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पारसनाथ दिंगबर जैन नन्हें मंदिरजी में भगवान महावीर निर्वाण अवसर पर.. आचार्यश्री निर्भयसागर जी महाराज के सानिध्य में लाड़ू चढ़ाया गया.. आज मंदिरजी पर चढ़ाई जाएगी 24 ध्वजाए ..

 लोक व्यवहार की क्रियाएं लक्ष्मी प्राप्ति के टोने है..

दमोह। पारसनाथ दिंगबर जैन नन्हें मंदिरजी में भगवान महावीर निर्वाण अवसर पर आचार्य श्री निर्भयसागर जी महाराज के सानिध्य में लाड़ू चढ़ाया गया आज मंदिरजी पर 24 ध्वजाए चढ़ाई जाएगी ।  महावीर निर्वाण अवसर पर शांति धारा करने का सौभाग्य श्रीमती शीला रानी पुत्र श्री राजू नायक शैलेंद्र नायक एवं देवेंद्र कुमार लाट शॉप परिवार को प्राप्त हुआ। 

 श्रीजी के अभिषेक करने का सौभाग्य सौधर्म इंद्र बनकर गिरीश नायक, ईशानइंद्र संतु नायक, सनत कुमार इंद्र आशीष अंकित खजरी, महिंद्र इंद्र देवेंद्र लाट शॉप बालों को प्राप्त हुआ। निर्माण लाडू  चढ़ाने का सौभाग्य सनत बजाज/ सजंय बजाज परिवार को प्राप्त हुआ।

वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज ने दीपावली पूजन एवं निर्वाण लाडू के पूर्व उपदेश देते हुए कहा कि लक्ष्मी प्राप्ति के लिए व्यक्ति अनेक तरह की पाप क्रियाएं करते हैं ,टोना टोटका करते है, लेकिन लक्ष्मी की प्राप्ति पुण्य और पुरुषार्थ से होती है मात्र टोना टोटका से नहीं । जब पुण्य  साथ देता है तो टोना टोटका अपना काम करने लगते हैं और देवी देवता, राजा मंत्री, नौकर चाकर आदि सभी साथ देने लगते हैं। इसलिए सर्वप्रथम दान पूजा आदि धर्म कार्य कर के पुण्य का संचय करना चाहिए। उसके बाद अर्थ और काम पुरुषार्थ करना चाहिए। 


जिसे आप टोना टोटका कहते हैं वही एक प्रकार की सभ्यता एवं व्यवहार कुशलता का कार्य है। जैसे झाड़ू को खुले में नहीं रखना ,उल्टी नहीं रखना, स्नान के पूर्व झाड़ू पोछा करना, परोसी हुई थाली ठुकरा कर नहीं जाना, शाम को घर में तेल का दीपक जलाकर आरती करना, अपनी पत्नी को प्रतिदिन कुछ पैसा रखने के लिए देना। दान देने वाली वस्तु पूरी नहीं देना , क्योंकि दान कुछ अंश का किया जाता है । त्याग पूरी वस्तु का किया जाता है, इसलिए दान देने वाली वस्तु को कुछ शेष बचा कर रखना चाहिए । 

घर में दरवाजे के ऊपर घड़ी नहीं टांगना । लाल कपड़े में सरसों चांदी का सिक्का हल्दी सुपारी इत्यादि बांधकर तिजोरी रखना, दरवाजे के आजू-बाजू स्वस्तिक बनाना। यह सब क्रियाएं टोना टोटका की कहलाती है । इनको करने से  धन की प्राप्ति होती है , घर में शांति और समृद्धि बनी रहती है , विवेक बुद्धि काम करती रहती है जिससे व्यापार आदि अच्छा चलता है। व्यापार अच्छा चलने से धन संग्रह होगा ही इसलिए यह जो टोना टोटका के नाम से किए जाने वाले कार्य को मैंने बताया है वह करना चाहिए।
’बेटी अच्छी या बहु अच्छी’..आचार्य श्री ने कहा बेटी तब तक अच्छी होती है जब तक शादी नहीं हुई है और बहु तब तक अच्छी है जब तक न्यारी नहीं हुई है । बहु जिंदगी भर साथ देती है। पति नंद देवरानी जेठानी सास ससुर एवं चाचा ससुर आदि सभी के लिए आनंद देती है। वह सभी के लिए प्रिय होती है। इसलिए बेटी से बहु अच्छी होती है।

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