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’सावधान क्या आप फटाका चलाते हैं’.. पटाखे ना जलाने से 50 करोड़ लोगों को मिलेगा फायदा’ वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भयसागर.. आज चढ़ाया जाएगा निर्वाण लाड़ू व चातुर्मास समापन की क्रिया..

पटाखे ना जलाने से 50 करोड़ लोगों को मिलेगा फायदा

दमोह। वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी ने बतलाया कि ऑल इंडिया फायरवर्क्स एसोसिएशन के अनुसार लगभग 1070 पटाखा बनाने वाली रजिस्टर्ड कंपनियां है शिवाकाशी में है। जो 80ः पटाखे बनाती हैं। शेष20ः पटाखे चीन से आते हैं । भारत देश में एक वर्ष में पटाखे का 6000 करोड़ रुपए का व्यापार होता है । लगभग 30 लाख लोग इस व्यापार से जुड़े हुए हैं। तमिलनाडु कि मुख्यमंत्री चाहते हैं कि पटाखे के व्यापार पर प्रतिबंध ना लगाया जाए क्योंकि पटाखों से 3 लाख लोगों का रोजगार मिल  रहा है। लेकिन मैं निर्भय सागर कहता हूं कि पटाखे पर प्रतिबंध लगाने से 50 करोड़ जनता का लाभ मिलेगा और 6000 अरब रुपए का फायदा होगा ।क्योंकि पटाखे से स्वास्थ्य की हानि होती है ।कई लोग मर जाते हैं। कई लोग घायल हो जाते हैं। कई लोग बीमार पड़ जाते हैं। कुल मिलाकर पटाखे से लाभ 0ःहै, हानि 100 परसेंटः है। इसीलिए पटाखा बनाने और फोड़ने पर सरकार को पूर्णता प्रतिबंध लगना चाहिए। 

’फटाके मैं मिलाए जाने वाले घातक पदार्थ’..काउंसलिंग ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च सेंटर के अनुसार चीन मैं बनाए जाने वाले पटाखे में  पोटेशियम क्लोरेट एवं पैराक्लोरेट इन दोनों रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है यह रसायन पर्यावरण और सेहत के लिए बहुत अधिक घातक है । जबकि भारत में बनाए जाने वाले पटाखों में पोटेशियम नाइट्रेट और एल्यूमीनियम का पाउडर होता है । जो चीन में बनाए जाने वाले पटाखों के रसायन से 30ः महंगा होता है इसी कारण भारत के पटाखे चीन से अधिक महंगा होते हैं । राजस्व खुफिया निदेशालय अर्थात डी आर के अनुसार पटाखों में प्रतिबंधित पदार्थ लाल सीसी कॉपर ऑक्साइड और लिथियम का इस्तेमाल किया जा रहा है इन रसायनों से आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कत होती है।

’पटाखा फोड़ना धर्म के विरुद्ध है’..फटाका चलाना कोई धार्मिक अनुष्ठान नहीं है। पटाखे का धर्म से कोई संबंध नहीं है । धर्म के नाम पर फटाका फोड़ना एक व्यापारी चाल है अंधविश्वास है मूर्खता और अंधविश्वास है। देश को बर्बाद करने की एक कूटनीति है । यदि पटाखे ना चलाए जाएं तो आतंकवादियों को आरडीएक्स मिलना बंद हो जाएगा। क्योंकि पटाखा बनाने वाली कंपनियां आतंकवादियों को यह आरडीएक्स सहजता से उपलब्ध करा देती है ।क्योंकि उन्हें आतंकवादियों सेअधिक पैसा मिलता है । पटाखे बनाने वाली कंपनियों को पटाखे के नाम से आरडीएक्स का लाइसेंस उनके पास होता है । यदि पटाखा बनाना बंद कर दिया जाए आतंकवाद के नाम जितना खर्च हो रहा है और आतंकवादी घटनाओं से जितना देश बर्बाद हो रहा है उससे बहुत कुछ बचा जा सकता है। और पटाखों के माध्यम से बर्बाद होने वाला आर डी एक्स देश में इतना बच जाएगा कि पाकिस्तान और चीन से भारत  गोला बारूद से 2 माह तक युद्ध लड़ सकता है। ’अहिंसक दीपावली मनाएं घर में खुशहाली लाएं’ दीपावली पर्वअज्ञान अंधकार को भगाने के लिए मनाया जाता है। दीपावली आत्मज्ञान योग ध्यान करने वाले लोगों से कृषक और व्यापारी से जुड़ा हुआ पर्व है

चतुर्मास समापन एवं चढ़ाया जाएगा निर्माण लाडू’..वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज के चातुर्मास का कल समापन महोत्सव होगा । चातुर्मास समापन पर आचार्य श्री के द्वारा प्रातः 5  बजे से विशेष मंत्र आराधना एवं भक्ति पाठ किया जाएगा। जिन्होंने कलश स्थापना की थी उन श्रावक श्रेष्ठ का सम्मान 8 बजे किया जाएगा। चातुर्मास समापन क्रिया के पूर्व भगवान महावीर स्वामी के मोक्ष कल्याणक कल्याण की पूजा एवं निर्वाण लाडू प्रातः 8.15 बजे चढ़ाया जाएगा । मंदिर जी के ऊपर 24 ध्वजा 9 बजे चढ़ाई जाएंगी जाएंगी। भगवान महावीर स्वामी के मोक्ष कल्याणक पर सोधर्मेंद्र बनने का सौभाग्य नन्हे मंदिर के अध्यक्ष गिरीश नायक को प्राप्त हुआ । प्रथम ध्वजा चढ़ाने का सौभाग्य श्री राजेश कुमार जैन बंटी हिनौती वालों को प्राप्त हुआ। 

 आचार्य श्री ने कहा दीपावली की चैदस एवं पर्यूषण पर्व की अनंत 14 दस का उपवास करने से पूरे साल भर के व्रत उपवास करने का फल मिलता है ,मनोकामना पूर्ण होती है । आचार्य श्री ने कहा दीपावली पर मिट्टी के दीए ही जलाय जाते हैं। क्योंकि यह शरीर मिट्टी का घर है मिट्टी का दिया है 1 दिन मिट्टी में मिलना है । इसे माटी का पुतला कहते हैं । फिर भी इस शरीर से तपस्या करके ज्ञान की ज्योति जलाई जा सकती है और भगवान की भक्ति आराधना करके परमात्मा बना जा सकता है ।यह शरीर आत्मा निकल जाने के बाद सोने चांदी की तरह तिजोरी में रखने लायक नहीं है । सोने चांदी का दिया आदमी रख लेता है। लेकिन दीपावली पर मिट्टी का दिया जलाने के बाद इसीलिए फेंक दिया जाता है ।

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