वैज्ञानिक संत निर्भयसागर जी महाराज की कुम्हारी भव्य आगवानी..
दमोह। वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज संघ सहित कुम्हारी ग्राम में कटनी रोड पर विराजमान है 5 मार्च को प्रवचन एवं आहार चर्या कुम्हारी में होगी। 3 बजे रेपुरा ग्राम के लिए मंगल विहार होगा 6 मार्च को रेपुरा में आचार्य संघ का आहार होगा।
जैन स्कूल कुम्हारी में आचार्य श्री ने मंगल प्रवचन देते हुए कहा जीवन का लक्ष्य मानव से महामानव बनने का इंसान से भगवान बनने का होना चाहिए। बाधाओं से डरना नहीं, आपस में लड़ना नहीं गलत कार्य करना नहीं, दूसरों के उपकार को भूलना नहीं यही मानवता की निशानी है। जिसको देखा नहीं अथवा जिसका ज्ञान प्राप्त नहीं किया उसका ध्यान नहीं किया जा सकता है। ध्यान के लिए ज्ञान जरूरी है। ज्ञान के लिए अध्ययन जरूरी है। अध्ययन के लिए गुरु का मार्गदर्शन जरूरी है। गुरु के बिना जीवन अधूरा है कार्य में सफलता प्राप्त करना दूभर है। इस पंचम काल में गुरु का महत्व प्रभु के समान है। आचार्य श्री ने कहा यंत्र मंत्र तंत्र सब करना लेकिन षड्यंत्र मत रचना। राजतंत्र में या लोकतंत्र में षड्यंत्र सबसे ज्यादा घातक होता है।
आचार्य श्री ने कहा जैसे कागज का टुकड़ा धन बन सकता है यदि गवर्नर के सिग्नेचर और सील लगी हो तो वैसे ही पाषाण का टुकड़ा भी परमात्मा बन सकता है यदि मुनि के द्वारा सूर्य मंत्र दिया गया हो तो। जैसे राम की खड़ाऊ भारत की दृष्टि में सिंहासन पर रखने पर राजा श्रीरामचंद्र जी थे भले ही किसी अन्य की दृष्टि में वे चप्पल हो सकती हैं वैसे ही पाषाण की प्रतिमा सम्यक दृष्टि ज्ञानियों की दृष्टि में परमात्मा का रूप है। श्रद्धा की दृष्टि से देखने पर पाषाण भी परमात्मा दिखता है और परमात्मा भी पाषाण दिखता है अश्रद्धा की दृष्टि से देखने पर। गुरु तो बहुत मिल जाएंगे लेकिन सद्गुरु बड़ी दुर्लभता से मिलते हैं। कल्याण सद्गुरु के मिलने पर होता है। जीवन के पल भर का भरोसा नहीं है इसलिए हर पल का सदुपयोग करना चाहिए। अपना पेट भरने के पूर्व साधु और परिवार के पेट भरने के बाद भी ध्यान में आना चाहिए।
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