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तहसील ग्राउंड उपयोग पर अब 5000 रूपये दिन लगेगा.. स्कूली बच्चों को जीते जी रक्तदान मरणोपरांत नेत्रदान का महत्व बताया.. बैडमिंटन प्रतियोगिता समापन में पहुंचे आईजी कमिश्नर.. कुण्डलुर में दशलक्षण पर्व पर साधना आराधना भक्ति का संगम.. बूंदाबहू मंदिर में राधाष्टमी उत्सव आज..

तहसील ग्राउंड के उपयोग पर अब 5000 रू दिन लगेगा

दमोह। कलेक्टर एस कृष्ण चैतन्य ने आदेश जारी करते हुये कहा है नजूल शीट नंबर 49 प्लाट नंबर 124.2 रकवा 6.21 एकड़ ;तहसील ग्राउंड उक्त स्थान पर किसी भी अशासकीय कार्यक्रमों के आयोजन के पूर्व विभिन्न विभागो से अनापत्ति प्राप्त करना तथा प्रत्येक दिवस के मान से 5 हजार रूपये रेडक्रॉस सोसायटी में जमा किया जाना अनिवार्य होगा। तदुपरांत ही अनुविभागीय मजिस्ट्रेट की अनुमति प्राप्त की जा सकेंगी।

 जीते जी रक्तदान मरणोपरांत नेत्रदान का महत्व बताया
दमोह। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ संगीता त्रिवेदी के निर्देशन एवं सिविल सर्जन डॉ ममता  तिमोरी  के मार्गदर्शन तथा जिला अंधत्व नियंत्रण समिति के तत्वाधान में सरस्वती शिशु मंदिर के स्कूली बच्चों को नेत्रदान पखवाड़े के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। 
जिला चिकित्सालय के नेत्र विशेषज्ञ डॉ राकेश राय द्वारा स्कूली बच्चों से अपील की गई कि जिस प्रकार जीते जी रक्तदान की महत्ता बड़ी हैए उसी प्रकार हमारे मरने के बाद नेत्रदान बहुत बड़ा दान है। इसके लिए हमें अपने जीवन काल में नेत्रदान घोषणा पत्र भरकर अपनी आंखों का दान रजिस्टर्ड संस्थाओं को कर देना चाहिए जिससे मरणोपरांत हमारी आंखों को जरूरतमंद व्यक्ति को लगाई जा सके। एक व्यक्ति के नेत्रदान से दो लोगों का जीवन रोशन होता है। हमारा शरीर मरणोपरांत मिट्टी को प्राप्त होता है परंतु हमारी आंखें नेत्रदान करने से जीवित रहती हैं। मरने के बाद 4 से 6 घंटे तक हमारे नेत्र जीवित रहते हैं इन्हें सुरक्षित करने के लिए रजिस्टर्ड संस्थाओं में जानकारी देकर संरक्षित कर लिया जाता है। उसके पश्चात 24 घंटे के अंदर हितग्राही के लिए यह आंखें लगा दी जाती है।
उन्होंने बताया नेत्रदान करने वाले व्यक्ति को गंभीर बीमारी से ग्रस्त नहीं होना चाहिए जैसे टीवीए ऐड्सए हेपेटाइटिस बीए कैंसर एवं ब्रेन ट्यूमर आदि। शुगर एवं ब्लड प्रेशर के मरीज भी नेत्रदान कर सकते हैं। नेत्र निकालने वाली टीम केवल 20 मिनट में छोटी सी प्रक्रिया के अंतर्गत नेत्र निकाल लेती है और यह महत्वपूर्ण नेत्र संरक्षित करके 24 घंटे के अंदर हितग्राही व्यक्ति को लगा दिए जाते हैं। उन्होंने सभी बच्चों से विशेष आग्रह किया कि नेत्रदान के बारे में अपने घर में पड़ोस में अपने बड़ों से चर्चा कर यह जानकारी साझा करें। जिससे नेत्रदान महादान का उद्देश्य पूरा हो सके।
हमारी आंखों की सुरक्षा के लिए मोबाइल का सीमित प्रयोग करना चाहिए। रात के अंधेरे में मोबाइल नहीं चलाना चाहिए। अधिक मोबाइल चलाने से आंखों में शुष्कपन आ जाता है। जिससे आंखें गड़ना एवम लाल होना जैसी परेशानियां आ जाती है। अधिक समय तक मोबाइल देखने से चश्मे का नंबर बढ़ जाता है। आप आंखों की सुरक्षा कीजिए ये आपको सुख देंगी। इस अवसर पर प्राचार्य ऋषभ जैन तथा स्टाफ एवं अस्पताल से पवन नेत्र चिकित्सा सहायक उपस्थित रहे। 

 बैडमिंटन प्रतियोगिता समापन में पहुंचे आईजी कमिश्नर

दमोह। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत दमोह क्लब में 18 दिन से चली बैडमिंटन प्रतियोगिता 2022 के समापन समारोह में कमिश्नर श्री मुकेश कुमार शुक्ला, आईजी सागर श्री अनुराग (आईपीएस) दमोह पहुंचे और मैच समारोह में शामिल हुए।

