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आचार्यश्री निर्भय सागर के सानिध्य में अहिंसक दिवाली मनाओ, फटाका मत चलाओ रैली निकाली गई.. आचार्य श्री द्वारा रचित सप्त व्यसन के परिणाम ग्रंथ का विमोचन.. परीक्षा देने वालो को सम्मानित किया..

 अहिंसक दिवाली मनाओ, फटाका मत चलाओ रैली.. 

दमोह। परम पूज्य वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में अहिंसक दिवाली मनाओ, फटाका मत चलाओ ,इस उद्देश्य को लेकर एक रैली निकाली गई। रैली में पाठशाला के बच्चों ने हाथ में तख्ती ले रखी थी। बैनर पोस्टर में शिक्षाप्रद कोटेशन लिखे हुए थे। बच्चे नारा लगा रहे थे कि शर्म करो शर्म करो फटाका चलाना बंद करो। खुशहाली की दिवाली मनाओ पटाखे मत चलाओ।

 जैन धर्मशाला में आचार्य श्री निर्भयसागर महाराज द्वारा रचित सप्त व्यसन के परिणाम ग्रंथ का विमोचन किया गया। विमोचन करने का सौभाग्य नेमचंद, पदम चंद, विनय कुमार बजाज परिवार को प्राप्त हुआ। उन्होंने अपनी स्वर्गीय माता श्री महारानी बजाज एवं स्वर्गीय पिताश्री गुलजारी लाल जी की स्मृति में 12 वर्षीय जैन धर्म की परीक्षा उत्तीर्ण करने वालों को सम्मान में इस ग्रंथ को भेंट किया।

 रैली के साथ आचार्य श्री प्रातः काल सर्व प्रथम मलैया मिल स्थित जैन मंदिर एवं सागर नाका स्थित जैन मंदिर के दर्शन करने पहुंचे। तदुपरांत स्टेशन के पास दिगंबर जैन कांच मंदिर से समाज श्रेष्ठी नेमचंद बजाज, गिरीश नायक, राजेश बंटी, मनीष बजाज, चक्रेश सराफ ,नरेंद्र जी खजरी वाले पाठशाला की संचालिका श्रीमती राज कुमारी, स्मृति जैन, बालिका मंडलइत्यादि एवं समस्त पाठशाला के बच्चों के साथ विशाल रैली मैं थे।


 रैली घंटाघर होते हुए नन्हे मंदिर स्थित जैन धर्मशाला पहुंची। वहां धर्म सभा की गई। समस्त बच्चों को एवं रैली में उपस्थित कार्यकर्ताओं को अनिल फोटों वालों की ओर से चाय नाश्ता दिया गया । कोरोना को देखते हुए सोशल डिस्टेंस मास्क का ध्यान एवं भीड़ पर कंट्रोल रखा गया। 
आचार्य श्री के ससंघ सानिध्य में 12 वर्षीय जैन धर्म की परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों का परिणाम घोषित किया गया एवं उन्हें प्रमाण पत्र के साथ पुरस्कार भी दिया। परीक्षार्थियों को सिद्धांत प्रभाकर की डिग्री प्रदान की गई। परीक्षा प्रभारी श्री संतोष कुमार जैन शिक्षक बनवार वाले एवं परीक्षा संयोजक प्राचार्य अनिल कुमार ने सभी को प्रमाण पत्र प्रदान किए। 

आचार्य श्री ने कहा पटाखों से अरबों खरबों रुपए की बर्बादी होती है । पटाखों से गर्भस्थ शिशु एवं छोटे बच्चों के कान के पर्दे,आंखों की रोशनी फेफड़े खराब होती हैं । असंख्य जीवो की है हिंसा होती है। गणेश जी लक्ष्मी जी आदि के फोटो फटाको में लगी रहती है उन आराध्य देवी देवताओं का अपमान अनादर होता है। पैरों तले उन्हें कुचला जाता है इसलिए पटाखे नहीं चलाना चाहिए। आचार्य श्री ने कहा फटाका चलाना ईश्वर की वाणी का अपमान करना है क्योंकि किसी भी ईश्वर ने हिंसा करने को धर्म नहीं कहा। जबकि पटाखा चलाने से हिंसा  होती है । फटाका चलाना संपत्ति में आग लगाना है। किसी बच्चे को एक हजार का नोट देकर कहें कि इसमें आग लगाओ तो वह नहीं लगाएगा । लेकिन एक हजार के पटाखे में आग लगा देता है। बदले में गंदगी का साम्राज्य चारों तरफ फैल जाता है, वायुमंडल प्रदूषित हो जाता है, पटाखा बनाने वालों की जिंदगी दुर्घटनाओं के कारण से समाप्त हो जाती है ,ध्वनि जल वायु एवं मिट्टी प्रदूषण फैलता है इसलिए फटाका नहीं चलाना चाहिए

 बम विस्फोट करने वालों को आतंकवादी कहते हैं ,क्योंकि उससे जनधन हानि होती है लेकिन पटाखा चलाने से क्या जन धन हानि नहीं होती है ,क्या आतंकवाद नहीं फैलता है। यदि हां ,तो सरकार को चाहिए कि फटाका बनाने वाली फैक्ट्रियों को बंद कर दे। पटाखा बनाने के लिए जिस आर डी एक्स की जरूरत होती है उसके लिए सरकार लाइसेंस देती है ।पटाखा बनाने वाली कंपनी उस आरडीएक्स को आतंकवादियों के लिए भी अधिक पैसे में लोग लालच के कारण बेच देते है। यदि पटाखा बंद कर दिया जाए तो आतंकवादी को विस्फोटक सामग्री मिलना दुर्लभ हो जाएगी और आतंकवाद पर कंट्रोल करना सुलभ हो जाएगा ।

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