघई परिवार को प्राप्त
हुआ।
नेमीनगर जैन मंदिर में रक्षाबंधन पर विधान संपन्न
दमोह। श्री पार्श्वनाथ दिग.जैन मंदिर नेमीनगर दमोह में विराजमान परमपूज्य आचार्य उदार सागर जी महाराज के मंगल सानिध्य में मंदिर जी में रक्षाबंधन विधान का आयोजन किया गया। प्रातःकालीन बेला में श्री जी का अभिषेक शांतिधारा भगवान श्रेयांशनाथ का निर्वाण लाहू संपंन हुआ। तत्पश्चात् रक्षाबंधन के दिन विष्णु कुमार मुनि द्वारा 700 मुनियों की रक्षा की गई थी उन्हें याद कर 700 मुनियों के 700 श्रीफल समर्पित किये गयें।
दमोह। श्री पार्श्वनाथ दिग.जैन मंदिर नेमीनगर दमोह में विराजमान परमपूज्य आचार्य उदार सागर जी महाराज के मंगल सानिध्य में मंदिर जी में रक्षाबंधन विधान का आयोजन किया गया। प्रातःकालीन बेला में श्री जी का अभिषेक शांतिधारा भगवान श्रेयांशनाथ का निर्वाण लाहू संपंन हुआ। तत्पश्चात् रक्षाबंधन के दिन विष्णु कुमार मुनि द्वारा 700 मुनियों की रक्षा की गई थी उन्हें याद कर 700 मुनियों के 700 श्रीफल समर्पित किये गयें।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में
श्रद्वालू शामिल हुये। अंत में आचार्य श्री उदार सागर जी महाराज ने अपने
मंगल प्रवचन में रक्षाबंधन विधान का महत्व समझाया एवं रक्षाबंधन पर रक्षा
सूत्र का महत्व बताया कि इसे बांधकर धर्म समाज सृष्टि की रक्षा के लिये
प्रेरित किया एवं रक्षाबंधन पर्व पर मुनियों की रक्षा किस प्रकार की गई
बहुत विस्तृत रूप में समझाया और समाज को अपना कर्तव्य बोध कराया एवं अपना
आशीर्वाद प्रदान किया।
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