इस अवसर पर कलेक्टर एस.कृष्ण चैतन्य, पुलिस अधीक्षक श्री डीआर तेनीवार ने कमिश्नर-आईजी का पुष्पगुच्छ से स्वागत किया। दमोह क्लब में फाइनल मैच का कमिश्नर-आईजी ने टॉस उछाल कर एवं शटल काक चलाकर शुभारंभ किया।  इस अवसर पर जिला पंचायत सीईओ अजय श्रीवास्तव, सचिव सतनाम सिंह जुनेजा, डॉ राजीव पांडे मंचासीन रहे।

बैंडमिंटन की युगल प्रतियोगिता में फाईनल मैच सर्वप्रथम रूपेश अहरवाल-रंजन शर्मा कटनी के बीच तथा कलेक्टर-एसपी और अतुल- सौरभ के बीच खेला जा रहा हैं।

 इस अवसर पर एडिशनल एसपी शिव कुमार सिंह, एसडीएम दमोह गगन विषेन, जनसंपर्क अधिकारी वाय ए कुरेशी, सीएसपी अभिषेक तिवारी, आरआई संजय सूर्यवंशी, टीआई कोतवाली विजय सिंह राजपूत सहित अन्य अधिकारी कर्मचारी और खेल प्रेमी मौजूद।

 कुंडलपुर में साधना आराधना भक्ति का संगम.. 

कुंडलपुर। सुप्रसिद्ध सिद्ध क्षेत्र कुंडलपुर मध्य प्रदेश में दश लक्षण महापर्व पर साधना, आराधना ,भक्ति का नजारा दृष्टिगोचर हो रहा है ।एक ओर जहां प्रातः काल पूज्य बड़े बाबा के विशाल मंदिर में भक्तांमर महामंडल विधान भक्ति भाव के साथ श्रावक श्रेष्ठी जनों के द्वारा किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर पूज्य बड़े बाबा का अभिषेक, शांतिधारा, आरती ,पूजन- विधान में भी दूर-दूर से श्रद्धालु भक्त आ कर अपना जीवन धन्य कर रहे। भक्तांमर विधान कर्ता परिवार इंद्र कुमार नाभिनंदन जैन हरदुआ (पन्ना )रहे। पूज्य बड़े बाबा का प्रथम कलश ,रिद्धि मंत्र कलश, शांति धारा करने का सौभाग्य सौरव सुधीर सिंघई परिवार इंदौर, मनमोहन जैन ओमप्रकाश जैन परिवार कोटा ,विनोद जैन स्वर्गीय गुलाबचंद जैन परिवार विदिशा, हृदय जैन अरुण निर्मल कुमार जैन गुना, प्रकाश चंद कैलाश महेंद्र कमलाबाई रितु मोनिका परिवार राहतगढ़ को प्राप्त हुआ भगवान पारसनाथ की शांति धारा हेमचंद संदीप बजाज किरण निवेदिता खुरई परिवार ,प्रमोद कुमार मीना जैन शास्त्री परिवार कटनी ने की ।छत्र चवंर स्थापित करने का सौभाग्य सौरभ सुधीर सिंघई इंदौर, विनोद कुमार अरुण कुमार जैन नौगांव ने प्राप्त किया।

 वही दोपहर में विद्या भवन में शांति महामंडल विधान का आयोजन किया गया आज के शांति विधान कर्ता परिवार ज्ञानचंद जैन कुंडलपुर रहे। गत दिवस कोमल चंद राकेश जैन परिवार कुंडलपुर की ओर से शांति विधान किया गया ।पूज्य मुनि श्री निरंजन सागर जी महाराज ने आर्जव धर्म पर प्रवचन देते हुए बताया मन वचन और काय इन तीनों की क्रिया में वक्रता नहीं होने का नाम ही आर्जव है। कुटिल भाव माया चारी परिणामों को छोड़कर शुद्ध हृदय से चारित्र  का पालन आर्जव धर्म है । आर्जव का अर्थ सरलता है। मुनि श्री ने भगवान आदिनाथ के पूर्व भव का प्रसंग सुनाते हुए बताया वन में एक वानर मुनियों के आहार को देख रहा था राजा बजृजघ उनकी रानी श्रीमती आहार दे रहे थे वानर शांति से आहार देख रहा था। देखा गया है कि वानर शांति को प्राप्त नहीं होते कुंडलपुर में भी कई बार आपने वानरों का उत्पात देखा है ।वन में मुनि राज एक शिला पर उपदेश दे रहे थे वानर भी उनका उपदेश सुन रहा था। राजा बजृजघ की दृष्टि उस वानर पर पड़ी उन्होंने मुनिराज से वानर का पूर्व भव जानना चाहा। मुनिराज ने बताया यह वानर कभी नर था। श्रेष्टि की पर्याय में था इसका आचरण छल कपट पूर्ण था जिस कारण इसे वानर की पर्याय मिली है ।यह श्रेष्टि की पर्याय में मायाचार कपट पूर्ण कार्य में लगा था ।मुनिराज के आहार देखते हुए वानर ने भावना भाई यदि मैं आज नर होता तो आहार देने का सौभाग्य पाता। पूज्य मुनि श्री ने प्रवचन में आगे बताया पुराण ग्रंथों में ऐसे अनेक उदाहरण आपने पढ़े होंगे जीवन्धर कुमार ने श्वान को पंच नमस्कार मंत्र सुनाया  उसने देव पर्याय को प्राप्त किया ।बैल को सेठ ने णमोकार मंत्र सुनाया, इसी तरह नाग नागिन भी पार्शनाथ के समय देव पर्याय पा सके ।आपकी जो मायाचार छल कपट की प्रवृत्ति है वह र्तियंच गति का कारण बन रही है ।जब हमारे पास सब कुछ होता तो भगवान का नाम लेने का समय नहीं ।जब विपत्ति काल आता तो भगवान की याद आती ।माया चारी की शरण लेना पड़ती। उत्तम आर्जव धर्म के धारी आचार्य परमेष्ठी हैं हम उनकी शरण लें। सायं काल पूज्य बड़े बाबा की संगीतमय महाआरती ,भक्तांमर पाठ 48दीप प्रज्वलित कर किया गया। रात्रि में भैया जी के प्रवचन का लाभ उपस्थित भक्तों ने प्राप्त किया।
 
