Header Ads Widget

प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ जी का जन्म तप कल्याणक महोत्सव भक्तिभाव से मनाया गया.. कुण्डलपुर में आचार्य श्री समयसागर जी के ससंघ सानिध्य में विविध आयोजन..

 कुण्डलपुर में आचार्य श्री के ससंघ सानिध्य में महोत्सव.. दमोह। सुप्रसिद्ध सिद्धक्षेत्र कुण्डलपुर में जैनधर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान श्री आदिनाथ जी का जन्म एवं तप कल्याणक महोत्सव विद्या शिरोमणि प.पू.आचार्य श्री समयसागर जी महाराज ससंघ सानिध्य में धूमधाम से मनाया गया ।इस अवसर पर प्रातः भक्तामर महामंडल विधान, श्री आदिनाथ विधान पूज्य बड़े बाबा का अभिषेक, शांतिधारा, पूजन, विधान हुआ। बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्तों ने पूज्य बड़े बाबा का चरणाभिषेक किया।

शांतिधारा का वाचन परम पूज्य निर्यापक श्रमण मुनि श्री अभय सागर जी महाराज द्वारा किया गया। आचार्य श्री की पूजन हुई। इस अवसर पर प.पू. आचार्य श्री समयसागर जी महाराज ने मंगल प्रवचन देते हुए कहा महावीर जयंती तो पूरे भारत वर्ष में मनाई जाती है किंतु आज आदिनाथ भगवान की जन्मजयंती जन्म कल्याणक का यह पुनीत पावन अवसर आप लोगों को प्राप्त हुआ है आज की तिथि में ही आदिनाथ भगवान का जन्म एवं तप कल्याणक दोनों अवसर आपको प्राप्त हो रहा है। वस्तुत:आगम ग्रन्थों के आधार पर यह बात समझ में आ जाती है कि मोहनीय कर्म के क्षय फलस्वरुप अथवा चार घातिया कर्म के क्षय फलस्वरुप केवलज्ञान की उपलब्धि होती है। किंतु केवली कई प्रकार के होते हैं उनमें सामान्य केवली का भी वर्णन मिलता है और तीर्थंकर केवली का भी वर्णन मिलता है । दोनों में अंतरंग दृष्टि से देखेंगे कर्मक्षय की दृष्टि से देखेंगे तो केवलज्ञान में कोई भी अंतर नहीं है। केवलज्ञान की दृष्टि से कोई भी अंतर नहीं पाया जाता। क्योंकि क्षायिक ज्ञान माना जाता अंत चतुष्टय की प्राप्ति  सामान्य केवली हो तीर्थंकर केवली हो सबको प्राप्त हो चुका है।
विशेषता यह है तीर्थंकर प्रकृति के वंध के फलस्वरुप जो की केवली और श्रुतकेवली के पादमूल में ही तीर्थंकर प्रकृति का वंध षोडसकारण भावना के माध्यम से होता है । ज्यो ही मोहिनी कर्म का क्षय हो जाता है तेरहवे गुण स्थान में तीर्थंकर प्रकृति का उदय हो जाता है। उस उदय के फलस्वरुप समोशरण की रचना होती है।
आप लोग सुबह उठ जाते हैं स्नानादि से निवृत होकर अपने आप को आईना में देखते हैं आईना का क्या मायना है आईना अर्थात दर्पण होता उसमें अपना चेहरा देखते जब आप बाहर निकलते सारे लोग आपका चेहरा देखते। मैं अच्छा लगू फोटो निकालते फोटो में क्या आ रहा है आपका चेहरा शरीर वस्त्राभूषण आदि फोटो में आ रहा है किंतु जो परमात्म तत्व है जो आत्मतत्व है वह उसे कैमरे में नहीं आ सकता ।क्योंकि वह अमूर्त आत्मतत्व है और अमूर्त आत्मतत्व को प्राप्त करने जो महान आत्माएं हुई हैं उन्होंने मोक्ष मार्ग पर आरुण होकर रत्नात्रय के माध्यम से शरीर से आत्मतत्व को पृथक कर लिया है ।इसका अनंतसुख का अनुभव प्रतिपल प्रति समय करते रहते हैं । वापस इस धरती पर कभी आएंगे नहीं ।निर्वाण का लाभ प्राप्त हो जाता है। लोक के अग्रभाग पर जाकर विराजमान होते हैं ।साधना का फल है अंतरंग लक्ष्मी को प्राप्त करने का लक्ष्य प्रत्येक साधक का होता है। उस लक्ष्य को प्राप्त करने ही गुरुदेव ने हम लोगों को मार्ग प्रशस्त किया है उस मार्ग पर आरुण होकर अपनी साधना को उन्होंने पूर्ण कर लिया है।
