आचार्य श्री विद्यासागर जी के दर्शन कर आशीर्वाद
जबलपुर/ दमोह। कुंडलपुर में आगामी 2022 फरवरी माह में संभावित पंचकल्याणक महोत्सव की रूपरेखा एवं तैयारियों को लेकर कुंडलपुर क्षेत्र कमेटी ने जबलपुर पहुंचकर आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के दर्शन कर आशीर्वाद ग्रहण किया। इसके पश्चात देश के प्रसिद्ध दानवीर भामाशाह अशोक जी पाटनी राजा भाई सूरत प्रभात जी मुंबई एवं एचडीएफसी बैंक के प्रमुख प्रशांत जी एवं संयोजक संदेश जैन के साथ बैठक कर विचार विमर्श किया। बैठक में होने वाले महोत्सव के लिए कोरोना के प्रभाव को देखते हुए कार्य योजना बनाने का निर्णय लिया गया। कोरोना होने की स्थिति में कार्यक्रम को आगे के लिए टाला भी जा सकता है देश और दुनिया से आने वाले हजारों भक्त जनों के लिए व्यापक व्यवस्थाएं जुटाने एवं उनके सुचारू संचालन हेतु शीघ्र ही समितियों का गठन किया जाएगा। शासन से महोत्सव में हर संभव मदद दिए जाने का भी प्रस्ताव रखा गया।
बैठक में कुंडलपुर क्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष संतोष सिंघई, उपाध्यक्ष देवेंद्र सेठ, कमलेश चौधरी, वीरेंद्र बजाज, अभय बनगांव, महामंत्री नवीन निराला, कोषाध्यक्ष चंद्र कुमार, मंत्री नेम कुमार सराफ, श्रेयांश लहरी, संगठन मंत्री अरविंद इटोरिया, धार्मिक मंत्री शैलेंद्र मयूर, प्रचार मंत्री सुनील वेजीटेरियन, राजेश चौधरी, राजेंद्र भेड़ा, महेश दिगंबर, आनंद बीएसएनएल, नरेंद्र बजाज पटेरा, संदीप अभाना, सुनील जबेरा, उमेश नोहटा, डॉ.सावन सिंघई, इंजीनियर गौरव जैन, संजीव शाकाहारी, श्रेयांश फट्टा आदि की उपस्थिति रहीं।
हटा में दशलक्षण पर्व पर उत्तम शौच धर्म पर आर्यिका रत्न श्री गुणमति माता जी के मंगल प्रवचन. 8 वर्षीय बालक ने तत्वार्थ सूत्र के 10 अध्याय, 357 सूत्र कंठस्थ सुनायें..
हटा, दमोह। दुनिया में यदि इंसानियत का कोई मंदिर है तो वह घर होता है, उस मंदिर के भगवान माता पिता एवं उपासक उनका बेटा होता है, जिन्दगी ऊपर उठने से पहले उनकी सेवा करके सौभाग्य प्राप्त कर लो, इनकी सेवा से ही बेटा ऊपर उठता है अन्यथा उसके रसातल में जाने से कोई नहीं रोक सकता, मैं तो प्रतिदिन भगवान से प्रार्थना करती हुं कि भले ही इस धरती पर भगवान महावीर, राम, कृष्ण पुनः अवतरित न हो लेकिन श्रवण कुमार जैसा पुत्र हर घर में पैदा हो, यह बात आर्यिका रत्न श्री गुणमति माता जी ने श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन बडा मंदिर में दशलक्षण धर्म पर्व पर उत्तम शौच धर्म पर अपने मंगल प्रवचन में कही।
उन्होने कहा कि राम लक्ष्मण जैसे पुत्र जिन्होने अपने पिता की कीर्ति में चार चांद लगा दिया, पिता का प्रण न टूटे तो बिना सकोच के १४ वर्ष वनवास के लिए चले गये, भीष्म जैसा पुत्र जिसने अपने पिता के सुख के लिए आजीवन ब्रम्हचर्य व्रत को धारण किया, लेकिन वर्तमान में तो आये दिन अखबार में यही पढने आ रहा है कि पुत्र के द्वारा पिता के साथ मारपीट की जा रही, पुत्र कुल को कलंकित कर रहा है, बेटा माता पिता के ऐसे उपहार होते है जिनकी जरा सी आहट में उनकी आंख खुल जाती है, मां के प्राण तो पुत्र की सांसो में अटके होते है, दुनिया में यदि सबसे सुन्दर कोई चीज होती है तो वह मां होती है, कभी भी अपने माता पिता का तिरस्कार नहीं करना, घर में उनके मुखिया होने का अधिकार मत छीनना, हमें यह बताना चाहिए कि हम अपने माता पिता के पास रहते है न कि माता पिता हमारे पास रहते है।