बूंदाबहू मंदिर में राधाष्टमी उत्सव आज.. 
 दमोह। देव श्री जानकी रमण जी बूंदाबहू मंदिर में प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी राधाष्टमी बड़ी ही भव्यता से मनाई जाएगी मंदिर ट्रस्ट के सदस्य एडवोकेट धर्मेन्द्र राजपूत एवं सचिन असाटी ने बताया कि राधाष्टमी उत्सव की समस्त तैयारियां हो चुकी है सुबह 9 बजे भजन संध्या का आयोजन होगा वहीं मध्यान 12 बजे राधा जी की जन्मआरती होगी राधा रानी के बिना श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी मानी गई है। श्रीराधाष्टमी के व्रत के बिना श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के व्रत का पूरा पुण्य प्राप्त नहीं होता है। राधाष्टमी के दिन राधा और कृष्ण दोनों की पूजा की जाती है  राधा रानी का जन्मदिन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन यानी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के 15वें दिन राधाष्टमी का उत्सव मनाया जाता है।  राधा रानी, श्रीकृष्ण से 11 माह बड़ी थीं। राधा रानी के जन्मदिवस पर भगवान श्रीकृष्ण के साथ राधारानी का श्रृंगार, आरती और पूजन भी किया जाता है।
देव श्री जानकी रमण जी बूंदाबहू मंदिर के ज्योतिषार्य आचार्य पंडित रवि शास्त्री जी महाराज ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार 3 सितंबर, दिन शनिवार को 9 बजकर  28  मिनट पर भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि प्रारंभ होगी और इस तिथि का समापन अगले दिन 4 सिंतबर दिन रविवार को सुबह 7 बजकर 22मिनट पर होगा। इसलिए लोकविजय पंचांग के अनुसार राधाष्टमी 3 सितंबर को मनाई जाएगी। राधा अष्टमी पूजन विधि अन्य व्रतों की भांति इस दिन भी प्रातः उठकर स्नानादि क्रियाओं से निवृत होकर श्री राधा जी का विधिवत पूजन करना चाहिए। इस पूजन हेतु मध्याह्न का समय उपयुक्त माना गया है। इस दिन पूजन स्थल में ध्वजा, पुष्पमाला,वस्त्र, पताका, तोरणादि व विभिन्न प्रकार के मिष्ठान्नों एवं फलों से श्री राधा जी की स्तुति करनी चाहिए। पूजन स्थल में पांच रंगों से मंडप सजाएं, उनके भीतर षोडश दल के आकार का कमलयंत्र बनाएं, उस कमल के मध्य में दिव्य आसन पर श्री राधा कृष्ण की युगलमूर्ति पश्चिमाभिमुख करके स्थापित करें। बंधु बांधवों सहित अपनी सामर्थ्यानुसार पूजा की सामग्री लेकर भक्तिभाव से भगवान की स्तुति गाएं। दिन में हरिचर्चा में समय बिताएं तथा रात्रि को नाम संकीर्तन करें। एक समय फलाहार करें और मंदिर में दीपदान करें।राधाष्टमी एक महोत्सव है, जो अपने साथ भक्तों के लिए भक्तिप्रेम और उमंगों की बहार लेकर आता है। अगर इस दिन श्रद्धापूर्वक राधाष्टमी का व्रत किया जाए, तो व्रती को राधा रानी और श्रीकृष्ण, दोनों की कृपा प्राप्त होती है। कहते हैं कि उन्हें सुख, शांति और समृद्धि के साथ-साथ माता लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है।

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