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गायत्री शक्तिपीठ पथरिया में युवा प्रशिक्षण शिविर.. इधर जयकारो के साथ दमोह में मासिक महाआरती का आयोजन.. पर्युषण पर्व तृतीय दिवस उत्तम आर्जव धर्म पर.. कुंडलपुर में निर्यापक मुनिश्री योग सागर, हटा में आर्यिकाश्री गुणमति माता के प्रवचन.. बांदकपुर में फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता..

 पथरिया में युवा प्रशिक्षण शिविर सम्पन्न

दमोह। जिले का एक दिवसीय युवा प्रशिक्षण शिविर आज गायत्री शक्तिपीठ पथरिया में सम्पन्न हुआ जिसमें दमोह और पथरिया क्षेत्र के लगभग 400 युवा सम्मलित हुए। सर्व धर्म प्रार्थना से शिविर की शुरुआत करते हुए कटनी से पधारे गायत्री परिवार के जिला समन्वयक प्रफुल्ल सोनी जी ने कहा कि गायत्री सार्वभौमिक ईश्वर की प्रार्थना है, आपके ऊपर गायत्री साधना का प्रभाव क्या हो रहा है तो उसको चार चिन्हों ने समझा जा सकता है,आपके मन मे अपने कार्य को करने की जिम्मेदारी आ रही है या नही, आपकी समझदारी बढ़ रही है या नही, आप अपने कर्तव्यों के प्रति ईमानदार हो रहे हो यंही और इन सबको करते हुए आपके अंदर का भय दूर हुआ या नही, अर्थात आप बहादुर बने या नहीं।

यही चार प्रारंभिक पहिचान है गायत्री साधको की। आप 24 घंटो में अपनी रोज़ी रोटी कमाने के साथ साथ अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को भी ईमानदारी के साथ निभाना प्रारंभ कर देते हो, प्रतिदिन कम से कम दो घंटे का समय लोकोपयोगी कार्यो के लिये निकालने लगते हो तो आप अपने जीवन को धन्य बना लेतो हो।सिर्फ माला जपना ही पूजा नही होती, पीड़ित मानवता की सेवा ही सच्ची पूजा है। आप अपने आप को स्वस्थ रखते हुए नशा, मांसाहार जैसे दुर्गुणों से दूर रहकर मनुष्य में देवत्व के उदय को चरितार्थ करते हुए धरती पर स्वर्ग के अवतरण को संभव बनाते चले जाते हो।


ओजस्वी वीर रस के प्रज्ञा गीतों से विश्वजीत जी ने युवकों में नया जोश पैदा कर दिया।
 आज युग पुकारता, जाग नौ जवान रे। मोरचे संभाल तू, संभाल तू कमान रे।गीत ने तो जोश के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिया। श्री शैलेश सोलंकी जी ने सिंथेसाइजर से गीतों में रस भर दिया। आभार प्रदर्शन करते हुए वरिष्ठ परिजन इंजीनियर भीष्म जैन ने अपने संस्मरण सुनाते हुए युवकों से आव्हान किया कि वे अपनी जवानी और जोश का सदुपयोग करते हुए समाज को नई दिशा प्रदान करें। गक्कड़ भर्ता के भोज से शिविर का समापन हुआ..
जयकारो के साथ हुआ मासिक महाआरती का आयोजन
दमोह। श्री शक्तिपुत्र महाराज जी के निर्देशन में हर माह की भांति इस माह के द्वितीय रविवार को कृषि उपज मंडी सागर नाका दमोह में मासिक महाआरती का भव्य आयोजन किया गया। गुरुवर श्री एवं मां के गगनभेदी जयकारो व शंख ध्वनि के साथ मासिक महाआरती संपन्न की गई।

