स्वयं को कभी छोटा और अकेला नहीं समझना चाहिए
दमोह। वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज ने कहा जीवन में तीन बातें हमेशा याद रखना चाहिए यथाशक्ति, यथासंभव, यथाशीघ्र। इन तीन बातों को ध्यान में रखकर किसी भी कार्य को सफल बनाया जा सकता है। इन तीन शक्तियों से असंभव कार्य भी संभव हो जाता है। जितनी पाचन शक्ति हो उतना ही भोजन करना यथाशक्ति भोजन कहलाता है। ज्यादा भोजन करने से अपच हो जाएगा और कम भोजन करने से पित्त कुपित हो जाए इसलिए यथाशक्ति भोजन ही उचित भोजन है।
आचार्य श्री ने कहा उतावली पूर्वक कोई कार्य नहीं करना चाहिए और आज के कार्य को कल के दिन के लिए नहीं छोड़ना चाहिए इसी का नाम यथाशीघ्र कहलाता है। संकल्प और साहस व्यक्ति को आसमान की ऊंचाई तक ले जाता है। आचार्य श्री ने कहा स्वयं को कभी छोटा और अकेला नहीं समझना चाहिए क्योंकि जब तुम जन्मे थे तब तुम्हारे साथ मां-बाप थे। मां-बाप चले गए तब तुम्हारे साथ भाई बहन थे। भाई बहन चले गए तब तुम्हारे साथ भगवान थे और आज भी हैं, इसलिए कोई व्यक्ति अकेला नहीं होता है। यदि आपकी धारणा है कि अकेला व्यक्ति क्या कर सकता है तो जैसे अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता है ऐसा कहा जाता है परंतु यह ध्यान रखना अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता लेकिन आंख जरूर हो सकता है। इसी प्रकार अकेला व्यक्ति पहाड़ भले ना तोड़ सके लेकिन पाप कर्म के पहाड़ जरूर पड़ सकता है और स्वयं परमात्मा बन सकता है। आचार्य श्री ने कहा छोटा इसलिए ना समझे कि वट वृक्ष का बीज बहुत छोटा होता है परंतु उचित भूमि पर बोने से विशाल वृक्ष बन जाता है, अग्नि की चिंगारी बहुत छोटी होती है परंतु बड़े-बड़े जंगलों को जलाकर राख कर देती है, चींटी बहुत छोटी होती है परंतु हाथी के भी प्राण ले लेती है।
आचार्य श्री ने कहा कोरोना वायरस बहुत छोटा सा है परंतु सारे विश्व में उसने अपना आतंक फैला रखा है उसकी शक्ति के सामने बड़े-बड़े वैज्ञानिक और यंत्र मंत्र तंत्र फेल है अब इंसान को सोचना चाहिए जब इतने छोटे वायरस इतने शक्तिशाली हो सकते हैं तो हम वायरस से कम नहीं है हम भी छोटे नहीं हैं बल्कि शक्ति का उद्घाटन कर ले तो भगवान के बराबर है। हम इस दुनिया की शक्ति से बड़े शक्तिशाली हैं और सबसे बड़े भाग्यशाली हैं।
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