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शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में राजनीतिकरण और व्यवसायीकरण पनप रहा है.. इसी कारण से शिक्षा और चिकित्सा का स्तर लगातार घट रहा है.. वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज..

 शिक्षा और चिकित्सा को लेकर राजनीति और व्यवसाय नहीं करना चाहिए- आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज

दमोह। वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी ने शांति विधान के मध्य उपदेश देते हुए कहा शिक्षा और चिकित्सा को लेकर राजनीति और व्यवसाय नहीं करना चाहिए। लेकिन आज दोनों क्षेत्र को लेकर राजनीतिकरण और व्यवसायीकरण पनप रहा है इसी कारण शिक्षा का स्तर घट रहा है। शिक्षा, सुख, शांति, उच्च, आचार, विचार का कारण ना होकर अशांति और आतंक का कारण बन रही है। शिक्षा ग्रहण करने का उद्देश्य ज्ञानार्जन होता है। ज्ञानार्जन का उद्देश सुख शांति आनंद पद प्रतिष्ठा सेवा सत्य पुण्य और परलोक सुख प्राप्त करने का  होता है..

 आचार्य श्री ने यह बात 6 माह बाद खुले जा रहे शिक्षा केंद्रों को लेकर कही उन्होंने कहा विद्यार्थियों को ऑनलाइन पढ़ाई कराने की अपेक्षा शिक्षा केंद्रों में सामने पढ़ाई कर आना ज्यादा श्रेष्ठ है। क्योंकि विद्यार्थी मोबाइल का सदुपयोग कम करते हैं और दुरुपयोग ज्यादा करते हैं पढ़ते 1 घंटा है और 4 घंटे अनावश्यक चीजें देखते हैं जिससे उनकी आंख, कान, गर्दन आदि शरीर पर एवं मनो मस्तिष्क पर घातक प्रभाव पड़ता है। यह निश्चित है की कोरोना महामारी सुरसे की भांति अपना मुंह खोल कर चल रही है। ऐसी स्थिति में भी स्कूल खोलने में हर्ज नहीं है, बस सावधानी की जरूरत है। पुराने जमाने में जैन धर्म में एक कहावत थी लोटा डोरी छन्ना कनक कलेवा भन्ना अर्थात जब भी आप बाहर जाएं तो अपने साथ आटा, नाश्ता, पानी एवं पैसा लेकर जाएं। बाहर का ना खाएं हाथ धोकर मौन रखकर बैठ कर प्रदूषण रहित पवित्र स्थान में अपना भोजन करें। इस कहावत के अनुसार विद्यार्थियों को बाहर चाय, नाश्ता बेकरी, दूध, फल, पानी आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। बल्कि अपने टिफिन में भोजन बोतल में पानी लेकर जाना चाहिए। विद्यार्थियों को पास पास ना बैठा लेकर एक की दूरी से बैठाना चाहिए। ऑनलाइन पढ़ाई करने में एवं स्कूल में प्रत्यक्ष शिक्षक से पढ़ने में वही अंतर है। जो मैच प्रत्यक्ष स्टेडियम में बैठकर देखने में एवं मोबाइल पर देखने सुनने में अंतर है। 

आचार्य श्री ने कहा कोविड-19 को देखते हुए लगता है। कि यह बरसो अपना प्रभाव दिखाता रहेगा ऐसी स्थिति में व्यवसाय उद्योग शिक्षा केंद्र आदि बंद रखे जाएंगे। तो देश की अर्थव्यवस्था सामाजिक व्यवस्था विद्यार्थियों का भविष्य एवं स्वास्थ्य आदि सब बिगड़ जाएगा। इसलिए स्कूल कॉलेज सावधानी पूर्वक खुलना चाहिए उद्योग धंधे भी प्रारंभ होना चाहिए। वैक्सीन जब आएगी तब देखा जाएगा, उसका इंतजार नहीं करना चाहिए। परंतु उसका निर्माण शीघ्र अति शीघ्र होना चाहिए। राजनीति पार्टियों को इस महामारी को लेकर राजनीति नहीं करना चाहिए।

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