 समापन की बेला में अपने विचार रखते हुए भगवती मानव कल्याण संगठन के केंद्रीय उप प्रचार मंत्री भुज्जी लाल सेन ने कहा परम पूज्य श्री शक्तिपुत्र भगवान ने समाज के लिए जो विचारधारा दी है आज समाज को गुरुवर की विचारधारा पर चलने की आवश्यकता है तभी धर्म, राष्ट्र व मानवता की सेवा ही की जा सकती है और जब तक हम अपने राष्ट्र से प्रेम नहीं करेंगे हम समाज से प्रेम कर ही नहीं सकते क्योंकि राष्ट्र की सेवा ही सर्वोपरि है क्योंकि हमारा राष्ट्र सुरक्षित है तो हम सुरक्षित हैं यदि हमारा राष्ट्र सुरक्षित नहीं है तो ना हम सुरक्षित ना हमारा धर्म सुरक्षित है।

 भारतीय शक्ति चेतना पार्टी के जिला अध्यक्ष प्रमोद पटेल ने कहा परम पूज्य श्री शक्तिपुत्र भगवान ने समाज के लिए तीन धाराएं प्रदान की है जिन पर चलकर के समाज का कल्याण होना है सर्वप्रथम पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम धाम जहां पर लोग जाकर के गुरु भगवान के दर्शन एवं आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। भगवती मानव कल्याण संगठन जो समाज के लिए आज कार्य कर रहा है गांव-गांव घर-घर जाकर के 5 घंटे चालीसा पाठ 24 घंटे के चालीसा पाठ 1 घंटे के आरती क्रम करवाते हुए समाज को नशा मुक्त बना रहा है। भारतीय शक्ति चेतना पार्टी जो समाज हित के लिए राष्ट्र रक्षा के लिए पार्टी का गठन किया गया है जो आगे आने वाले समय में जन जन का कल्याण करेगी। 

भारतीय शक्ति चेतना पार्टी के प्रांतीय संगठन मंत्री निरन सिंह ने कहा आज हम सब बड़े सौभाग्यशाली हैं जो परम पूज्य  श्री शक्तिपुत्र भगवान हमारे लिए मनुष्य रूप में प्राप्त हुए हैं जिनके हम आज दर्शन प्राप्त कर रहे हैं आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं जिन की वाणी अपने कानों से चयन सुन रहे हैं जिनके समक्ष आज हम बैठ रहे हैं आगे आने वाली पीढ़ी गौरवान्वित होगी कि हमारे पूर्वज कितने सौभाग्यशाली थे कि जो ऋषि ओ के स्वामी सच्चिदानंद के अवतार थे उनके समक्ष मेरे पूर्वज बैठा करते थे और चिंतन सुना करते थे चरण स्पर्श करते थे। भारतीय शक्ति चेतना पार्टी की महिला शाखा की जिला अध्यक्ष बहन चित्रा सिंह राजपूत ने कहा आज नारी शक्ति को जागने की आवश्यकता है 

 जिस दिन नारी शक्ति जाग गई उस दिन परिवर्तन होकर ही रहेगा जिस प्रकार रानी लक्ष्मीबाई रानी अवंती बाई अंग्रेजों से युद्ध करके भारत को आजाद किया था उसी प्रकार आज जिस दिन नारी शक्ति जागी उसी दिन अधर्म अनित अन्याय को समाप्त करते हुए सत्य धर्म की स्थापना इस भारत भूमि का अवश्य होगी। अपने अपने विचार रखते हुए मुरारी पटेल टीम प्रमुख, पार्टी उपाध्यक्ष ओमवती दीदी, मंच का संचालन सूरत सिंह ने किया। सभी मां भक्तों का आभार व्यक्त भारतीय शक्ति चेतना पार्टी के ब्लॉक अध्यक्ष पन्ना लाल राय ने किया। अंत में सभी मां भक्तों ने प्रणाम कर शक्ति जल वा प्रसाद प्राप्त किया।
दिगम्बर मुनिराज उत्तम इत्यादि दस धर्मो की मूर्ति है- मुनि श्री योग सागर जी महाराज
दमोह। निर्यापक मुनि श्री योग सागर जी महाराज ने पर्युषण पर्व के तृतीय दिवस उत्तम आर्जव धर्म के दिन अपने मंगल प्रवचनओं में कहा कि जीवन में सरलता ही धर्म है। वाधक कारणों का अभाव साधक कारणों का सद्भाव वाधक कारण हमारी सरलता में वाधक, होता है मायाचार, माया मिथ्यात्व, निदान ये सभी वाधक कारण है इनको दूर करो। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए बताया कि रोगी सालो से बीमार था खांसी से परेशान, वैद्य के पास जाता रोग का शमन हो, वैद्य ने कहा हम आठ दिन में आपका रोग दूर कर देंगे ठीक है पर आपको परहेज करना होगा अर्थात वाधक तत्वो को छोड़ना होगा नही तो हम आपका ये रोग ठीक नही कर सकते। हमारे गुरुओ में कितनी सरलता होती है ये हम बयान नही कर सकते  आचार्य महाराज ने कभी भी बाहर में परिचय नही रखा और अपने शिष्यों को भी उनसे दूर रखने की शिक्षा दीक्योकि वाहर में मायाचार है इसे संसार मे इसका ही बोलबाला है। 