हम लोगों के लिए प्रतिफल यही संबोधन रहा है चतुर्विध संघ के लिए मनुष्य पर्याय बहुत दुर्लभ मानी जाती है इस पर्याय को सार्थक करने जो सच्चे देव शास्त्र गुरु की साधना में लग जाता है निश्चित रूप से अल्प समय में वह घड़ी आएगी वह पूर्णतः मोक्ष मार्ग के योग्य सामग्री को प्राप्त करके साधना के माध्यम से आत्म निधि को प्राप्त करने का प्रयास कर सकता है। बिना पुरुषार्थ के कोई भी वस्तु उपलब्ध नहीं हो सकती ।निरंतर निरपेक्ष भाव के साथ भगवान की गुरु की साधना करने के लिए क्षण मिले आज का जन्म कल्याणक और तप कल्याण का दिन है केवल ज्ञान प्राप्त करने का एकमात्र लक्ष्य होना चाहिए ।  इस अवसर पर प्रथम अभिषेक, शांतिधारा ,रिद्धिकलश करने का सौभाग्य अंशुल जैन न्यायाधीश अशोक जैन गुना जबलपुर ,अनिल ज्ञानचंद फिरोजपुर, किरीट हर्ष कोमल मुंबई, विकास राखी दुर्गापुर, नेमीचंद संतोष भीलवाड़ा ,हर्षित महेश बम्होरी राजकुमार नीरज तेंदूखेड़ा, वैभव नमन नवीन ध्रुव रेवाड़ी, डॉ मानकचंद्र शीलचंद जबलपुर ,राकेश ईशान डिंडोरी, हर्ष शुभम टूंडला ,तुषार अक्षय सर्वेश कन्नौज को प्राप्त हुआ। आचार्य संघ की आहार चर्या संपन्न हुई। दोपहर में विद्याभवन में मुनि श्री विनीतसागर जी महाराज के मंगल प्रवचन हुए।सायंकाल भक्तामर दीप अर्चना एवं पूज्य बड़े बाबा की संगीतमय महाआरती हुई।
मुनि संघ के सानिध्य में सिटी नल से निकली शोभा यात्रा
जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव आदिनाथ भगवान के जन्म जयंती पर दमोह सिंघई मंदिर में विराजमान मुनि श्री प्रज्ञान सागर जी एवं मुनि श्री प्रसिद्ध सागर जी महाराज के मंगल सानिध्य में शोभा यात्रा निकाली गई।
जो की सिटी नल से प्रारंभ होकर पुराना थाना बकौली चौराहा घंटाघर  धगट चौराहा से होती हुई पुन सिटी नल पहुंची। बड़ी संख्या में महिलाओं युवाओ सहित समाज जनों की मौजूदगी रही।
वसुंधरा नगर जैन मंदिर में मस्तकाभिषेक शांति धारा
दमोह के वसुंधरा नगर जैन मंदिर में विराजमान  ऋषभदेव आदिनाथ भगवान की विशाल प्रतिमा का जलाभिषेक एवं शांति धारा एवं पूजन धूमधाम से संपन्न हुई..
कांच मंदिर में आदि ब्रह्मा देवाधिदेव श्री ऋषभ देव प्रभु का जन्मकल्याणक महोत्सव मनाया.. दमोहढोल नगाड़ों के साथ मूलनायक श्री आदिनाथ भगवान का 108 कलशों से महामस्तकआभिषेक व शांतिधारा पंडित श्री डॉ आशीष जैन के द्वारा संपन्न हुआं जिन शासन प्रवर्तक, जैन धर्म के वर्तमान काल के प्रथम तीर्थंकर देवाधिदेव, आदिब्रह श्री 1008 आदिनाथ भगवान का जन्मकल्याणक चैत्र कृष्ण नवमी को मनाया गया।
भोग भूमि के अंत समय में कल्पवृक्ष के समाप्त होते ही जन मानस में त्राहिमाम त्राहिमाम व्याप्त होने पर महाराजा ऋषभ देव जी ने अपने राज्यकाल में असी, मसी, कृषि वाणिज्य, शिल्प कला की शिक्षा देकर जन मानस को जीवन जीने के आधार से परिचित कराया। श्री ऋषभदेव के पुत्र श्री भरत के नाम पर ही इस राष्ट्र का नाम भारत रखा गया। सनातन धर्म में सर्वमान्य देव के रूप में श्री ऋषभ देव सर्वमान्य और पूज्यनीय है। श्री दिग जैन कांच मंदिर में सुबह 7बजे मूलनायक  भगवान आदिनाथ का मस्तकाभिषेक शांतिधारा उपरांत पूजन विधान संपन्न हुआ।
दोपहर में रेलवे स्टेशन रोड पर सर्वसमाज जन मानस के बीच फल का वितरण करके जैन धर्म अहिंसा धर्म के संदेश को जन जन तक पहुंचने का ओर समरसता के भाव से जैन समाज के ओतप्रोत होने का अनूठा प्रयास किया। कांच मंदिर कमेटी अध्यक्ष सतीश जैन, महामंत्री सोनू नेताजी, मनोज जैन मीनू, विजयश्री आयरन परिवार, संगम परिवार, सुनील जैन गुड्डू, सुधीर रजनीश जैन, महेंद्र पटवारी, स्वतंत्र जैन, बंटी जैन, महिला परिषद इंद्राणी शाखा, आदिनाथ शाखा, सोनू सन्मति एग्रो सहित मंदिर कमेटी प्रचार मंत्री महेंद्र चंदेरिया ने भगवान ऋषभ देव के जन्मकल्याणक महोत्सव की जन मानस को बधाई व शुभकामनाएं दी।

Post a Comment

0 Comments