आर्यिका श्री ने कहा कि न जाने यह कैसी रीत चल पडी कि जब तक माता पिता जिन्दा रहते उनकी कद्र नहीं करते, लेकिन जब वे दुनिया छोडकर जाते है तो समाज के सामने उनके नाम से आंसू बहाते है, उन्हे तो कभी हंस कर भोजन नहीं कराते लेकिन उनके जाते ही समाज को भोज कराते, जब तक जिन्दा रहते उनके चरणों में एक फूल नहीं चढाते लेकिन उनके फूल विसर्जन करने दूर दूर तक जाते है, पहले सुनने में आता था कि बच्चे अनाथ हो गये लेकिन वर्तमान में तो माता पिता अनाथ हो रहे है, एक बाप चार बेटा का भरण पोषण कर रहा लेकिन चार बेटा मिलकर एक पिता की देखभाल नहीं कर पा रहा है, आर्यिका श्री ने कहा कि आज पवित्र और पावन होने का धर्म है, अपने मां पिता से कभी गैर जिम्मेदारना व्यवहार मत करना, क्योकि तुम्हारे शरीर का एक एक कतरा, खून की एक एक बूंद उनके उपकारों से उपकृत है, नई पीढी को उनका कर्तव्य बोध करा रही हुं कि मां के दूध, मां के तन पर जो गंदगी फैलाई, मां को जो रात रात जागने विवश किया, नौ माह तक गर्भ में रखा उसका बिल चुकता करने की औकात किसी की नहीं है।
पर्वराज पर्युषण पर्व पर नगर के जैन मंदिरों में उत्सव का महौल है, सुबह से ही मंदिरों में भक्तों का आना प्रारंभ हो जाता है, मुख्य कार्यक्रम में आज संजय भैया मुरैना के द्वारा अभिषेक, पूजन कराया गया, कक्षा ३ का छात्र ९ वर्षीय बालक निहाल जैन ने संस्कृत में लिखे तत्वार्थ सूत्र का कंठस्थ वाचन किया, तत्वार्थ सूत्र जैन धर्म का मोक्ष शास्त्र है, जिसे सदियों पूर्व आचार्य उमा स्वामी ने संस्कृत में लिखकर जैन धर्म का सार इसी में समाहित कर दिया था, तत्वार्थ सूत्र में १० अध्याय में ३५७ सूत्र है, बालक इसका वाचन ऐसे कर रहा था जैसे कि कोई मूर्धन्य विद्वान वाचन कर रहा हो, बालक की प्रतिभा को उभरता देख सभी की आंखो में उमंग, उत्साह, खुशी के आंसू आ गये ।
बालक की प्रतिभा को निखारने का सम्पूर्ण श्रेय आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज की सुयोग्य शिष्या आर्यिका रत्न श्री गुणमति माता जी एवं आर्यिका संघ को जाता है, आर्यिका श्री की अस्वस्थता होने के बाबजूद भी विगत 60 दिन से नगर के बच्चों को तत्वार्थ सूत्र का अध्ययन करा रही है, आर्यिका श्री ने नगर के इन नन्हे पुष्पों में छिपी उस सुगंध को पहचाना ओर अल्प समय में ही सकल समाज के समक्ष प्रस्तुत कर दिया, नगर में विराजमान आर्यिका संघ धर्म प्रभावना बढाने के साथ साथ उच्चकोटी के जौहरी व कुशल शिल्पकार का भी कार्य कर रही है, सुभाष वार्ड निवासी बालक निहाल पूर्व पार्षद स्व. श्री प्रमोद जी एवं वर्तमान पार्षद सुधा जैन का नाती एवं अनिल निभा का पुत्र है, आज का श्रावक श्रेष्ठी बनने का सौभाग्य विमला जैन सागर एवं अंतिम जैन हटा को मिला, बालक की प्रतिभा को एवं उनके पिता अनिल जैन मां निभा जैन का सम्मान मंदिर कमेटी के अध्यक्ष लक्ष्मी चंद जैन, सपन, कमलेश, चक्रेश, यशवंत, आशीष के द्वारा किया गया, बालक को नीरा जैन मोना अर्पणा, रानू, कविता सेठ, कमलेश डेरी, प्रीति, मीना, वीरेन्द्र जैन एडवोकेट, पारूल जैन आदि के द्वारा उपहार देकर सम्मानित किया गया।
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