 दिगम्बर मुनिराज उत्तम इत्यादि दस धर्मो की मूर्ति है इन्हें देखकर हमे आने जीवन को संस्कारित करना चाहिये। जीवन मे टेढ़ापन नही होना चाहिये। यह संसारी प्राणी कषाय विषय के वशीभूत होकर मायाचार कर चौरासी लाख योनी में भ्रमण करता है। संसार को मिटाने के लिए मायाचार को छोड़कर सरलता को अपनाना चाहिए। यही उत्तम आर्जव धर्म है। इसके पूर्व परम पूज्य मुनि श्री श्रमण सागर जी ने अपने मंगल प्रवचन में कहा कि मायाचार से रहित जो सरल भाव है, वह उत्तम आर्जव है। उत्तम सरलता की परकाष्ठा तो रत्नत्रय के धारी की हो सकती है। मुनि का मन बालक वत निर्मल होता है, पूजन चारित्र की होती है ज्ञान सम्मान पाता हैं। हमे अपनी नजरो में अच्छा बनना आवश्यक है, दूसरो की नजरों में अच्छा बनना आवश्यक नही, दुसरो की नजरों में अच्छा बनने के लिए ही अधिकांश कपट करते है, जिस दिन हम अपनी नज़रों में अच्छा बन जाते है दुनियां की नजर स्वयं अच्छी बन जाती है।
मनुष्‍य की जिन्‍दगी बहुरूपिया जैसी हो रही है – आर्यिका गुणमति माता जी
हटा, दमोह। सडक पर हम भले आडे तिरछे चलते है लेकिन जब हम घर या मंदिर में प्रवेश करते है तो हमारे कदम सीधे हो जाते है, अपने जीवन से निष्‍कपट, रागद्वेश से रहित होना, छल कपट धोखा से दूर, भावों में निर्मलता लाना ही उत्‍तम अर्जव धर्म है, यह बात आज पर्युषण पर्व के तीसरे दिन आर्जव धर्म पर अपने मंगल प्रवचन देते हुए आर्यिका गुणमति माता जी ने श्री पार्श्‍वनाथ दिगम्‍बर जैन बडा मंदिर में कही, आर्यिका श्री ने कहा कि क्षमा, मादर्व से किया व्‍यवहार भी कभी कभी कुटिल हो सकता है, जब किसी को किसी से कोई भेद लेना होता है तो वह इतनी सहजता व मृदुता से व्‍यवहार करने लगता है, सामने वाले के साथ घुल मिल जाता है और बाद में कुटिलता से धोखा देना प्रारंभ कर देता है, लेकिन ऐसी कुटिलता कभी काम नहीं आती है

