बुरी बातों को एक कान से सुन दूसरे से निकाल देना चाहिए
दमोह। वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज ने प्रातः कालीन स्वाध्याय कक्षा में कहा अपने अंदर से विरोध और बुराइयों के अवगुणों को निकाल कर फेंक देना चाहिए। दूसरों के द्वारा यदि आपकी निंदा आलोचना एवं बुराई की जा रही हो, तो उसे सुनने की हिम्मत पैदा करना चाहिए। बुरी बातों को एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देना चाहिए, पर मुंह से नहीं निकालना चाहिए। यदि कोई आपकी निंदा आलोचना बुराई करता हो तो उस समय मुस्कुराहट के दीए जला लेना, कर उसकी बुराई और विरोध के अंधकार को प्रकाश में बदल देना चाहिए। जिससे उसका अंधकार दूर हो सके कड़वी बात कड़वी दवा रोग को निकाल देती कड़वी बात सुनना, एक साधना है, जो व्यक्ति विरोध और बुराई को देहरी से सुन लेता है। और उसका उत्तर दिए बिना कुछ बुराई को निकाल लेता है। अपनी सोच को पॉजिटिव बना देता है। वह प्रगति करके एक दिन सर्वश्रेष्ठ ऊंचाई पर पहुंचता है।
आचार्य श्री ने कहा जैसे एक कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक से नहीं होते सभी गाय एक सी होने पर एक सा दूध नहीं देती, एक ही बगीचे के सभी फूल एक से नहीं होते, वैसे ही इस दुनिया में एक ही देश या नगर के व्यक्ति एक से नहीं होते, इसलिए तुलसीदास जी ने लिखा है। तुलसी इस संसार में भांति भांति के लोग अब आपको स्वयं निर्णय लेना है। कि आप अच्छी या बुरी किस्मत के बनना चाहते है। अच्छा और बुरा बनना स्वयं आचार विचार पर आधारित है। निंदा, आलोचना, अपमान, अपयश, हानि इत्यादि सब अपने स्वयं के कर्म पर आधारित है। दूसरों पर नहीं, आचार्य श्री ने कहा जब कोई आपसे पूछता है, कि आप कहां जाना चाहते हैं। तो आप के मुख से यही निकलता है, की दुकान, ऑफिस, बाजार अथवा घर जाना चाहते हैं। पर यह कोई नहीं कहता कि हम मरघट जाना चाहते है। जबकि जीवन का अंतिम सत्य और पड़ाव यही है यह बात समझ में आने पर व्यक्ति बुराइयों से बचने लगता है, और भलाई के कार्य करने लगता है। भलाई करने वालों पर भगवान प्रसन्न होते हैं, और बुराई करने वालों पर भूत प्रसन्न होते हैं।
आचार्य श्री के सानिध्य में शांति विधान जारी
कोरोना महामारी से मुक्ति पाने के लिए आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज के सानिध्य में एवं प्रेरणा से 16 दिवसीय श्री 1008 शांतिनाथ महामंडल विधान का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें प्रतिदिन एक परिवार को भव्य समवशरण के समक्ष खड़े होकर विधान पूजन का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। विधान के दूसरे दिन शनिवार को महामंडल विधान करने, शांति धारा एवं शांति मंत्र कराने का सौभाग्य स्वतंत्र कुमार नमन कुमार जैन परिवार को प्राप्त हुआ। तीसरे दिन रविवार को शांति विधान का सौभाग्य गुड्डू बजाज परिवार ने अर्जित किया है। विधान प्रतिदिन प्रातः 6 बजे से प्रारंभ हो जाता है।
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