श्री 1008 शांतिनाथ विधान का हुआ समापन
दमोह। वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज के संघ सानिध्य में श्री 1008 शांतिनाथ विधान का आयोजन कोरोना के विश्व व्यापी निवारण हेतु जैन धर्मशाला परिसर में किया गया। लगातार आठरह दिन तक चले 1008 शांतिनाथ महामंडल विधान के समापन पर विधि पूर्वक हवन पूजन किया गया। इस अवसर पर वैज्ञानिक संत आचार्य निर्भय सागर जी महाराज द्वारा रचित छहढाला अनुशीलन पुस्तक का विमोचन किया गया। विधान संपंन कराने वाले प्रतिष्ठाचार्य, ब्रह्मचारिणी दीदी, संगीताचार्य सहित अन्य सहयोगी एवं विधान में शामिल होने वाले श्रावकजनों को आचार्य श्री के सानिध्य में सम्मानित भी किया गया।
जैन धर्मशाला में रविवार सुबह आचार्यश्री निर्भयसागर महाराज संघ के सानिध्य में अभिषेक पूजन उपरांत सम्मान कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। इस अवसर पर आचार्य श्री ने कहा पूजा करने वाला पुजारी कहलाता है पूजा करते करते पूजन करने वाला एक दिन स्वयं पूज्य बन जाता है। जिनेंद्र देव की पूजा करने का अधिकार सिर्फ उन्हीं को दिया गया है जो मन वचन काया से शुद्ध हो, आचार विचार से श्रेष्ठ हो, प्रसन्न चित्त हो, दया सत्य क्षमा विवेक आदि गुणों से सहित और चतुर हो पूजा भक्त बन कर की जाती है अधिकारी बनकर नहीं। जो पूजा के बदले भगवान से सांसारिक विषय भोगों को मांगता है वह भक्त नहीं भिखारी है। उन्होंने 18 दिन तक निरंतर संगीत में विधान संपन्न कराया 18 दिन में कुल 30 परिवार ने विधान किया। प्रतिदिन दो परिवार मिलकर विधान करते थे क्योंकि सोशल डिस्टेंस का पालन हो सके और सभी लोग कोरोना महामारी से बच सकें इसलिए यह विधान 18 दिन तक किया गया।
प्रवचन उपरांत प्रतिष्ठा आचार्य पंडित सुरेश चंद जी शास्त्री जी एवं ब्रह्मचारिणी मानी दीदी का सम्मान किया गया। परम पूज्य वैज्ञानिक संत आचार्य निर्भय सागर जी महाराज द्वारा रचित छहढाला अनुशीलन पुस्तक का विमोचन किया गया। पुस्तक के विमोचन का सौभाग्य श्रीमान रविंद्र कुमार निहाल जी गांगरा परिवार को प्राप्त हुआ। उन्होंने विधान कर्ताओं को अपनी ओर से आचार्य श्री की यह कृति प्रदान की। विधानकर्ता श्री चक्रेश सराफ शाहपुर, राजेंद्र अटल जी, जितेंद्र गुड्डू भैया, श्रेयांश लहरी, नेमचंद बजाज, राजकुमार खजरी वाले, रवींद्र जी गांगरा, सौरभ खजरी, राजेश हिनौती, रजनी पालंदी, ब्रह्मचारी गोलू भैया, उत्तमचंद पालर, हुकुमचंद हाथना, नरेंद्र जैन हीरा शॉप, भूपेंद्र नायक, स्वतंत्र नैनधरा, अशोक बंडा, अशोक कपिल स्टोर, देवेंद्र लाट शॉप, सविता नायक, राकेश संदेश सिंघई, केसर पान वाले, रविकांत जैन, राजेंद्र पिपरिया, प्रेमचंद्र मुड़ेरी, अरविंद मुंशी, जितेंद्र जैन साहब ने विधान कराने का सौभाग्य प्राप्त किया।
हुकुम चंद नायक जी का सल्लेखना पूर्वक मरण-
श्री हुकुम चंद नायक जी का 85 वर्ष की उम्र में दिगम्बर जैन धर्मशाला में आचार्य निर्भय सागर जी महराज के मंगल सानिध्य मे सल्लेखना पूर्ण देवलोक गमन हुआ। आचार्य श्री ने उन्हें चारों प्रकार के आहार का त्याग करा कर समाधि पूर्वक मरण कराया। आचार्य श्री ने उन्हें अंतिम क्षणों में अपना मंगल उद्बोधन दिया।



0 Comments