 आर्यिका श्री ने कहा कि जब गेंद को दीवाल की ओर फेंका जाता है तो उसी वेग से वापिस आती इसी तरह धोखा देने वाला स्‍वयं भी धोखा खाता रहता है, अब तो मनुष्‍य की जिन्‍दगी उस बहुरूपिये के सामान हो गई जो बार बार अपना रंग रूप बदलता है, यही कारण है कि लोगों का विश्‍वास कमजोर हुआ है, मानव को अंदर बाहर से एक सा होना चाहिए, हमारे अंदर की कमजोरी ही है जिसे हम प्रकट नहीं कर पाते लेकिन सत्‍यता छिपती नहीं है, स्‍वयं प्रस्‍फुटित हो जाती है, यदि आपने किसी को छलने का प्रयास किया तो छाले आपकी आत्‍मा में उभर आयेगें, गन्‍ना और जलेबी का स्‍वाद मीठा होता है, गन्‍ना का स्‍वभाव मीठा होता है जबकि  जलेबी को शक्‍कर के शीरा में डुबोकर मीठा किया जाता है, जिसका स्‍वभाव मीठा होता है वह नुकसान दायक नहीं है, लेकिन जिसे मीठा किया गया हो वह कभी भी नुकसान पहुंचा सकता है, स्‍वाभाव में सरलता सहजता, मृदुता लाने के लिए सतिशय पुण्‍य की आवश्‍यकता होती है, अपने जीवन को सरल बनाने का प्रयास करे, किसी के साथ छल व धोखा न करें यही आर्जव धर्म हमें बताता है

जैन धर्म के दश लक्षण पर्व पूर्ण उत्‍साह एवं उमंग के साथ मनायें जा रहे है, नगर के चारों मंदिरो में सूर्योदय के साथ ही भक्‍तों का आना प्रारंभ हो जाता है, नगर में विगत कई वर्षो उपरांत यह सौभाग्‍य मिला है कि यहां आर्यिका संघ के सानिध्‍य में पर्युषण पर्व मनाया जा रहा है, धर्म की प्रभावना निरंतर बढ रही है, छोटे छोटे बच्‍चों के साथ हर आयु वर्ग के लोग धर्म का मर्म जान रहे है,आज प्रातः श्रीजी का अभिषेक, शांतिधारा के साथ पूजन प्रारंभ हुआ, तत्‍वार्थ सूत्र का कंठस्‍थ वाचन प्रतिभा दिव्‍या के द्वारा किया गया, श्रावक श्रेष्‍ठी बनने का सौभाग्‍य सेठ दीपक कविता जैन परिवार को मिला, कंठस्‍थ तत्‍वार्थ सूत्र का वाचन करने पर प्रतिक्षा, दीप्‍ती, प्रतिभा दिव्‍या का सम्‍मान महिला मंडल के पदाधिकारी अर्पणा जैन एवं उनकी टीम द्वारा किया गया, श्रावक श्रेष्‍ठी का भी सम्‍मान सकल दिगम्‍बर जैन समाज के द्वारा किया गया
बांदकपुर में बच्चों की फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता..

दमोह। जैन धर्म के सबसे बड़े पर्व पर्युषण महापर्व पर जैन मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठान चल रहे हैं वहीं रात्रि के समय संगीतमय आरती प्रवचन एवं रंगारंग कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं। इसी क्रम में पारसनाथ दिगम्बर जैन मंदिर बांदकपुर में छोटे बच्चो की फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता आयोजन किया गया जिसमें 3 साल से 12 साल तक के बच्चों ने हिस्सा लिया।

प्रतियोगिता में भाग लेने वाले बच्चे राम सीता, कृष्ण राधा, झाँसी की रानी, वकील, चन्दनवाला आदि विविध रूपों में प्रस्तुति देते नजर आए। इस दौरान उन्होंने नृत्य गीत प्रदर्शन आदि के माध्यम से अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित किया।  संचालन सुनीता डबुलया एवं दीपा डबुलया ने किया। अंत में निर्णायक मंडल द्वारा बच्चों को पुरस्कृत करके प्रोत्साहित किया गया।

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