सिविल सोसायटी की टीम ने 50 बच्चों को रेडियों भेट किए
दमोह। आधुनिकता की चमक दमक से कोसों दूर बटियागढ़ तहसील के सादपुर गांव में शासन द्वारा आदिवासियों को लाभान्वित करने के लिए बनाई गई योजनाओं की कलई खुलती देखी जा सकती है। यहां तक कि शिक्षा, चिकित्सा, आवास, शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं से भी गांव के जरूरतमंद अभावग्रस्त बने हुए है। आदिवासियों के पास सर छुपाने को खुद का बनाया एक छोटा सा आशियाना है।
रविवार को सादपुर गांव पहुची सिविल सोसाइटी की टीम ने गांव के पिछड़ेपन के हालात को नजदीक से देखा तथा पचास स्कूली बच्चों के लिए पढ़ाई में मददगार साबित हो रहे रेडियो प्रदान किए। इस मौके पर सिविल सोसायटी की तरफ से अजित उज्जैनकर, धर्मेन्द्र बेबाक राय, सुरेंद्र राय, अंकुश टिंकी श्रीवास्तव के साथ राजकमल डेविल लाल की खास मौजूदगी रही।
सादपुर गांव में आशियाने के नाम पर सिर्फ लकड़ी और मिट्टी की खुद की बनाई हुई दीवारें और कभी भी गिर सकने वाली लकड़ी की छत जिसे कम से कम घर तो नहीं कहा जा सकता, ऐसे ठिकानों में पल रही है कई आदिवासी जिंदगियां।
ऐसे में सवाल उठता है कि जब शासकीय रिकार्ड में सभी योजनाए संचालित है तो गांव के इन हालातों के लिए जिम्मेदार कौन है?



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