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दीपावली ज्ञान, स्वच्छता, सौंदर्य सौभाग्य, लक्ष्मी और मुक्ति का पर्व है, सोई हुई आत्मा को जगाने का, ज्ञान दीप जलाने का पर्व है.. धनकुबेर बनना है तो पुरुषार्थ करें- आचार्य श्री निर्भय सागर’

 धनकुबेर बनना है तो पुरुषार्थ करें- आचार्य निर्भय सागर’

 दमोह। वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज ने धनतेरस की पूर्व बेला में धर्म सभा में कहा धन तेरस जैन धर्म के अनुसार भी मान्य है । भगवान महावीर स्वामी ने 30 वर्ष तक जैन धर्म का प्रचार किया । दिन में 4 बार उपदेश दिया । प्रत्येक उपदेश 2 घंटे 24 मिनट तक किया । तीर्थंकर भगवान के उपदेश की सभा को कुबेर तैयार करता है । उपदेश देने की सभा को समवसरण कहते हैं । कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन कुबेर ने भगवान महावीर स्वामी के लिए समवशरण की अंतिम रचना की और भगवान का प्रातकाल अंतिम उपदेश हुआ था । उस सभा में धन कुबेर ने सर्वाधिक रत्न आदि धन लुटाया और भगवान ने उपदेश के माध्यम से ज्ञान लक्ष्मी की वर्षा की थी । जो उस सभा में पहुंचे वे सब मालामाल हो गए ।जिन्हें भगवान के दर्शन हो गए वे धन्य धन्य हो गए इसलिए यह धनतेरस  कहलाने लगी । जिन्होंने धन को पाया उनके लिए धन्य तेरस कहलाने लगी। तभी से यह धनतेरस मनाई जाती है। धनतेरस के दिन जैन धर्म अनुयाई प्रातः काल महावीर भगवान की पूजा अभिषेक एवं आरती मंदिर जी में करते हैं ।

 आचार्य श्री ने कहा भगवान के समोसरण में सभी भक्तों ने मनचाहा धन बटोरा, कुबेर इंद्र ने भी खूब धन लुटाया, लोगों ने कल्पवृक्षों से भी मनोकामना पूर्ण की और मनचाहा सामान प्राप्त किया। इसी कारण यह धनतेरस सभी को भाने लगी । भगवान महावीर स्वामी धन कुबेर के बनाए गए समोशरण को छोड़कर पावापुरी के पद में तालाब के ऊपर चार अंगुल अंतरिक्ष में पद्मासन लगाकर आत्मलीन हो गए उसके 2 दिन बाद कार्तिक कृष्ण अमावस्या की रात को भगवान महावीर स्वामी मोक्ष चले गए ।तब से धन कुबेर आज तक नहीं आया ।आज से 42000 वर्ष बाद जब प्रथम तीर्थंकर होंगे तब फिर से धन कुबेर इस धरती पर आएगा ।लगातार 15 मई तक धन की वर्षा करेगा और प्रतिदिन भगवान के उपदेश के समय भी रत्नों की वर्षा करेगा। यदि इस कलयुग में आप धनकुबेर बनना चाहते हो तो ईमानदारी से अर्थ पुरुषार्थ करें, फिजूल खर्च से बचें और अच्छा व्यवहार करें ।आचार्य श्री ने कहा घी के दीपक जलाने एवं हवन करने से एटमीक रेडिएशन होता है ।जिससे वायुमंडल शुद्ध होता है । वायरस बैक्टीरिया जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है उनका पलायन होता है। यही कारण है कि मंदिरों में घी के दिए जलाए जाते हैं ।

आचार्य श्री ने कहा रेडियोएक्टिव पदार्थ जैसे यूरेनियम है उससे रेडिएशन होता है। उससे अल्फा बीटा गामा किरणों के रूप में  होता है लेकिन वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ।मोबाइल की किरणों एवं एक्स-रे की किरणों से रेडिएशन होता है । उसकेअधिक प्रयोग करने से कैंसर एवं हृदय रोग होने की संभावना बढ़ जाती है । इसीलिए साल में एक या दो बार ही एक्स-रे कराना चाहिए। मोबाइल को अपने पास नहीं रखना चाहिए । ऊपर की जेब में ह्रदय के पास मोबाइल नहीं रखना चाहिए। सोनोग्राफी भी अधिक नहीं कराना चाहिए क्योंकि अल्ट्रासाउंड वाली रे भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है लेकिन एक्स-रे की अपेक्षा से सोनोग्राफी कम हानिकारक है।

आचार्य श्री ने कहा दीपावली ज्ञान, स्वच्छता, सौंदर्य सौभाग्य, लक्ष्मी और मुक्ति का पर्व है, सोई हुई आत्मा को जगाने का, ज्ञान दीप जलाने का, अपने विचारों को पवित्र करने का प्रेम, वात्सल्य, अपनत्व ,एकता और शांति का पर्व है । दीपावली हर वर्ष कार्तिक कृष्णा अमावस्या को आकर द्वार खटखटा आती है , लोगों को जगाती है। लोग जाग जाते हैं ,सफाई करते हैं आपस में मिलते हैं ,प्रकाश फैलाते हैं, लेकिन दूसरे दिन से ही चादर ओढ़ के सो जाते हैं। पंक्तिबद्ध दीप मालिका जलाने का उद्देश्य  है कि हम एक दूसरे से संबंध बनाकर रखें ,स्वाबलंबी जीवन जिए, पुरुषार्थसील बने और जैसे दीपक अंधेरी रात में प्रकाश फैलाने के लिए संघर्ष करता है वैसे ही हम अपने जीवन को प्रकाशित करने के लिए संघर्ष करें। जैसे एक दीपक हजारों को जला देता है वैसे ही हम भी एक दूसरे के अंदर प्रकाश फैलाएं ,ज्ञान की ज्योति जलाए यही वास्तविक दीपावली है । पटाखा फोड़ कर मौज मस्ती करते हुए दीपावली मनाना हानिकारक होती है ,कभी लाभकारी और सार्थक नहीं हो सकती है।

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