गांधी जी ने देश की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान दिया
दमोह। आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज अपने शिष्यों के साथ जैन धर्मशाला में चातुर्मास संपन्न कर रहे हैं। 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर आचार्य श्री ने अहिंसा दिवस के रूप में मनाए जाने के उपलक्ष में कहा गांधी जी एक सामान्य परिवार में जन्मे थे परंतु उन्होंने देश की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अहिंसा धर्म के मार्ग पर चलकर देश को खून खराबे से बचाया और आजादी दिलाई, इसलिए हम साधु गण भी आज उन्हें स्मरण कर रहे हैं। आचार्य श्री ने कहा अहिंसा के बीज जिस की आत्मा में पनपेगे वह अपना कल्याण करने के साथ साथ पर का भी कल्याण कर सकता है। मानव जीवन एक खेत है, विचार उसके बीज है। जिस के विचार करुणा, दया, परोपकार के होंगे उसके अंदर अहिंसा का वृक्ष पल्लवित होगा और उसमें सुख शांति के फल लगेंगे। अहिंसा आत्मा का विषय है, विचार मन का विषय है और भौतिकता शरीर का विषय है। जैन संस्कृति और जैन सिद्धांत आत्मा पर आधारित है। आत्मा के विचारों से जुड़ा है जैन सिद्धांत। जबकि पाश्चात्य संस्कृति और भौतिक विज्ञान शरीर पर आधारित है। हित अहित का विवेक मन से उत्पन्न होता है। अहिंसा की महिमा इतनी गाई गई है कि शब्द, स्याही और पन्ने कम पड़ गए हैं। अहिंसा जिस दिन समाप्त हो जाएगी उस दिन दुनिया ही समाप्त हो जाएगी।
आचार्य श्री ने कहा जीवो जीवश्य भोजनं यह सिद्धांत पाश्चात्य संस्कृति वालों का है ऐसे लोग दूसरों को मारकर खाना चाहते है। यह सिद्धांत हमारी भारतीय संस्कृति का नहीं है। जैन इतिहास एवं संस्कृति में तो जीवो जीवश्य रक्षणम अर्थात जीव जीव का रक्षक है भक्षक नहीं। भगवान महावीर स्वामी ने कहा परस्पर उपग्रहों जीवानाम अर्थात एक जीव दूसरे जीव का उपकारी है आपकारी नहीं। जहां अहिंसा है वहां धर्म है। अहिंसा के बिना धर्म मुर्दे के समान है। हमारी भारतीय संस्कृति में वसुधा एवं कुटुंबकम का सूत्र हमारे महापुरुषों ने दिया है। लेकिन आज के वैज्ञानिकों ने मोबाइल एव कुटुंबकम यह सूत्र बना दिया है। सारी दुनिया उस मोबाइल में समा गई है। परिवार समाज एवं देश को इस मोबाइल ने पृथक कर दिया है। टीवी और मोबाइल ने व्यक्ति को अकेला बना दिया है। आपसी प्रेम व्यवहार के रिश्तो को पोटरी मैं बांधकर खूंटी पर टांग दिया है। अब हर व्यक्ति का बैंक, घर, रिश्तेदार, ऑफिस, टीचर, परिवार एवं समाज मात्र एक मोबाइल बन गया है। घर में लोग एक साथ रहते हुए भी अलग-अलग होकर मोबाइल के साथ रहने लगे हैं घर के लोग घर वालों का साथ नहीं देते, सिर्फ फोन का साथ देते और उसी से जुड़े रहते हैं, ऐसी स्थिति में अब न परिवार जुड़ सकता है और ना देश जुड़ सकता है। यह मोबाइल देश परिवार और समाज को टुकड़ों टुकड़ों में बांट देगा।
आचार्य श्री ने कहा आज के वैज्ञानिकों ने और नेताओं ने इस देश को स्मार्ट इंडिया, डिजिटल इंडिया और मोबाइल इंडिया बना दिया है। मोबाइल का अर्थ होता है हस्त चलित यंत्र, जिसे कहीं भी ले जाया जा सकें। कहीं ऐसा ना हो की हमारे इस देश को कोई अपने देश में धड़का कर ना ले जाएं। दिल्ली की विधानसभा में जो आतंकियों ने हमला किया था उसमें मूल सहयोगी टीवी और मोबाइल ही बना था। आचार्य श्री ने कहा जैसे पहले कोई गलत फिल्म आती थी तो उसमें लिखा होता था कि केवल वयस्कों के लिए वैसे ही आज बच्चों को मोबाइल देते हैं तो उसमें जो काम वर्धक ऐप हैं उन्हें हटा देना चाहिए और उस पर लिखना चाहिए केवल बच्चों के लिए क्योंकि बच्चे मोबाइल का सदुपयोग काम कर रहे हैं और दुरुपयोग ज्यादा कर रहे हैं। आचार्य श्री ने कहा सतयुग में जहां अहिंसा सूर्य की तरह देदीप्य मान थी और हिंसा दीपक की तरह टिमटिमाती थी वही आज कलयुग में हिंसा सूरज की तरह और अहिंसा दीपक की तरह रह गई है। जब अहिंसा समाप्त हो जाएगी तब दुनिया ही समाप्त हो जाएगी इसलिए अहिंसा के पथ पर चलना चाहिए। गांधी जयंती पर शाम को बच्चों के द्वारा काव्य पाठ किया गया एवं प्रश्नोत्तरी की गई। चतुर्मास समिति द्वारा बच्चों को पुरस्कार दिए गए। कुल 10 बच्चों ने भाग लिया।


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